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आरटीइ लागू करें,नहीं तो मान्यता रद्द

तैयारी. जिले में 180 निजी विद्यालयों में से 33 में ही होता है आरटीइ का पालन विभाग के निर्देश के बावजूद निजी विद्यालयों में नहीं लगा आरटीइ का फ्लैक्स बक्सर : जिले में ऐसे कई स्कूल हैं, जो शिक्षा के अधिकार अधिनियम (आरटीइ) के नियमों का पालन नहीं कर रहे हैं. शिक्षा विभाग द्वारा ऐसे […]

तैयारी. जिले में 180 निजी विद्यालयों में से 33 में ही होता है आरटीइ का पालन
विभाग के निर्देश के बावजूद निजी विद्यालयों में नहीं लगा आरटीइ का फ्लैक्स
बक्सर : जिले में ऐसे कई स्कूल हैं, जो शिक्षा के अधिकार अधिनियम (आरटीइ) के नियमों का पालन नहीं कर रहे हैं. शिक्षा विभाग द्वारा ऐसे विद्यालयों का चिह्नित किया जा रहा है. नियमों का पालन नहीं करने पर ऐसे विद्यालयों की मान्यता रद्द की जाएगी. अभिभावकों का शोषण करनेवाले स्कूल प्रबंधन पर भी कार्रवाई की जायेगी. सरकार द्वारा शिक्षा के अधिकार अधिनियम 2009 के अंतर्गत निजी स्कूलों के निबंधन करने में देरी हो रही है.
वर्ष 2013-14 के बाद किसी भी निजी स्कूल का निबंधन आवेदन देने एवं इसकी जांच सर्वशिक्षा के डीपीओ द्वारा होने के बावजूद नहीं हो पाया है. इस कारण जिले में ऐसे कई निजी स्कूल हैं, जो बिना किसी मूलभूत सुविधाओं के धड़ल्ले से चलाये जा रहे हैं. इसे व्यापार का साधन बना अभिभावकों का शोषण किया जा रहा है. इससे शिक्षा का माहौल भी खराब हो रहा है. यहां तक की जो पूर्व में निबंधित निजी स्कूलों के संचालक हैं, वो भी आरटीइ के नियमों का पालन नहीं कर रहे हैं.
इसमें कई स्कूल ऐसे भी हैं जिनके पास बच्चों के लिए मूलभूत सुविधाएं तक नहीं हैं. सभी निजी स्कूल प्रबंधकों को निर्देश दिया गया है कि बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा का माहौल तैयार करें और अभिभावकों का शोषण करना बंद करें, ताकि बच्चों का भविष्य उज्ज्वल बन सके.
25 % गरीब बच्चों को मिलेगी निजी स्कूलों में मुफ्त शिक्षा : राज्य सरकार के द्वारा आरटीइ के तहत निजी स्कूलों में 25 प्रतिशत गरीब एवं कमजोर वर्ग के बच्चों को नि:शुल्क शिक्षा देने की योजना है.
इससे उन गरीब परिवारों के बच्चों को सहूलियत मिलेगी, जिनकी प्रतिभा परिवार के माली हालत के कारण धूमिल हो जाती है. सरकार ऐसे छात्रों को आगे बढ़ने में मदद करेगी. इसके लिए निजी स्कूलों में 25 प्रतिशत गरीब एवं कमजोर वर्ग के बच्चों को नि:शुल्क शिक्षा का प्रावधान सख्ती से लागू करानेवाली है.
निबंधित प्राइवेट स्कूलों में आरटीइ के तहत कुल नामांकित बच्चों के 25 फीसदी बीपीएल छात्रों का नामांकन लेना होता है. आरटीइ के पालन के लिए सभी स्कूल संचालकों को नोटिस भी दी गयी. उल्लेखनीय है कि कुल 145 निजी स्कूलों में सौ फीसदी पालन नहीं हुआ. सौ फीसदी नियम का पालन करने के मापदंड पर महज 33 स्कूल हैं.
सभी स्कूलों में लगाना था फ्लैक्स बोर्ड, जो नहीं लगा : जिले के सभी प्राइवेट स्कूलों में शिक्षा के अधिकार से संबंधित फ्लैक्स बोर्ड लगाना था. इससे संबंधित सूचना भी सभी स्कूलों को दिया गया था, लेकिन मॉनिटरिंग नहीं होने के कारण नहीं लगा. प्रचार-प्रसार के लिए विभाग ने यह फैसला लिया था. विभाग ने इसके लिए 19 जुलाई को पत्र जारी किया था. लेकिन, अब तक किसी भी निजी विद्यालयों में इस आदेश का पालन नहीं कराया जा सका है.
जिले के 80 फीसद स्कूल आरटीइ के मापदंडों का पालन नहीं कर रहे हैं. विभागीय सूत्रों के अनुसार अब तक जिले के कुल 35 निजी स्कूल हैं, जिनको सरकारी कोड प्राप्त है. इनमें से मात्र 33 में ही आरटीइ का पालन किया जा रहा है. शेष बचे दो स्कूलों का निबंधन सत्र चालू होने के बाद किया गया.
इसके कारण आगामी सत्र में उक्त दोनों स्कूलों में आरटीइ को पूर्णत: लागू किया जा सकेगा. वहीं, 145 निजी स्कूलों के आवेदनों की जांच की जा रही है. उसके बाद उनका निबंधन किया जायेगा. वहीं, कई निजी स्कूलों के संचालकों के अनुसार आरटीइ के तहत नामांकित छात्रों की फीस का भुगतान सरकार द्वारा नहीं किया गया है. अब तक विभाग की उदासीनता के कारण लंबित पड़ा हुआ है. शहर के कुछ ही स्कूलों में आरटीइ के तहत गरीब परिवार के छात्रों का नि:शुल्क में नामांकन लिया है. वहीं, आवेदनों के भौतिक सत्यापन के लिए जिलास्तरीय अधिकारी एवं बीडीओ को भी लगाया गया है.
आरटीइ को लेकर सरकार है सख्त
आरटीइ के नियमों का पालन नहीं करनेवाले निजी स्कूलों की मान्यता रद्द की जायेगी. सरकार इस मामले को लेकर काफी सख्त है. ऐसे स्कूलों को चिह्नित किया जा रहा है. साथ ही ऐसे स्कूल प्रबंधकों पर भी कार्रवाई की जायेगी, जो अभिभावकों को शोषण कर रहे हैं.
ओंकारनाथ सिंह, जिला शिक्षा पदाधिकारी, बक्सर
निजी विद्यालय सुस्ती का उठा रहे फायदा
आरटीइ के नियमों का पालन करने में विभाग का रोल सही नहीं है. विभाग की उदासीनता का फायदा निजी विद्यालयों के संचालक उठा रहे हैं. वहीं, आरटीइ के तहत नामांकित बच्चों का पैसा सरकार द्वारा लंबित रखा गया है. इस रवैये से भी कई स्कूल नामांकन लेने में आनाकानी कर रहे हैं.
मिथिलेश राय, प्राचार्य, सरस्वती विद्या मंदिर, बड़ा बाजार, बक्सर

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