बक्सर : बिहार के खगड़िया जिले के धमारा घाट स्टेशन पर सोमवार को रेल हादसे में 28 लोगों के मारे जाने के बाद भी बक्सर रेलवे प्रशासन इससे सबक नहीं ले रहा है.
रोजाना जान जोखिम में डाल कर यात्री रेलवे ट्रैक पार करते देखे जा सकते हैं, लेकिन वहीं इसे रोकने के लिए न तो कोई योजना है न ही व्याप्त साधन. स्टेशन पर कुल तीन प्लेटफॉर्म है.
प्लेटफॉर्म की लंबाई अच्छी–खासी है, लेकिन लंबाई के अनुरूप ओवरब्रिज मात्र एक ही है, जिससे रोजाना आधा से अधिक यात्री ट्रैक पार कर प्लेटफॉर्म पर आते–जाते हैं. ओवरब्रिज प्लेटफॉर्म के मध्य में न होकर एक छोर पर स्थित है. ऐसे में पश्चिमी छोर से ओवरब्रिज की दूरी काफी लंबी होने के कारण यात्री मजबूरन ट्रैक पार कर प्लेटफॉर्म पर आते–जाते हैं. ऐसे में कभी भी कोई हादसा होने की आशंका बनी रहती है.
नहीं हुआ स्थायी निदान
ट्रैक पार करने का प्रचलन आम बात बन चुका है. इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि प्लेटफॉर्म संख्या एक पर स्थित जीआरपी थाने के समीप रोजाना यात्री ट्रैक पार करते देखे जा सकते हैं. हालांकि कई बार इसे रोकने के लिए जीआरपी के तरफ से कार्रवाई की गयी है, लेकिन अब तक रेलवे द्वारा समस्या का स्थायी निदान नहीं निकल पाया है.
स्टेशन पर ओवरब्रिज की आवश्यकता को देखते हुए रेलवे के महाप्रबंधक ने 15 मार्च 2013 को शिलान्यास किया था, लेकिन ओवरब्रिज का निर्माण कार्य अब तक शुरू नहीं हो पाया है. वहीं जून में पूर्व डीआरएम एलएम झा ने प्रेसवार्ता के दौरान ओवरब्रिज का निर्माण मार्च 2014 तक होने की बात कही थी.
उसके अनुसार अब महज छह माह का समय शेष है, जिसमें ओवरब्रिज तैयार करना है, लेकिन ओवरब्रिज के निर्माण को लेकर अब तक कोई सुगबुगाहट नहीं हो रही है. ऐसे में हजारों यात्री जान जोखिम में डाल कर ट्रैक पार करके आवागमन करने को मजबूर हैं.