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बक्सर : विश्वामित्र की नगरी बक्सर में सिंचाई और बंद पड़ी मिल भी है चुनावी मुद्दा

बक्सर लोकसभा सीट पर एनडीए और महागठबंधन में सीधी टक्कर मृत्युंजय सिंह बक्सर : हार और यूपी के बॉर्डर पर बसे विश्वामित्र की नगरी बक्सर लोकसभा क्षेत्र की अर्थव्यवस्था मुख्य रूप से खेती-बाड़ी पर आधारित है. प्राचीनकाल में इसका नाम व्याघ्रसर था, क्योंकि उस समय यहां पर बाघों का निवास हुआ करता था. आज के […]

बक्सर लोकसभा सीट पर एनडीए और महागठबंधन में सीधी टक्कर
मृत्युंजय सिंह
बक्सर : हार और यूपी के बॉर्डर पर बसे विश्वामित्र की नगरी बक्सर लोकसभा क्षेत्र की अर्थव्यवस्था मुख्य रूप से खेती-बाड़ी पर आधारित है. प्राचीनकाल में इसका नाम व्याघ्रसर था, क्योंकि उस समय यहां पर बाघों का निवास हुआ करता था. आज के हालात में बाघ तो नहीं दिखते, मगर नीलगायों के आतंक से किसान जरूर परेशान हैं.
धर्म की नगरी बक्सर में ही ताड़का राक्षसी का वध राम ने किया था, ताड़का को तो मोक्ष प्राप्त हो गया, मगर यहां के किसान पानी के लिए अब भी तड़पते हैं. बिहार निर्माण और संविधान सभा के अंतरिम अध्यक्ष रहे डाॅ सच्चिदानंद सिन्हा और दुनिया भर में प्रसिद्ध उस्ताद बिस्मिलाह खान के बक्सर में कर्मनाशा नदी पर पंप कैनाल की मांग भी चुनावी मुद्दा है. बक्सर में सातवें चरण में चुनाव होना है. यहां एनडीए से भाजपा के मौजूदा सांसद अश्विनी कुमार चाैबे और राजद के वरिष्ठ नेता जगदानंद सिंह में सीधी टक्कर के आसार हैं.
कर्मनाशा पर पंप कैनाल के बन जाने से राजपुर प्रंखड के हजारों एकड़ भूमि की सिंचाई हो सकती है. इसके निर्माण होने से किसानों की भूमि बंजर होने से बच सकती है. इस चिर-परिचित मांग को लेकर किसान सड़क पर भी उतर चुके हैं. नवानगर में मलियाबाग के पास कवई नदी पर मलई बराज योजना का काम यदि पूरा हो जाता है, तो जिले के बड़े भूभाग, नावानगर, केसठ, चौगाईं एवं ब्रह्मपुरप्रखंड के खेतों के पानी की कमी दूर हो जायेगी. इस परियोजना का निर्माण कार्य पूरा कराने के लिए क्षेत्र के किसानों ने सरकार का ध्यान आकृष्ट कराने को लेकर लगातार मलई बराज फुटबॉल मैच का आयोजन, हस्ताक्षर अभियान एवं किसान आंदोलन भी किया. योजना में काम तो लगा है, मगर गति काफी धीमी है. जिसे लेकर किसानों में आक्रोश है.
जनप्रतिनिधियों से परियोजना को पूरा कराने को लेकर किसान की मांग जायज है. वहीं, दियारा इलाके में सीमा विवाद का मामला भी चुनावी मुद्दा बनता रहा है, जिसका अब तक समाधान नहीं हो सका है. यहां के चक्की, सिमरी, ब्रह्मपुर इलाके में सिंचाई की सुविधा नहीं होने से किसान की खेतों में दरार उभर आते हैं.
किसानों के लिए परेशानी बनी नीलगाय की समस्या पर विधानसभा में आवाज भी बुलंद हो चुकी है. मगर अब तक स्थायी समाधान नहीं निकल पाया है. दियारा के लोगों को सूखा व बाढ़ दोनों की मार झेलनी पड़ती है. 2011 की जनगणना के अनुसार बक्सर की जनसंख्या 24 लाख, 73 हजार, 953 है. जिसमें 92 प्रतिशत जनसंख्या गांवों में निवासी करती है. मात्र 8 फीसदी की आबादी ही शहरों में बसती है.
लालटेन फैक्टरी व सूत मिल बंद होने से हजारों हुए बेरोजगार
डुमरांव महाराज कमल सिंह बक्सर संसदीय क्षेत्र से पहली बार 1952 में निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में जीतकर संसद पहुंचे. दूसरी बार 1957 में फिर बक्सर लोकसभा का निर्दलीय चुनाव जीत गये. इसके बाद क्षेत्र के औद्योगिक विकास की गति प्रदान की. मगर बाद के चुनावों में उन्हें हार का सामना करना पड़ा. 1966 में डुमरांव टेक्सलाइल्स लिमिटेड की 12 हजार तकली (स्पिंडस) के साथ स्थापना की गयी, जिसे 1968 में चालू किया गया. तत्कालीन मुख्यमंत्री केबी सहाय ने 15 अप्रैल, 1966 को इसका शिलान्यास किया था.
जबकि उद्घाटन 6 दिसंबर, 1968 में बिहार के तत्कालीन राज्यपाल नित्यानंद कानूनगो ने किया था. कमल सिंह ने डुमराव में लालटेन फैक्टरी भी स्थापित की थी. मगर बाद के दिनों में इन दोनों उद्योगों के बंद हो जाने से हजारों लोगों का रोजगार छिन गया.
इतिहास के पन्नों में बक्सर
बिहार और यूपी के बाॅर्डर पर बसे विश्वामित्र की नगरी बक्सर किसी पहचान का मोहताज नहीं है. 22 अक्टूबर, 1764 में बक्सर का युद्ध और हुमायूं और शेरशाह सूरी के बीच 27 जून, 1539 को चौसा युद्ध इतिहास में दर्ज है. इस युद्ध में हुमायूं पराजित हो गया था और उसे जान बचाकर भागना पड़ा था. वह अपने घोड़े के साथ गंगा में कूद पड़ा था और एक भिश्ती की मदद से डूबने से बच गया. बाद में हुमायूं ने प्रसन्न होकर उस भिश्ती को एक दिन का दिल्ली का निजाम सौंप दिया था.

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