बक्सर : विश्वामित्र महोत्सव में रविवार की देर रात तक चले सांस्कृतिक कार्यक्रम में हुकुमचंद्र बृजवासी ने खइके पान बनारसवाले गीत पर, जहां लोगों को थिरका दिया. वहीं, होली खेले रघुवीरा अवध में गाकर लोगों में फागुनी रंग चढ़ा दिया. दूसरी तरफ बालीबुड के गायक हेमंत बृजवासी ने अपने कला का प्रदर्शन करते हुए भोजपुरी में चांद के देश में गाकर सबको झुमा दिया.इसके अतिरिक्त नथिया के ऊपर झुलनिया के गीत पर दर्शक खूब झूमे. कार्यक्रम का संचालन अजीत आनंद ने किया.
इस पूरे कार्यक्रम में देर रात तक लोग थिरकते रहे.सोमवार की सुबह महर्षि विश्वामित्र पर एक साहित्यिक गोष्ठी आयोजित की गयी, जिसमें जिले के नामचीन पांच लोगों के विचार आमजनों को देने का अवसर मिला. इन पांच लोगों को जिलाधिकारी ने अंगवस्त्र देकर सम्मानित किया. इनमें डॉ रामेश्वर प्रसाद वर्मा, डॉ दीपक राय, गजलगो कुमार नयन, रामनाथ राम और छविनाथ त्रिपाठी शामिल हैं. अपना विचार रखते हुए वरीय अधिवक्ता रामेश्वर प्रसाद वर्मा ने कहा कि गायत्री मंत्र और सूर्य स्तुति के जनक महर्षि विश्वामित्र थे और बक्सर की धरती से ही इन दोनों मंत्रों का प्रस्फूटन हुआ है.
साथ ही ऋगवेदों की अधिकांश ऋचाएं इन्हीं के द्वारा लिखी गयीं हैं.वहीं, डॉ दीपक राय ने कहा कि महर्षि विश्वामित्र को वर्तमान परिपेक्ष्य में समझने की जरूरत है और उनके आदर्शों को और मार्गदर्शन को अपने जीवन में उतारने की जरूरत है. वहीं, गजलगो कुमार नयन ने कहा कि महर्षि विश्वामित्र लोकतंत्र के पोषक रहे हैं और उनके द्वारा स्थापित सिद्धाश्रम विश्व का प्रथम शैक्षणिक संस्थान था, जिसमें मर्यादा पुरुषोत्तम राम और उनके भाई लक्ष्मण ने शिक्षा ली थी.
रामनाथ राम ने कहा कि बाल्मीकि रामायण में महर्षि विश्वामित्र को समझने से उनके चरित्र आसानी से परिलक्षित हो जाते हैं.वहीं, छविनाथ त्रिपाठी ने कहा कि महर्षि विश्वामित्र ने राम-लक्ष्मण को लाकर ताड़का के साथ-साथ कई राक्षसों का संहार कराया, जो जीवन में प्रेरणादायक है.