बक्सर : ऐतिहासिक, धार्मिक एवं आस्था की नगरी बक्सर में खान-पान आधारित पंचकोसी यात्रा सोमवार से अहिरौली स्थित अहिल्या देवी के दर्शन व पूजन के साथ शुरू हो गया.
अहले सुबह पंचकोसी यात्रा करनेवाले श्रद्धालु रामरेखा घाट पर स्नान एवं रामेश्वरनाथ मंदिर में पूजा करने के बाद पैदल ही अहिरौली पहुंचे हैं. अहिरौली में गंगा तट पर अवस्थित अहिल्या देवी मंदिर में श्रद्धालुओं ने पूजा-अर्चना, दीप दान व दीप जला कर मान्यता के अनुसार पुआ का प्रसाद बना कर ग्रहण किया.
खान-पान की परंपरा
अहिरौली पहुंचनेवाले श्रद्धालुओं को स्थानीय समितियों द्वारा खान-पान की व्यवस्था करायी जाती है. साथ ही श्रद्धालुओं द्वारा भी अपनी व्यवस्था की जाती है. अहिरौली में दिन में चावल, कढ़ी, सब्जी समेत अन्य भोग लगाये गये. रात को श्रद्धालु पुआ-पकवान बना कर भोजन किये. लोग प्रसाद के रूप में गुड़ की जलेबी भी खाये.
दिन भर लगा रहा मेला
अहिल्या देवी स्थान पर सभी प्रकार के सामान का स्टॉल लगा रहा, जिसे देखने व घूमने के लिए श्रद्धालुओं के साथ बच्चे भी शरीक हुए. बच्चों के लिए हर प्रकार के झूले लगे थे. यह धार्मिक मान्यता वाला संस्कृति मेले के रूप में है.
अहिल्या उद्धार का होता है प्रदर्शन
श्रद्धालु भक्तों के मनोरंजन व सेवा के लिए धार्मिक संस्थानों द्वारा विशेष व्यवस्था की गयी है. अहिल्या उद्धार का रात्रि के समय पर्दे पर प्रदर्शन किया गया. इससे श्रद्धालु भक्तगणों को अहिल्या देवी की उद्धार की जानकारी प्राप्त किये.
आंचल पर होता है गोंड का नाच
मान्यता के अनुसार संतान के कारण दुखी महिलाओं का मनोकामना पूर्ण हो जाने पर खुशी से माताएं अपने आंचलों पर गोंड की नाच करवाती हैं, जो अहिल्या देवी स्थान का मुख्य आकर्षण है.
क्या है महत्ता
एक छोटी सी अनजाने में भूल के कारण माता अहिल्या देवी को पति गौतम ऋषि ने श्राप दे दिया था, जिसका उद्धार विष्णु अवतार श्रीराम के चरण धूलि से हुआ. पंचकोसी के दौरान अहिल्या देवी दर्शन की महत्ता बताते हुए डॉ रामनाथ ओझा ने श्रद्धालुओं को कहा कि जाने-अनजाने में एक भी भूल होती है, तो अहिल्या देवी से एक आशीर्वाद अवश्य मांगे कि जिस तरह राम की चरण से आपका उद्धार हुआ वैसे ही हमारी भी उद्धार हो जाये.
क्या कहते हैं अधिकारी
अनुमंडलाधिकारी गौतम कुमार ने कहा कि बुद्धा सर्किट की तरह पंचकोसी मेला को भी पंचकोसी सर्किट बनाया जायेगा, जिससे श्रद्धालुओं को सुविधा मिलेगी. उन्होंने कहा कि स्थानीय स्तर पर गठित कमेटियों के द्वारा मंदिर की व्यवस्था होगी. इसके अलावे श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए विभिन्न धार्मिक महत्व की जानकारी सूचना पट के माध्यम से दी जायेगी.
पॉकेटमारों की रही चांदी
अहिरौली में पंचकोसी मेला के पहले पड़ाव के दौरान दीप जलाने व पुआ का प्रसाद खाने का महत्व है. इस दौरान जिले समेत पड़ोसी राज्य उत्तरप्रदेश के हजारों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचे थे. मेले में पॉकेटमारों ने जम कर हाथ साफ किया, जिससे मेले में महिलाएं खोयी वस्तु को खोजने के लिए परेशान रहीं. पॉकेटमारों ने कई श्रद्धालुओं के पर्स, नकदी रुपये, मोबाइल समेत अन्य वस्तुएं चुराने में सफल रहे.