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जनसंख्या वृद्धि को रोकने में महिलाएं आगे

बक्सर : बढ़ती जनसंख्या को रोकने के लिए महिलाएं आगे आ रही हैं. महिलाओं के अपेक्षा पुरुष इस मामले में काफी पीछे हैं. बक्सर जिले में महज 2016-17 में 160 पुरुषों ने नसबंदी करायी है, जो महिलाओं के नसबंदी के अपेक्षा एक प्रतिशत है. जनसंख्या वृद्धि को रोकने के मामले में पुरुषों के पास जागरूकता […]

बक्सर : बढ़ती जनसंख्या को रोकने के लिए महिलाएं आगे आ रही हैं. महिलाओं के अपेक्षा पुरुष इस मामले में काफी पीछे हैं. बक्सर जिले में महज 2016-17 में 160 पुरुषों ने नसबंदी करायी है, जो महिलाओं के नसबंदी के अपेक्षा एक प्रतिशत है. जनसंख्या वृद्धि को रोकने के मामले में पुरुषों के पास जागरूकता की कमी है.

वहीं, जिले की महिलाएं परिवार नियोजन के प्रति जागरूक हैं. पिछले वित्तीय वर्ष में 2016-17 में पूरे जिले भर के सरकारी अस्पतालों में 5690 महिलाओं ने बंध्याकरण कराया है. जबकि 160 पुरुष ही नसबंदी करा पाये हैं. विभाग के अधिकारी ने बताया कि महज 20 से 30 पुरुष ही नसबंदी करा पाते हैं. बंध्याकरण को लेकर अस्पताल के साथ-साथ शिविर का भी आयोजन किया जाता है. इसमें भी महिलाओं की ही भागीदारी दिखती है.

पुरुषों को लगता है नसबंदी से डर : नसबंदी नहीं कराने के पीछे पुरुषों में हमेशा भय का माहौल रहता है. उनको लगता है कि नसबंदी कराने से उनकी ताकत खत्म हो जायेगी. जबकि ऐसी कोई बात नहीं है. प्रभात खबर ने दस पुरुषों से यह सवाल पूछे जिसमें सभी ने एक ही जैसा जवाब दिया. इससे एक बात तो साफ हो गयी कि पुरुषों में इसको लेकर जागरूकता नहीं है, जिस कारण नसबंदी नहीं कराते हैं.
जागरूकता के लिए चलाया जायेगा अभियान : परिवार नियोजन के लिए सरकार की ओर से प्रचार-प्रसार कराया जा रहा है. बंध्याकरण कराने पर महिलाओं को राशि दी जाती है. वहीं, बंध्याकरण करनेवाले डॉक्टर को 325 रुपये, एनथेसिया के डॉक्टर को 75 एवं नर्स तथा एएनएम को 50 दिये जाते हैं. एक नसबंदी पर सरकार को चार हजार रुपये खर्च आता है, जिसमें से मोटी रकम नसबंदी करानेवाले व्यक्ति को दी जाती है.
प्रखंडवार महिला पुरुषों
ब्रह्मपुर 8070 80
केसठ 1260 126
इटाढ़ी 6430 00
चौसा 3950 00
नावानगर 5470 00
चौगाईं 1440 00
डुमरांव 582 00
नसबंदी से पुरुषों को नहीं होती परेशानी
नसबंदी कराने से शरीर पर किसी प्रकार का कोई बुरा असर नहीं पड़ता है. ऑपरेशन की प्रक्रिया काफी सरल है. ऑपरेशन के कुछ देर बाद से ही सारा काम किया जा सकता है.
डॉक्टर अनिल सिंह, सदर अस्पताल

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