प्रदर्शन. मांगों को लेकर 24 मार्च से हैं हड़ताल पर
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आंगनबाड़ी सेविकाओं का धरना रहा जारी
प्रदर्शन. मांगों को लेकर 24 मार्च से हैं हड़ताल पर आश्वासन के बावजूद उनकी सेवा अब तक नियमित नहीं हो सकी आरा/पीरो/शाहपुर : जिले के विभिन्न प्रखंडों में 16 सूत्री मांगों को लेकर गत 24 मार्च से हड़ताल पर गयीं आंगनबाड़ी सेविकाओं और सहायिकाओं का धरना-प्रदर्शन जारी रहा. जिले भर में आंगनबाड़ी केंद्र बंद रहे […]
आश्वासन के बावजूद उनकी सेवा अब तक नियमित नहीं हो सकी
आरा/पीरो/शाहपुर : जिले के विभिन्न प्रखंडों में 16 सूत्री मांगों को लेकर गत 24 मार्च से हड़ताल पर गयीं आंगनबाड़ी सेविकाओं और सहायिकाओं का धरना-प्रदर्शन जारी रहा. जिले भर में आंगनबाड़ी केंद्र बंद रहे और सेविका-सहायिका ने धरना दिया. सदर प्रखंड मुख्यालय में धरना के दौरान जम कर नारेबाजी की गयी. वहीं पीरो में सीडीपीओ कार्यालय के समक्ष धरना-प्रदर्शन किया गया. पीरो में आंगनबाड़ी सेविका-सहायिका संघ की अध्यक्ष सरिता कुमारी व सचिव अबिया खानम के नेतृत्व में धरना- प्रदर्शन कर रहीं सेविका व सहायिकाओं ने कहा कि सरकार हमारी लगातार उपेक्षा करती आ रही है.
एक तो हमें इतना कम मानदेय मिलता है कि उससे घर-परिवार चलाना कतई संभव नहीं है, दूसरी ओर गत 13 माह से मानदेय का भुगतान नहीं किया गया है. इस कारण सेविका-सहायिकाओ के समक्ष भुखमरी की स्थिति में आ गयी है. दूसरे राज्यों में जहां सेविकाओं को सात हजार रुपये और सहायिकाओं को 45 सौ रुपये मानदेय मिलता है, वहीं यहां आधे से भी कम मानदेय दिया जाता है. ऊपर से वरीय अधिकारियों द्वारा हर समय चयन मुक्ति का भय दिखा कर उन्हें प्रताड़ित किया जाता रहा है.
सरकार के आश्वासन के बावजूद उनकी सेवा अब तक नियमित नहीं हो सकी. ऐसे में उनकी सेवा कब समाप्त हो जाये, कहा नहीं जा सकता है. सेविकाओं ने कहा कि सरकार उनकी मांगों पर सहानुभूतिपूर्वक विचार करे, अन्यथा अपने हक के लिए यह आंदोलन जारी रहेगा. यहां प्रदर्शन में शामिल सेविकाओं में मंजू सिंह, प्रेमलता, प्रभावती सिंह, हुस्नो बानो, किरण कुमारी, प्रमिला कुमारी आदि प्रमुख थी. जबकि शाहपुर में मोदी-नीतीश खोल लो कान, नहीं तो होगी नींद हराम के नारे के साथ प्रखंड के बाल विकास परियोजना कार्यालय के समक्ष धरना-प्रदर्शन का कार्यक्रम जारी रखा.
सेविका संघ के प्रखंड अध्यक्ष गीता पांडे एवं सचिव रूमी मिश्रा ने कहा कि इस बार आरपार की लड़ाई लड़ी जायेगी. पारिश्रमिक के तौर पर जो मानदेय हमें दिया जा रहा है वह काफी कम है. वहीं सीमा कुमारी, मुन्नी ओझा तथा शोमा केसरी ने कहा कि सरकार ने तीन हजार रुपये मानदेय जो निर्धारित किया है, वह श्रम एवं मानवाधिकार कानून दोनों का ही उल्लंघन है.धरना-प्रदर्शन में ज्ञानती देवी, प्रतिमा मिश्रा, राजेश्वरी देवी, रिंकू देवी, किरण देवी, नूतन गुप्ता, ऊष्मा मिश्रा, सुनीता देवी सहित कई सेविकाएं एवं सहायिकाएं शामिल थीं.
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