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न किराया न मानदेय, कैसे चलेगा आंगनबाड़ी केंद्र

लापरवाही : पांच माह से सेविकाओं को नहीं मिल रहा वेतन, 22 माह से लंबित है भवनों का किराया जिले के आंगनबाड़ी सेविकाएं आर्थिक तंगी से जूझ रहीं हैं. सरकार की यह नौकरी अब इनके लिए आफत बनते जा रही है. अक्तूबर 2014 से ही भुगतान बंद होने से दशहरा, दीपावली और छठ जैसे पर्व […]

लापरवाही : पांच माह से सेविकाओं को नहीं मिल रहा वेतन, 22 माह से लंबित है भवनों का किराया
जिले के आंगनबाड़ी सेविकाएं आर्थिक तंगी से जूझ रहीं हैं. सरकार की यह नौकरी अब इनके लिए आफत बनते जा रही है. अक्तूबर 2014 से ही भुगतान बंद होने से दशहरा, दीपावली और छठ जैसे पर्व खाली-खाली बित गये हैं. अब इन्हें होली पर्व को लेकर चिंता है कि पैसा मिलेगा या नहीं
बक्सर : विगत पांच महीनों से जिले के आंगनबाड़ी केंद्र की सेविकाओं और सहायिकाओं को मानदेय का भुगतान नहीं हुआ है, जिसके कारण सेविका और सहायिका भुखमरी के कगार पर पहुंच चुकी हैं. पिछले वर्ष दशहरा, दीपावली एवं छठ पूजा यूं ही बीत गया. यदि मानदेय का भुगतान सही समय पर नहीं हुआ, तो शायद होली जैसा पर्व भी फाका कसी में बीत जायेगा. विभाग भुगतान के मामले में बिल्कुल निष्क्रिय बना हुआ है. सेविकाएं विभाग का दौड़ लगाते-लगाते थक चुकी हैं. बावजूद इसके अब तक भुगतान के मद में कोई कार्यवाही नहीं हुई है.
जिले में 1427 आंगनबाड़ी केंद्र हैं : जिले में करीब 1427 आंगनबाड़ी केंद्र हैं. जिन पर सेविका और सहायिका की नियुक्ति हैं. सदर प्रखंड में 235 सेविका और करीब 200 सहायिका हैं. विगत पांच महीने से भुगतान बकाया है. अंतिम बार सितंबर माह में भुगतान हुआ है. अक्तूबर से अब तक कोई भुगतान नहीं हुआ है. सरकार ने सेविका के मानदेय तीन हजार और सहायिका का मानदेय पंद्रह सौ रुपये तय किया है और इसी हिसाब से मानदेय का भुगतान होता है. मानदेय भुगतान नहीं होने के संबंध में सेविकाओं और सहायिकाओं का कहना है कि आंगनबाड़ी केंद्रों पर बच्चों को पढ़ाने से लेकर पोषाहार वितरण तक का कार्य किया जाता है, लेकिन मानदेय का भुगतान नहीं होने से मन निराश हो जाता है. भुगतान नहीं होने से आर्थिक संकट से जूझना पड़ रहा है.
नहीं दे रहे अधिकारी ध्यान : विभागीय सूत्रों के अनुसार जिले के आंगनबाड़ी केंद्रों की सेविका और सहायिकाओं को भुगतान देने के लिए विभाग में एलॉटमेंट नहीं आया है, जिसके कारण सेविका और सहायिकाओं का भुगतान बाधित है. सूत्रों की मानें तो विभागीय पदाधिकारियों की लापरवाही से इन्हें अब तक मानदेय नहीं मिल पाया है. पदाधिकारी मानदेय भुगतान के संबंध में ज्यादा प्रयास नहीं करते हैं. ऐसे में पांच महीनों का भुगतान रुका हुआ है. सूत्र बताते हैं कि यदि विभाग चाहता तो, अब तक भुगतान हो गया रहता, लेकिन ऐसा नहीं हुआ.
नहीं मिलेगा मानदेय, तो होगा आंदोलन : सदर प्रखंड की आंगनबाड़ी संघ की नेत्री पूनम देवी ने कहा कि होली पर्व अब तुरंत आनेवाला है. विगत कई माह से कई महत्वपूर्ण पर्व आये थे. तब भी मानदेय नहीं मिला, जिसके कारण जैसे-तैसे त्योहार मनाया गया था. अब होली त्योहार नजदीक है. ऐसे में प्रतीत हो रहा कि इस बार भी कहीं मानदेय का भुगतान न किया जाये. उन्होंने कहा कि यदि इस बार मानदेय भुगतान होली से पूर्व नहीं किया गया, तो आंदोलन का रुख अख्तियार करना पड़ेगा.
केंद्रों का भी नहीं मिल रहा किराया : एक तरफ जहां, जिले भर के आंगनबाड़ी केंद्रों का किराया बकाया है. वहीं, सेविका और सहायिकाओं को मानदेय भुगतान से आंगनबाड़ी के बेहतर संचालन पर प्रश्न खड़ा कर रहा है. केंद्रों का किराया डुमरांव में करीब 22 महीनों एवं बक्सर में करीब 12 महीनों से अधिक का बकाया है. दोनों समस्याओं से आंगनबाड़ी केंद्र की संचालिका जूझ रही हैं. मानदेय का भुगतान करीब 42 लाख रुपये बकाया है. जबकि किराया बकाया करीब 21 लाख से अधिक है.
क्या कहते हैं प्रभारी डीपीओ
प्रभारी डीपीओ अनिल कुमार ने बताया कि अब तक उच्च विभाग से एलॉटमेंट नहीं आया है. एलॉटमेंट के लिए विभागीय कार्यवाही चल रही है. शीघ्र ही आने की उम्मीद है, लेकिन होली पर्व में आयेगा या नहीं इसके बारे में कुछ नहीं कहा जा सकता है. वहीं, किराया भुगतान के संबंध में बताया कि सभी प्रखंड के सीडीपीओ को यह निर्देश दिया गया है कि हर मकान मालिक का एकाउंट नंबर विभाग में उपलब्ध कराया जाये. ताकि केंद्र का किराया सीधे उनके खाते में जा सके.

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