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विद्यालय में घुसा पानी, बिन पढ़ाई घर लौटे छात्र

दो विद्यालय चलते हैं एक प्रांगण में, पहले ही दिन ठप रही पढ़ाई बक्सर : शहर के रामरेखा घाट स्थित कस्तूरबा मध्य विद्यालय और जवाहर प्राथमिक विद्यालय के प्रांगण में सोमवार को जलजमाव होने के कारण पूरी तरह पढ़ाई ठप हो गयी. ग्रीष्म अवकाश की छुट्टी समाप्त होने के बाद पहले दिन विद्यालय पहुंचे छात्र-छात्राओं […]

दो विद्यालय चलते हैं एक प्रांगण में, पहले ही दिन ठप रही पढ़ाई

बक्सर : शहर के रामरेखा घाट स्थित कस्तूरबा मध्य विद्यालय और जवाहर प्राथमिक विद्यालय के प्रांगण में सोमवार को जलजमाव होने के कारण पूरी तरह पढ़ाई ठप हो गयी. ग्रीष्म अवकाश की छुट्टी समाप्त होने के बाद पहले दिन विद्यालय पहुंचे छात्र-छात्राओं को वापस घर लौटना पड़ा. शिक्षक भी कुछ समय बाद वापस घर लौटे गये. स्थिति यह थी कि विद्यालय के प्रांगण और वर्ग कमरों में पूरी तरह पानी लगा हुआ था. यहां तक की विद्यालय में प्रवेश के लिए भी कोई जगह नहीं था.

बच्चे तो बाहर से ही विद्यालय का नजारा देख घर वापस चलते बने. जबकि शिक्षक विद्यालय पहुंचे, तो जैसे-तैसे विद्यालय में प्रवेश किये और स्थिति का जायजा लिये. शिक्षकों ने बताया कि पास में पानी टंकी है, जिससे पानी लिकेज होता है. पानी का ओवरफ्लो नालियों से होते हुए सीधे विद्यालय में प्रवेश कर जाता है. गलियों की स्थिति भी खराब है. नाली पूरी तरह से जाम है, जिसके कारण अक्सर विद्यालय में जलजमाव की स्थिति उत्पन्न होती है.

बरसात में अक्सर बंद रहता है विद्यालय : जवाहर प्राथमिकी विद्यालय और कस्तूरबा मध्य विद्यालय एक ही प्रांगण में चलता है. दोनों विद्यालयों को लेकर कुल करीब छह सौ विद्यार्थी पढ़ाई करते हैं.

दोनों विद्यालय भवनहीन हैं. कुछ समय पहले ही इन दोनों को रामरेखा घाट के समीप भूमि मिली है, लेकिन भवन निर्माण के लिए अब तक कुछ पहल नहीं हुआ है, जिसके कारण आज भी विद्यालय करकट की शेड में चलते हैं. विद्यालय के बच्चे व शिक्षकों को गरमी, ठंडा और बरसात में काफी परेशानी होती है. बरसात में यहां अक्सर जलजमाव के कारण परेशानी होती है और विद्यालय को बंद करना पड़ता है.

क्या कहते हैं प्रधानाध्यापक

प्राथमिक विद्यालय की प्रधानाध्यापिका अंजु कुमारी कहती हैं कि यहां अक्सर जलजमाव से परेशानी होती है. छात्र-छात्राओं को परेशान होना पड़ता है. विद्यालय में बैठने की भी समुचित जगह नहीं है. जलजमाव से कक्षाएं बाधित होती हैं. वहीं, कस्तूरबा मध्य विद्यालय के प्रधानाध्यापक कामेश्वर पांडेय से इस संबंध में कोई संपर्क नहीं हो सका.

क्या कहतीं हैं नप की चेयरमैन

चेयरमैन मीना सिंह ने कहा कि मुङो नाली जाम की कोई सूचना नहीं है. मीडिया के माध्यम से ही सूचना मिल रही है. नालियों की सफाई भी चल रही है. शीघ्र ही सफाई कर्मियों को भेज सफाई करायी जायेगी.

केसठ : रोहिणी नक्षत्र के समाप्ति के बाद किसानों को धान का बिचड़ा डालने के लिए पानी की चिंता सताने लगी है. पानी के अभाव में रोहिणी नक्षत्र में क्षेत्र के किसान बिचड़ा डालने से वंचित रह गये. किसानों के लिए यह नक्षत्र बिचड़ा डालने के लिए अच्छा माना जाता है तथा धान की पैदावार अच्छी होती है. भीषण गरमी के कारण प्रखंड के आहर, पोखर व तालाब सूख चुके हैं.

पानी का जल स्तर भी नीचे चला गया है.उधर नहरों में भी पानी नहीं आने के कारण अभी धूल उड़ रही है. किसान महंगे डीजल खरीद कर बिचड़ा डालने के लिए मजबूर हैं. रोहिणी नक्षत्र समाप्ति हो गया और किसान बादल को देख कर खुश हो जाते हैं, लेकिन पानी नहीं आने से थोड़ी ही देर में मायूस भी हो जाते हैं. विदित हो कि धान का गढ़ कहलानेवाले प्रखंड के किसानों की सुध लेनावाला कोई नहीं है. नहर विभाग चैन की वंशी बजा रहा है.

अभी तक डुमरांव रजवाहा में पानी नहीं आने के कारण प्रखंड के दर्जनों गांवों के किसान चिंतित व मायूस हैं. किसान रमेश चौधरी, शिवजी सिंह, दीप नारायण दुबे, समाजसेवी धनंजय आर्य का कहना है कि नहर विभाग की उदासीनता के कारण अभी तक किसान बिचड़ा नहीं डाल पाये हैं. जबकि सरकार किसानों के लिए सस्ते दर पर खाद, बीज समेत अन्य प्रकार की सुविधा दे रही है, लेकिन नहर में पानी नहीं आने के कारण भी बेकार है. समय रहते विभाग सतर्क नहीं हुआ, तो धान की फसल इस साल भी कमजोर होने की संभावना है.

क्या कहते हैं अधिकारी

कार्यपालक अभियंता अशोक कुमार वर्मा का कहना है कि पानी छोड़ा गया है, लेकिन कमजोर है. पानी की मात्र अधिक मिलते ही अंतिम टेल तक पानी पहुंचाने का प्रयास किया जायेगा. दो-तीन दिन में पानी की मात्र बढ़ने पर नहरों में छोड़ दिया जायेगा.

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