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पानी ठहरा, पर सता रहा महामारी का डर
जिले के बाढ़ग्रस्त इलाकों में लोगों ने शुक्रवार को राहत की सांस ली है. उफनती गंगा ने अपने जल स्तर की वृद्धि में ब्रेक लगा दी. जिला प्रशासन के अनुसार स्थिति सामान्य होने में लगभग 10 से 15 दिन लग सकते हैं. बाढ़ग्रस्त इलाकों में पानी घटने के इंतेजार में लोग आस लगाये बैठे हैं. […]
जिले के बाढ़ग्रस्त इलाकों में लोगों ने शुक्रवार को राहत की सांस ली है. उफनती गंगा ने अपने जल स्तर की वृद्धि में ब्रेक लगा दी. जिला प्रशासन के अनुसार स्थिति सामान्य होने में लगभग 10 से 15 दिन लग सकते हैं. बाढ़ग्रस्त इलाकों में पानी घटने के इंतेजार में लोग आस लगाये बैठे हैं.
लेकिन, गंगा के स्थिर जल स्तर के घटने के साथ ही लोगों में अब महामारी फैलने का डर सताने लगा है. बाढ़ग्रस्त इलाकों में जिला प्रशासन की ओर से पीड़ितों के बीच राहत शिविरों में पके भोजन के साथ-साथ सूखा राशन उपलब्ध कराया जा रहा है, लेकिन कई जगहों पर लोग प्रशासन के द्वारा पके भोजन की गुणवत्ता से नाराज दिखे. लोगों का कहना है कि राहत शिविरों में कोटे का चावल इस्तेमाल किया जा रहा है.
बक्सर : उफनती गंगा अब धीरे-धीरे शांत होने लगी है. शुक्रवार से जिले में गंगा का जल स्तर स्थिर होने लगा है. जिला प्रशासन के अनुसार आज से गंगा के जल स्तर में गिरावट आने की संभावना है. बाढ़ नियंत्रण प्रमंडल विभाग के अनुसार शुक्रवार को गंगा का जल स्तर स्थिर रहा. विभाग के कार्यपालक अभियंता सिद्देश्वर साह ने बताया कि इलाहाबाद एवं बनारस में गंगा के जल स्तर में 0.04 मीटर की रफ्तार से गिरावट दर्ज की जा रही है.
शनिवार से जिले में भी गंगा के जल स्तर में गिरावट आयेगी. बाढ़ग्रस्त इलाकों में पीड़ितों के लिए राहत शिविरों में पके भोजन के साथ-साथ लोगों के लिए सूखे राशन का भी वितरण किया गया. जिलाधिकारी रमण कुमार ने शुक्रवार को राहत कैंपों का दौरा किया. डीएम ने बताया कि राहत कार्यों में तेजी लाने का निर्देश दिया गया है. वहीं, बाढ़ग्रस्त इलाकों में पीड़ित लोगों में स्लो लूज मोशन की शिकायत अधिक आ रही है. इसकी चपेट में बच्चे अधिक हैं.
सफाई के अभाव में बीमार होने का बढ़ता है खतरा : सदर अस्पताल के सीएस डॉ बीके सिंह के मुताबिक अब स्थिति गंभीर हो सकती है. बाढ़ग्रस्त इलाकों में सफाई एवं स्वच्छता के अभाव से हैजा, दस्त फैलने और संक्रमण के विभिन्न प्रकारों के रोगों के फैलने की संभावना बढ़ जायेगी. सीएस के मुताबिक इस समय सुरक्षित और स्वच्छ पानी का सेवन किसी भी बीमारी से बचने के लिए जरूरी है.
बाढ़ के दौरान जमे ज्यादातर पानी में बैक्टीरिया पैदा होते हैं. इसके कारण कई प्रकार की त्वचा संक्रमण जैसी बीमारी हो जाती है. पानी को उबाल कर पीने की सलाह दी है और कहा कि लोग शरीर में आवश्यक खनिज आपूर्ति के लिए नारियल पानी या पैक पानी का उपयोग कर सकते हैं. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि कई स्थानों पर लोग भूजल पर निर्भर होते हैं. वे जीवाणु संक्रमण से छुटकारा पाने के लिए पानी में क्लोरीन मिला सकते हैं. कई इलाकों में ऊमस भरी गरमी के कारण अधिकतर लोग वायरल फीवर एवं सर्दी-खांसी से पीड़ित हैं.
दियारांचल में पानी के लिए तरस रहे लोग : सिमरी : दियारांचल के अधिकतर इलाका बाढ़ के पानी में डूब गये हैं. यहां अब लोगों के पास पीने के लिए पेयजल की संकट उत्पन्न हो गयी है. भले ही चारों तरफ बाढ का पानी दिख रहा हो, लेकिन बाढ़ग्रस्त क्षेत्र में फंसे लोगों को शुद्ध पेयजल नहीं मिलने से जैसे-तैसे अपनी जिंदगी बसर करनी पड़ रही है. गंगा के एक दिन स्थिर रहने के बाद गंगा में फिर पानी बढ़ने की आशंका से बाढ़ग्रस्त क्षेत्रों में फिर आतंक का माहौल व्याप्त हो गया है. बाढ़ का खतरा नये पंचायतों के इलाकों में भी पहुंच रहा है. नये इलाकों में बाढ़ का पानी फैल चुका है़ शुक्रवार को प्रखंड के एकौना नियाजीपुर, पैगंबरपुर में बाढ़ का पानी आ चुका है.
वहीं, बेनी लाल डेरा व लाल सिंह डेरा, रामदास राय डेरा, श्रीकांत राय डेरा पर पानी धीरे-धीरे बढ़ रहा था. पानी के बढ़ने की रफ्तार तेज होने के कारण फिर दहशत का माहौल व्याप्त है. साथ ही दैनिक जरुरत की चीजों को पाने के लिए बड़ी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है. पानी से बुरी तरह घिरे लोग अपने घरों को छोड़ कर किसी जगह जाने को तैयार नहीं है. सभी डेरों पर चार से छह फुट तक पानी भरा हुआ है, जिसको पार कर निकलना मुश्किल साबित हो रहा है. कच्चे मकान व झोंपड़ीनुमावाले ग्रामीण बांध पर कई दिनों से आश्रय बना रहने को विवश हैं.
सूअरों के आतंक से दियारावासी डरे :बाढ़ के कारण दियारे में जंगली सूअरों का आतंक बढ़ गया है. सूअरों ने तिलकराय हाता में दर्जनों लोगों को जख्मी कर दिया था, जिनका इलाज वहीं पर तैनात डाॅक्टरों द्वारा किया गया. सूअराें के आतंक से लोग बाहर नहीं निकल रहे हैं, जहां बाढ़ नहीं है वहां भी आज जगली सूअर दिख रहे हैं, लेकिन कुत्तों के भय से भागते रहे.
चारे के अभाव में मवेशियों का पलायन : सरकार द्वारा चारा उपलब्ध न कराने के कारण पशुपालक अपने मवेशियों को दूसरे गावों में सुरक्षित रखने के लिए ले जा रहे हैं. क्योंकि पशुपालकों द्वारा रखा चारा पानी से नष्ट हो चुका है. वहीं, खेत में लगा चारा भी बाढ़ के पानी के लगे रहने के कारण समाप्त हो गया है. किसी तरह आधा पेट खिला कर पशुपालक मवेशियों को जिंदा रखे हैं, जिनकों चारा नहीं मिल पा रहा है, वैसे लोग दूसरी जगह जाकर पनाह ले रहे हैं. प्रशासन द्वारा चारा की व्यवस्था नहीं करने पर लोगों में आक्रोश है.
मुखिया को दी गयी कैंप में नाश्ते एवं खाने की जिम्मेवारी : ब्रह्मपुर. प्रखंड के बाढ़ग्रस्त क्षेत्र का जिलाधिकारी रमण कुमार ने शुक्रवार को दौरा किया. बक्सर से सड़क मार्ग से होते हुए निमेज, पांडेयपुर, पचफेड़वा होते हुए जिलाधिकारी दल्लुपुर घाट से एनडीआरएफ की मोटर वोट से नैनिजोर के लिए रवाना हुए. बाढ़ के कारण सरकारी वाहन को यही छोड़ना पडा.
हालांकि इस रोड पर भी जगह-जगह पानी चढ़ा हुआ है और आगे दस किलोमीटर जाने के लिए नाव के अतिरिक्त और कोई साधन नहीं है. नैनिजोर पहुंचने के बाद उन्होंने सबसे पहले राहत कैंप का निरीक्षण किया. जिलाधिकारी ने स्थानीय मुखिया को कैंप में खाना और नाश्ता बनाने का आदेश दिया, जिसका वहन सरकार के राहत कोष से किया जायेगा. शिविर में बीडीओ श्रीभगवान झा, एमओ रंजन सिंह, बीइओ गोपाल सिंह कैंप कये हुए हैं. बीडीओ भगवान झा ने बताया कि बाढ़ पीड़ितों के लिए सूखा भोजन जैसे चुड़ा, गुड़, चीनी, ब्रेड आदि वितरित किया जा रहा था.
राहत कार्य में तेजी लाने का दिया निर्देश : एसडीएम गौतम कुमार और जिला कृषि पदाधिकारी सह प्रखंड नोडल पदाधिकारी रणवीर सिंह ने प्रखंड के बाढ़ग्रस्त इलाकों का जायजा लिया.
एसडीओ एवं डीएओ ने रोहनीभान, जलीलपुर, सोनपा गांवों का दौरा कर चलाये जा रिलीफ कार्यों का जायजा लिया गया. उपस्थित सरकारी कर्मियों को राहत कार्य में तेजी लाने का निर्देश दिया़ वहीं, जहां पर अब तक सूखा भोजन का पैकेट नहीं बंटा है, वहां अविलंब पैकेट और पानी वितरित करने का आदेश दिया गया.
क्या कहते हैं बाढ़पीड़ित :
बाढ़ से पीड़ित नैनिजोर के नंदजी तिवारी, बुआ तिवारी, धुटेली तिवारी, धर्मदेव तिवारी, विशुपुर के हरेंद्र तिवारी, जीतेंद्र तिवारी, नागेंद्र तिवारी, शिवजी यादव आदि का कहना है कि प्रशासन द्वारा केवल एक कैंप लगाया गय है. नाव भी जरूरत के हिसाब से नहीं दिया गया है.
बिजली नहीं है. यहां परेशानियां इतनी है कि जिसे शब्दों में बयान कर पाना मुश्किल है. प्रशासन को हरेक गांव जो बाढ़ से ग्रस्त हैं उन पर ध्यान देना चाहिए. बाढ़ से सर्वाधिक परेशानी नैनिजोर के बिशुपुर, महुआर, हरनाथपुर आदि पंचायतों की जनता है.
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