आरा : स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार के सरकार के दावे के बावजूद जिले में स्वास्थ्य सेवा चरमरा गयी है. प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों की कौन कहे, जिले के सबसे बड़े सरकारी सदर अस्पताल में विशेषज्ञ चिकित्सकों की काफी कमी है. इससे जिले के मरीजों खास कर गरीब मरीजों को काफी परेशानी हो रही है. चिकित्सकों की कमी के कारण इलाज करने की जगह मरीजों को पटना रेफर कर दिया जा रहा है. इससे उन्हें काफी आर्थिक, शारीरिक व मानसिक परेशानी हो रही है, जबकि सरकार स्वास्थ्य सुविधाओं में बेहतरी के लिए लगातार प्रयास कर रही है, पर चिकित्सकों के अभाव में बेहतर स्वास्थ्य सेवा मिलना नामुमकिन हो गया है.
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कुव्यवस्था. विशेषज्ञ डॉक्टरों की कमी झेल रहा सदर अस्पताल
आरा : स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार के सरकार के दावे के बावजूद जिले में स्वास्थ्य सेवा चरमरा गयी है. प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों की कौन कहे, जिले के सबसे बड़े सरकारी सदर अस्पताल में विशेषज्ञ चिकित्सकों की काफी कमी है. इससे जिले के मरीजों खास कर गरीब मरीजों को काफी परेशानी हो रही है. चिकित्सकों की […]
कई विभागों में अधिक हैं विशेषज्ञ : सदर अस्पताल के लिए तीन फिजिशियन विशेषज्ञों के पद स्वीकृत हैं, पर चार विशेषज्ञ कार्यरत हैं. वहीं, जेनरल सर्जन के तीन स्वीकृत पद के विरुद्ध चार विशेषज्ञ डॉक्टर कार्यरत हैं. शिशु रोग विशेषज्ञ के लिए स्वीकृत एक पद के विरुद्ध तीन विशेषज्ञ चिकित्सक कार्यरत हैं, जबकि हड्डी रोग विशेषज्ञ दो चिकित्सकों के विरुद्ध पांच विशेषज्ञ चिकित्सक कार्यरत हैं. इससे सरकार को भी राजस्व की क्षति हो रही है. वहीं, मरीजों को भी समानुपातिक सेवा नहीं मिल पा रही है.
महिला मरीजों को ज्यादा परेशानी : सदर अस्पताल में स्त्री रोग विशेषज्ञ महिला चिकित्सकों के छह पद स्वीकृत हैं, पर एक भी विशेषज्ञ महिला चिकित्सक कार्यरत नहीं हैं. इससे महिला मरीजों का इलाज करना यहां काफी मुश्किल हो गया है. विशेषज्ञ महिला चिकित्सकों के नहीं रहने के कारण महिला मरीजों को हमेशा खतरे का भय बना रहता है.
योजना के अनुसार स्वास्थ्य सेवा नहीं है उपलब्ध : केंद्रीय स्वास्थ्य मिशन योजना के तहत दस हजार पर स्वास्थ्य केंद्र लोगों को उपलब्ध कराना है. वहीं, 25 हजार की जनसंख्या पर कम्युनिटी हेल्थ सेंटर उपलब्ध कराना है, पर जिले में मानक के अनुसार स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध नहीं है. इससे जिले के मरीजों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. सक्षम लोग तो निजी नर्सिंग होम में किसी तरह इलाज करा भी लेते हैं, पर गरीबों के भलाई की ढोल पीटने वाली सरकार उनके लिए बेहतर स्वास्थ्य सेवा भी उपलब्ध नहीं करा पायी है. गरीबी के बोझ तले दबे मरीज चिकित्सा के लिए पटना रेफर होने पर दोहरे परेशानी झेलने लगते हैं.
महिला विशेषज्ञों के छह पद, बहाल एक भी नहीं
स्वीकृत पद से काफी कम हैं विशेषज्ञ
आरा सदर अस्पताल में विशेषज्ञ मनोचिकित्सक का एक पद स्वीकृत है, पर अस्पताल में कोई मनोचिकित्सक पदस्थापित नहीं हैं. इएनटी विशेषज्ञ डॉक्टर का जहां छह पद स्वीकृत हैं, वहां एक भी इस विभाग के चिकित्सक पदस्थापित नहीं हैं. रेडियोलॉजिस्ट विभाग के लिए एक विशेषज्ञ चिकित्सक का पद स्वीकृत है, पर विभाग में एक भी चिकित्सक की पदस्थापना नहीं हुई है. वहीं, माइक्रो बायोलॉजिस्ट चिकित्सक के स्वीकृत एक पद के स्थान पर एक भी चिकित्सक उपलब्ध नहीं हैं. पैथोलॉजिस्ट विभाग के लिए दो विशेषज्ञ चिकित्सकों की जगह मात्र एक चिकित्सक कार्यरत हैं. चार आयुष चिकित्सकों की जगह दो आयुष चिकित्सक ही कार्यरत हैं.
आंकड़ों में जानें अस्पताल की स्थिति
विशेषज्ञ मनोचिकित्सक
स्वीकृत पद : 01 पदस्थापित : 0
इएनटी विशेषज्ञ
स्वीकृत पद : 06 पदस्थापित : 0
रेडियोलॉजिस्ट विशेषज्ञ
स्वीकृत पद : 01 पदस्थापित : 0
माइक्रो बायोलॉजिस्ट
स्वीकृत पद : 01 पदस्थापित : 0
पैथोलॉजिस्ट विशेषज्ञ
स्वीकृत पद : 02 पदस्थापित : 01
आयुष चिकित्सक
स्वीकृत पद : 04 पदस्थापित : 02
चिकित्सकों की पदस्थापना सरकार के स्तर से होती है. जिनकी पदस्थापना होती है, उन्हीं से बेहतर ढंग से काम चलाया जाता है. इस संबंध में मुख्यालय को पत्र भेजा गया है.
डॉ रासबिहारी सिंह, सिविल सर्जन
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