आरा : नगर की सड़कों पर कचरा पसरा रहता है. हर सड़क कचरे का मूकगवाह बनी हुई है. इससे नगरवासी काफी परेशान हैं, पर नगर निगम को इसकी कोई परवाह नहीं है. नगर निगम लगातार आराम फरमा रहा है. एक तरफ सरकार स्वच्छता अभियान पर जोर दे रही है, ताकि लोगों को सुविधा हो सके तथा गंदगी से होनेवाली बीमारियों व अन्य परेशानियों से मुक्ति मिल सके. सरकार की अति महत्वाकांक्षी योजना स्वच्छता बनी हुई है. इसके तहत खुले में शौच से मुक्ति, सड़कों की सफाई सहित कई कार्य किये जा रहे हैं, पर नगर निगम इससे अनभिज्ञ अपना पुराना राग अलाप रहा है, जबकि सफाई के नाम पर लाखों रुपये खर्च किये जा रहे हैं, पर धरातल पर गंदगी का साम्राज्य दिख रहा है. कहने को नगर केंद्र सरकार की स्मार्ट सिटी योजना में शामिल है, पर गंदगी की हालात देखकर इसकी कल्पना नहीं की जा सकती है कि स्मार्ट सिटी का लाभ लेनेवाले नगर की इस तरह बदतर स्थिति हो सकती है.
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सफाई पर लाखों खर्च, सड़कों पर कूड़े का ढेर
आरा : नगर की सड़कों पर कचरा पसरा रहता है. हर सड़क कचरे का मूकगवाह बनी हुई है. इससे नगरवासी काफी परेशान हैं, पर नगर निगम को इसकी कोई परवाह नहीं है. नगर निगम लगातार आराम फरमा रहा है. एक तरफ सरकार स्वच्छता अभियान पर जोर दे रही है, ताकि लोगों को सुविधा हो सके […]
योजना पूरी करने पर मिलना था सौ करोड़ का अतिरिक्त लाभ: केंद्र सरकार द्वारा स्मार्ट सिटी योजना के तहत मानदंड पूरा करने पर सौ करोड़ का अतिरिक्त सहयोग देने की बात कही गयी थी. इसके तहत पटना सहित कई नगर निगमों को सौ करोड़ की अतिरिक्त राशि प्राप्त हो चुकी है, पर आरा नगर निगम प्रशासन द्वारा लापरवाही करने के कारण निगम इस राशि से वंचित हो गया.
नियमित रूप से नहीं की जाती है सफाई: नगर निगम द्वारा सड़कों की सड़कों की सफाई नियमित रूप से नहीं की जाती है. इससे सड़कों पर तथा सड़कों के किनारे पसरे कचरे से लोगों को काफी परेशानी हो रही है. कचरे की दुर्गंध से आने-जाने में काफी परेशानी हो रही है. फिर भी निगम सुस्त पड़ा हुआ है. निगम के गठन के शुरुआती दौर में प्रतिदिन रात में कूड़ा को उठाया जाता था. इसके लिए बड़ी गाड़ी का उपयोग होता था. इससे सफाई व्यवस्था काफी अच्छी होती थी, पर विगत तीन से चार वर्षों से एक तरफ सफाई नहीं की जाती है. वहीं दूसरी तरफ गाड़ी से कूड़े का उठाव नहीं किया जाता है. इसे लेकर नगरवासियों में काफी आक्रोश बना हुआ है.
बीमारी फैलने का बना रहता है भय: सड़कों पर पसरे कचरे के कारण हमेशा बीमारी फैलने का भय बना रहता है. कचरे से कई तरह के जीवाणुओं के पैदा होने से कभी भी बीमारी होने की स्थिति बनी रहती है. हर जगह कचरे का साम्राज्य बना रहता है.
अभी तक नहीं बनाया गया स्थायी कचरा डंपिंग प्वाईंट: नगर निगम की लापरवाही का आलम यह है कि निगम बनने के 10 वर्ष के बाद भी स्थाई कचरा डंपिंग पॉइंट नहीं बनाया गया है .इस कारण नगर निगम द्वारा सड़कों के किनारे कचरा डाल दिया जाता है, जो नियम के विरुद्ध है. इतना ही नहीं निजी जमीनों में भी कचरा निगम द्वारा फेंक दिया जाता है .निगम की दादागिरी से नगरवासी काफी परेशान हैं. निजी जमीन में मना करने पर भी कचरा फेंकने का सिलसिला जारी है.
सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट की नहीं हुई व्यवस्था: बार-बार घोषणा करने के बाद भी सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट की व्यवस्था नगर निगम द्वारा अभी तक नहीं की गई है. जबकि नगर की सफाई पर प्रतिमा ह लाखों रुपये खर्च किये जाते हैं .वहीं निगम में सैकड़ों सफाई कर्मचारी हैं, पर सफाई कर्मचारी यदा-कदा ही सड़कों पर निकलते हैं और सफाई करते हैं. इस कारण मुख्य सड़कों सहित मुहल्लों की सड़कें व नालियां काफी गंदी रहती हैं.
सुविधा देने वाले बन रहे हैं रोड़ा: नगर निगम को गाढ़ी कमाई में से काफी राशि सुविधा के लिए टैक्स के रूप में नगरवासियों द्वारा दिये जाने के बाद भी उन्हें सुविधा नहीं दी जा रही है. सुविधा देने के लिए स्थापित नगर निगम ही नगर वासियों की सुविधा में रोड़ा बन रहा है. वहीं कभी नालियों की सफाई की जाती है तो उसका कचरा निकाल कर बाहर रख दिया जाता है. उसे सफाईकर्मी उठाकर नहीं ले जाते. इस कारण कचरा फिर से नाली में गिर जाता है और जाम की समस्या उत्पन्न हो जाती है.
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