मोतिहारी : नहाय खाय के बाद सोमवार को गोधूली बेला में छठ व्रतियों ने छठी मइया की पूजा कर प्रसाद ग्रहण किया़ इसके साथ ही छठ गीत घर-घर गूंजने लगी और सभी संध्या अर्घ सामग्री के निर्माण में जुट गयी़ छठ अर्घ प्रसाद भी आम के लकड़ी व मिट्टी के चूल्हा पर ही बनाने की परंपरा है़
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केलवा जे फरेला घवद से, ओह पर सुगा मेड़राय
मोतिहारी : नहाय खाय के बाद सोमवार को गोधूली बेला में छठ व्रतियों ने छठी मइया की पूजा कर प्रसाद ग्रहण किया़ इसके साथ ही छठ गीत घर-घर गूंजने लगी और सभी संध्या अर्घ सामग्री के निर्माण में जुट गयी़ छठ अर्घ प्रसाद भी आम के लकड़ी व मिट्टी के चूल्हा पर ही बनाने की […]
इसको ले सोमवार को आम की लकड़ी 15 रुपये किलो तक बिका़ घर की बहू व अन्य महिलाएं प्रसाद निर्माण में जुट गयी़ आर्षविद्या शिक्षण संस्थान के प्राचार्य पंडित सुशील पांडेय, रूद्रनाथ चौबे, पंडित संजय पाठक के अनुसार लड़की के सांचा पर चक्र आकार का बना होता है, जिस पर प्रसाद (ठेकुआ, टिकरी) का निर्माण सूर्य का प्रतीक माना गया है़ ऐसे में प्रसाद का निर्माण लकड़ी के सांचा पर गीले आटा को दबाने से चक्र का चिह्न उभर जाता है़
अर्घ के लिए प्रमुख प्रसाद: परिवार के प्रत्येक सदस्य के नाम से अर्घ दिया जाता है़ ऐसे में अर्घ में ऋतु फल के अलावे, जमीरी निंबू, सूथनी, अरूई, मूली, बोड़ी, आदि, सुपारी, लौंग, इलाइची, पान, ईख, केला, नारियल आदि दिया जाता है़ श्री पांडेय के अनुसार मंगलवार को 5.23 में सूर्यास्त है और बुधवार को 6.38 में सूर्योदय है़
बतासे का भी प्रसाद के रूप में होता प्रयोग : होटलों में निर्मित मिष्ठान रसगुल्ला, लड्डू, लाल मोहन, खोआ, बर्फी, मिल्क केक आदि के निर्माण में मिलावट की संभावना रहती है़ ऐसे में बिना मिलावट के चीनी से निर्मित बतासा में शुद्धता की गारंटी रहती है़ जिसके कारण प्रसाद के रूप में बतासा का महत्व बढ जाता है़ जैसा की प्राचार्य सुशील पांडेय का कहना है़ पूजा में ईख व काड़ा से घेरा बना बीच में कोसिया को रखा जाता है़
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