आरा : इन दिनों पैसेंजर ट्रेनों से यात्रा करनेवाले लोगों को जोड़ीदार खोजने पर ही रेलवे द्वारा जनरल टिकट दिया जा रहा है. यह बात सुनने में अटपटता जरूर लग रहा है, लेकिन इन दिनों पटना-मुगलसराय रेलखंड पर पड़नेवाले रेलवे स्टेशनों पर अासानी से यह नजारा देखने को मिल जायेगा. दरअसल, जनरल काउंटर पर रौल […]
आरा : इन दिनों पैसेंजर ट्रेनों से यात्रा करनेवाले लोगों को जोड़ीदार खोजने पर ही रेलवे द्वारा जनरल टिकट दिया जा रहा है. यह बात सुनने में अटपटता जरूर लग रहा है, लेकिन इन दिनों पटना-मुगलसराय रेलखंड पर पड़नेवाले रेलवे स्टेशनों पर अासानी से यह नजारा देखने को मिल जायेगा. दरअसल, जनरल काउंटर पर रौल की भारी कमी हो गयी है.
हालांकि रेलवे अधिकारी रौल की कमी से इनकार कर रहे हैं. वहीं एक साथ जाने या एक ही स्टेशन पर जाने के लिए लाइन लगनेवाले लोगों को रेलकर्मी अलग-अलग टिकट देने से इनकार कर दे रहे हैं. स्थिति ये है कि दो- तीन लोगों को एक ही टिकट पर मजबूरी में यात्रा करनी पड़ रही है. इसके कारण आये दिन मारपीट की घटनाएं होती रहती हैं. गत दिनों वीरपुर गांव के जाने-माने फुटबॉल खिलाड़ी सतेंद्र सिंह अपने परिवार के साथ यात्रा कर रहे थे. उनको छह टिकट पैसेंजर ट्रेनों का लेना था. उन्होंने अलग-अलग टिकट देने की गुजारिश की, लेकिन उन्हें ये कहते है हुए टिकट नहीं दिया गया कि रौल की कमी है.
पेपर लेस पर रेलवे दे रहा जोर : रेलवे इन दिनों पेपरलेस करने पर पूरा जोर दे रहा है. रेलवे के एक कर्मी ने बताया कि वे लोग डिवीजन कार्यालय में रौल के लिए रोजाना जाते हैं, लेकिन रॉल वहीं से ही कम दिया जा रहा है. ऐसे में वे लोग पूरा प्रयास करते हैं कि एक साथ यात्रा करनेवाले लोगों को एक ही टिकट दिया जाये. हालांकि इस रेलवे कॉमर्शियल विभाग के अधिकारी रौल की कमी से इनकार करते हैं.
टेंडर खत्म होने के बाद से बढ़ी समस्या : रेलवे द्वारा ग्रेड सी व इ रेलवे स्टेशनों की टिकट बुकिंग की सेवा को प्राइवेट व्यक्ति को दो साल पहले दिया था. करीब छह माह पहले ही यह टेंडर खत्म हो गया. इसके बाद पैनल में काम करनेवाले कर्मी ही टिकटों की बुकिंग करने को मजबूर हैं. प्रभात खबर की पड़ताल में यह बात सामने आयी है कि रेलवे स्टेशन पर कार्यरत स्टेशन मास्टर पैनल चलाने व टिकटों की बुकिंग की वजह से काफी प्रेशर में है. नाम नहीं उजागर करने की शर्त पर एक एसएम ने बताया कि इस रूट पर रोजाना डेढ़ सौ ज्यादा ट्रेनें गुजरती हैं. ऐसे में ऑल राइट सिग्नल देना, पैनल चलाना व ट्रेनों के आने पर टिकट भी काटना पड़ता है. इसके कारण यह समस्या गंभीर
हो गयी है.
जोड़ीदार खोजने पर ही रेलवे द्वारा यात्रियों को दिया जा रहा टिकट
मंडल कार्यालय द्वारा रॉल नहीं दिये जाने से बिना टिकट यात्रा कर रहे लोग
क्या कहते हैं अधिकारी
रौल की कमी नहीं है. यात्रियों की मांग के अनुरूप टिकट दिया जाता है. इस मामले की जांच की जा रही है. प्रयास है कि यात्रियों को कोई परेशानी न हो.
संजय प्रसाद, पीआरओ, दानापुर डिवीजन