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स्टेशन ग्रेड ए, सुविधा डी भी नहीं

उपेक्षा. बक्सर स्टेशन से प्रतिदिन 12 हजार यात्री करते हैं सफर साफ-सफाई पर नहीं दिया जाता है ध्यान टिकट के लिए है काउंटरों की संख्या है कम, यात्रियों की लगी रहती है भीड़ बक्सर : रेलवे का स्लोगन है ‘मुस्कान के साथ यात्रा’. लेकिन, बक्सर स्टेशन के लिए यह स्लोगन बेमानी है. यात्री सुविधाओं के […]

उपेक्षा. बक्सर स्टेशन से प्रतिदिन 12 हजार यात्री करते हैं सफर

साफ-सफाई पर नहीं दिया जाता है ध्यान
टिकट के लिए है काउंटरों की संख्या है कम, यात्रियों की लगी रहती है भीड़
बक्सर : रेलवे का स्लोगन है ‘मुस्कान के साथ यात्रा’. लेकिन, बक्सर स्टेशन के लिए यह स्लोगन बेमानी है. यात्री सुविधाओं के मामले में यह स्टेशन की स्थिति बहुत ही बदतर है. राजस्व को देखते हुए रेलवे विभाग ने इसे ग्रेड ‘ए’ की श्रेणी में रखा है. लेकिन, ग्रेड ‘ए’ स्टेशन के मानकों पर यह स्टेशन खरा नहीं उतरता. स्टेशन परिसर में चारों तरफ साफ-सफाई का घोर अभाव है, जबकि हर माह साफ-सफाई के नाम पर लाखों रुपये आउटसोर्सिंग के माध्यम से खर्च होते हैं. ग्रेड ‘ए’ मानक के अनुसार, आरक्षण काउंटर और जनरल काउंटर भी कम हैं.
पांच काउंटर हैं, जिनमें तीन काउंटर ही खुले रहते हैं. टिकट लेने के लिए लोगों की लंबी लाइन लगी रहती है. वहीं, आरक्षण काउंटर का भी हाल बेहाल है. परिसर में तीन काउंटर हैं, लेकिन दो ही कार्यरत हैं. प्रतीक्षालय में लगाये गये पंखे बंद पड़े हैं. वहीं, पोर्टिको में लगी लाइट भी अंधेरा होते ही जवाब दे जाती है, जिससे यात्रियों को परेशानी का सामना करना पड़ता है.
स्वच्छ पेयजल की भी नहीं है व्यवस्था : स्वच्छ पेयजल की भी व्यवस्था बक्सर स्टेशन पर नहीं है. कहने को तो 60 नल लगाये गये हैं. लेकिन, रखरखाव के अभाव में इनमें ज्यादातर खराब पड़े हैं. वहीं, वेटिंग रूम में भी यात्रियों के लिए पेयजल की सुविधा नहीं है. प्लेटफॉर्म पर दो चापाकल है, लेकिन वह खराब स्थिति में है.
प्रतिमाह दो करोड़ 74 लाख 16 हजार 539 रुपये आता है राजस्व : हर माह यात्री भाड़ा से रेलवे को दो करोड़ 74 लाख 16 हजार 539 रुपये का राजस्व आता है, जिसमें आरक्षण से 70 लाख 49 हजार 765, जबकि अनारक्षित टिकट से दो करोड़ तीन लाख 66 हजार 764 रुपये का राजस्व आता है.
बक्सर स्टेशन को ग्रेड ‘ए’ का दर्जा मिला हुआ है. लेकिन, सुविधाएं ग्रेड ‘डी’ भी नहीं हैं. यहां से प्रतिदिन लगभग 12 हजार यात्री सफर करते हैं. स्टेशन परिसर में चारों तरफ गंदगी का अंबार लगा हुआ है. पोर्टिको में वाहनों का अवैध कब्जा रहता है. हर माह यात्री भाड़ा से रेलवे को दो करोड़ 74 लाख 16 हजार 539 रुपये राजस्व आता है.
क्या है ग्रेड ‘ए’ का मानक
ग्रेड ‘ए’ के मानक के अनुसार, यात्रियों को रेलवे यात्रा के समय वातानुकूलित वेटिंग रूम होना चाहिए, स्वच्छ पेयजल की व्यवस्था होनी चाहिए, पर्याप्त टिकट खिड़की, बैठने की बेहतर सुविधा, बेहतर शेड होनी चाहिए.
क्या सुविधाएं हैं, क्या चाहिए
टिकट खिड़की आठ है, 10 चाहिए.
पेयजल के लिए 58 नल व दो चापाकल हैं, 20 चापाकल चाहिए.
अमानती घर नहीं है, जबकि जरूरत है.
वॉसेबल एपराॅन नहीं है, होना चाहिए.
परिसर में एटीएम की सुविधा नहीं है, जबकि यह जरूरी है.
ग्रेड ‘ए’ की सुविधा का कोई भी मानक रेलवे स्टेशन पर नहीं दिखता. यहां तो बैठने तक की जगह नहीं मिलती है.
छट्ठू मास्टर
सबसे ज्यादा परेशानी टिकट काउंटर की है. आठ टिकट काउंटरों में से पांच ही कार्यरत है, जिसके कारण सभी काउंटरों पर लंबी लाइन लगी रहती है.
राजकुमार
रेलवे परिसर में महिला यात्रियों के लिए वेटिंग रूम नहीं बनाया गया है, जो वेटिंग रूम है भी उसमें गंदगी का अंबार है.
सीमा दत्त
रेलवे स्टेशन के परिसर में अवैध रूप से वाहनों का कब्जा रहता है, जिससे आने-जाने में काफी परेशानी होती है और आये दिन ट्रेन भी छूट जाती है.
ताराचंद विद्यार्थी

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