बक्सर : कोई भी बेसहारा बिना छत के न सोये, खास तौर पर सर्द रातों में लोगों के सिर पर छत रह सके, जिससे वह इस सर्दी में परेशान न हों. मगर नगर पर्षद के जिम्मेदार सरकार की योजनाओं को पलीता लगाने में लगे हुए हैं. आलम यह है कि शहर में एक भी रैन […]
बक्सर : कोई भी बेसहारा बिना छत के न सोये, खास तौर पर सर्द रातों में लोगों के सिर पर छत रह सके, जिससे वह इस सर्दी में परेशान न हों. मगर नगर पर्षद के जिम्मेदार सरकार की योजनाओं को पलीता लगाने में लगे हुए हैं. आलम यह है कि शहर में एक भी रैन बसेरा नहीं है. सर्दी में गरीब कांप रहे हैं. गुरुवार की रात रामरेखा घाट पर कई ऐसे लोग मिले जिन्होंने आसमान को चादर और धरती को बिछौना बनाकर सोये हुए थे. ठंड न लगे इसके लिए उन्होंने पॉलीथिन से अपने शरीर को ढक कर रखे थे.
कड़ाके की ठंड में सड़क किनारे फुटपाथ पर रात गुजारनेवाले लोगों की जान दो तरफ से खतरे में है. एक तरफ जहां सर्द हवाओं के बीच रात भर ठिठुरने को मजबूर हैं, वहीं दूसरी तरफ रात के समय तेज रफ्तार वाहन चलानेवाले गाहे-बगाहे फुटपाथ पर सोनेवाले इन लाचार लोगों को अपना शिकार बना लेते हैं.
पुराने रैन बसेरे पर दुकानदारों ने जमाया कब्जा : पूछताछ के दौरान एक रिक्शाचालक ने बताया कि स्टेशन रोड में कवलदह पोखरे के पास गरीबों के रात्रि विश्राम के लिए नगर पर्षद द्वारा रैन बसेरा बनाया गया था लेकिन अब वहां पर दुकानदारों ने अपना कब्जा जमा लिया है. रैन बसेरे में चार दुकानें खोल दी गयी हैं. लोगों की मानें तो नगर पर्षद द्वारा दुकानें आवंटित की गयी हैं.
रामरेखा घाट: प्रभात खबर की टीम सबसे पहले रामरेखा घाट पहुंची, जहां गंगा तट को जानेवाले रास्ते पर दस की संख्या में गरीब लोग फुटपाथ पर सोये हुए थे. उनके पास सिर ढकने के लिए पर्याप्त बिछावन भी नहीं था. रामरेखा घाट पर मुटूर देवी मिलीं जो किसी तरह गंगा में स्नान करते वक्त छोड़े गये कपड़ों के सहारे ठंड काटती मिलीं. इनकी हालत काफी दयनीय थी. इनके बगल में इनकी 10 वर्षीय बच्ची भी सीने से लिपट कर सोयी हुई थी.
वक्त-9.42 रात
स्पॉट-रामरेखा घाट : रामरेखा घाट पर सरजू मिले, जो प्लास्टिक अपने शरीर के ऊपर डाले हुए थे. उनसे जब पूछा गया तो उन्होंने कहा कि उन्हें देखनेवाला कोई नहीं है. किसी तरह ठंड काटने के लिए प्लास्टिक अपने शरीर पर डाले हैं.
वक्त-9.47 रात
स्पॉट-बुनियादी विद्यालय : बुनियादी विद्यालय के समीप रिक्शाचालक मिले जो किसी तरह आग जलाकर ठंड से निजात पाने की कोशिश कर रहा था. उसने बताया कि कहीं भी रैन बसेरा नहीं है, जहां अपने सिर को एक छत के नीचे छुपा सकें.
ठंड से बचने के लिए स्टेशन पर कई रिक्शाचालक और दतून बेचनेवाले दुकानदार प्लास्टिक और कंबल ओढ़कर खुले आसमान के नीचे सोये हुए थे. रैन बसेरा नहीं रहने के कारण उन्हें काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है.
क्या कहते हैं जिम्मेदार
शहर में वर्तमान में कहीं भी रैन बसेरा नहीं है. किला मैदान के जीप स्टैंड के समीप रैन बसेरा का निर्माण कराया जा रहा है, जिससे गरीबों को राहत मिलेगी. निर्माण की प्रक्रिया अंतिम चरण में है. साल के अंत तक इसे गरीबों के लिए सुपुर्द कर दिया जायेगा. उन्होंने कहा कि जो भी पुराना रैन बसेरा हैं उन पर जिन दुकानदारों ने कब्जा जमाया है उनकी जांच कर नोटिस किया जायेगा.
राजीव कुमार, कार्यपालक पदाधिकारी नगर पर्षद, बक्सर