बक्सर : आज नवरात्र का दूसरा दिन है. नवरात्र के दूसरे दिन भगवती मां ब्रह्मचारिणी की पूजा का विधान है. ब्रह्मचारिणी देवी भगवती दुर्गा की नौ शक्तियों का दूसरा स्वरूप हैं. यहां ब्रह्म शब्द का अर्थ तपस्या से है. ब्रह्मचारिणी अर्थात तप की चारिणी या तप का आचरण करनेवाली. शास्त्रों ने कहा भी है कि ‘वेदस्तत्वं तपो ब्रह्म’. माता का स्वरूप पूर्ण ज्योर्तिमय एवं अत्यंत भव्य है. उनके दाहिने हाथ में जप की माला व बायें हाथ में कमंडल है.
श्रद्धालु इस दिन अपने मन को भगवती मां के श्री चरणों में एकाग्रचित करके स्वाधिष्ठान चक्र में स्थित करते हैं और मां की कृपा प्राप्त करते हैं. इस बाबत कृष्णानंद शास्त्री पौराणिक जी महाराज ने बताया कि मां जगदम्बा का यह रूप भक्तों को अनंत फल देनेवाला है. इनकी उपासना से मनुष्य में तप, त्याग, वैराग्य, सदाचार की वृद्धि होती है. मां ब्रह्मचारिणी की कृपा से सर्वत्र सिद्धि और विजय की प्राप्ति होती है. मनुष्य का मन कर्तव्य पथ से विचलित नहीं होता.
मां सबके भंडार भरती हैं. नवरात्र में प्रतिदिन दुर्गा चालीसा का पाठ करें. उल्लेखनीय है कि शारदीय नवरात्र के शुरू होते ही बक्सर जिला भक्तिमय हो उठा है. पहले दिन शनिवार को माता के रूप शैलपुत्री की पूजा-अर्चना हुई. सुबह से ही मंदिरों में श्रद्धालुओं व भक्तों का तांता लगा रहा. घरों में लोगों ने कलश स्थापित कर माता की पूजा-अर्चना की. कथा सुन लोगों ने माता की आरती भी की. वहीं, पूजा पंडालों व मूर्तियों के निर्माण में तेजी आयी है.