रमजान मुबारक. रोजा रखनेवालों को इस महीने में खुद अल्लाह देते हैं सवाब
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किस्मतवालों को नसीब होता है रमजान
रमजान मुबारक. रोजा रखनेवालों को इस महीने में खुद अल्लाह देते हैं सवाब भागलपुर : खुदा का पाक महीना है रमजान. इस माह को बरकत, रहमत व मगफिरत का महीना भी कहा जाता है. किस्मतवालों को ही रमजान का पाक माह नसीब होता है. इस माह की खास इबादत रोजा रखना व तराबीह पड़ना है. […]
भागलपुर : खुदा का पाक महीना है रमजान. इस माह को बरकत, रहमत व मगफिरत का महीना भी कहा जाता है. किस्मतवालों को ही रमजान का पाक माह नसीब होता है. इस माह की खास इबादत रोजा रखना व तराबीह पड़ना है. रोजेदारों को रोजे रखने का सवाब खुद अल्लाह देते है. इस माह का एक-एक पल रोजेदारों के लिए खास मुकाम रखता है. एक के बदले 70 गुना सवाब मिलता है. उक्त बातें मदरसा जामिया शहबाजिया के हेड शिक्षक मुफ्ती मौलाना फारूक आलम अशरफी ने कही.
उन्होंने बताया कि रमजान माह को तीन हिस्सों में बांटा गया है. पहला हिस्सा (एक से दस रोजा) रहमत का है. इसमें अल्लाह की खास रहमत रोजेदारों पर होती है. दूसरा हिस्सा (11 से 20 रोजा) मगफिरत का है. इस दौरान लोगों को चाहिए कि अपनी गुनाहों की माफी अल्लाह से मांगे. तीसरा हिस्सा (21 से 30 रोजा) जहन्नूम से निजात का है. अल्लाह गुनाहों की मगफिरत फरमा कर जहन्नुम से निजात देते हैं.
रोजे में क्या करें :
रोजा रखना तो इबादत है ही. रोजे की हालत में रोजेदारों को ज्यादा से ज्यादा तिलावत, इबादत, नफिल की नमाज व तस्बीहात पढ़ना चाहिए. ऐसे करने से रोजे में चार चांद लग जायेगा. रोजे के दौरान अल्लाह दुआ कबूल फरमाते हैं. इफ्तार के वक्त तमाम ईमानवालों के लिए दुआ करें. रोजेदारों को इफ्तार करायें. इससे सवाब मिलता है.
रमजान में जुमा की फजीलत : जुमा के बारे में हदिस शरीफ में आया है कि तमाम दिनों का सरदार जुमा है. रमजान का माह तमाम महीनों का सरदार है. जब रमजान में जुमा की आमद हो जाये, तो इसकी फजीलत के बारे में कोई क्या कह सकता है. इस दिन मिलनेवाले सवाब का अंदाजा अल्लाह के सिवा किसी को पता नहीं है. रमजान का जुमा दूसरे महीनों के जुमा से 70 गुना से भी ज्यादा फजीलतवाला है. इस बार रोजेदारों को चार जुमा मिलेगा.
रोजे में किन चीजों से बचे : रोजे के दौरान झूठ, दूसरों की शिकायत व गाली-गलौज आदि सहित तमाम बुरे कामों से दूर रहें. अपने गुस्सा पर काबू रखें. गुस्सा आये, तो उसे पी लें. ऐसे में रोजा टूटता नहीं बल्कि सवाब और बढ़ जाता है. ऊंची आवाज में बात करने से बचें. अगर कोई परेशान कर रहा हो, या फिर झगड़ा करने के लिए मजबूर कर रहा है. उसे कहें कि मैं रोजे से हूं.
रोजेदारों का सोना भी इबादत : रोजा रखना ही इबादत है. ऐसे में तिलावत कर रहे हैं, या फिर सो रहे हैं, तो इबादत में ही शुमार होता है. रोजे के दौरान बाजार या घर में भी हैं, तो इबादत में शुमार होता है. हर हाल में इबादत का सवाब मिलता रहता है.
रमजान को लेकर लोगों ने की खरीदारी : पाक महीना रमजान रविवार से शुरू हो रहा है. रमजान में बननेवाले इफ्तार के लिए शनिवार को बाजार में लोगों ने जम कर खरीदारी की. चना आदि सामान लेने के लिए दुकानों में भीड़ लगी रही. देर शाम तक लोग बाजार से खरीदारी करते रहे. फल के दुकान में भी लोगों की भीड़ लगी रही. रमजान को लेकर बच्चे,
बड़े व बुजुर्गों में उत्साह चरम पर था. अल्पसंख्यक मोहल्लों में शनिवार सुबह से ही मसजिदों व घरों में साफ-सफाई का दौर चलता रहा. तराबीह की विशेष नमाज को लेकर मसजिदों में पंडाल व जेनेरेटर लगाये गये हैं. तराबीह पढ़ानेवाले मौलाना कुरान-ए-पाक की अभ्यास करने में जुटे रहे.
बरकत, रहमत का महीना है रमजान का पाक महीना
चांद दिखा, रोजा आज से
पाक महीना रजमान का चांद शनिवार को दिख गया. रमजान का पहला रोजा रविवार से शुरू होगा. चांद दिखने के साथ ही मुसलिम मोहल्लों में खुशी की लहर दौड़ पड़ी. लोगों ने आतिशबाजी की. बच्चे, युवक, बड़े व बुजुर्ग एक-दूसरे को रमजान के पाक महीने को लेकर मुबारकवाद दे रहे थे. खानकाह-ए-शहबाजिया के सज्जादानशीन मौलाना सैयद साह इंतेखाब आलम शहबाजी हुजूर मियां ने बताया कि रमजान का चांद दिख गया है. लिहाजा रविवार से पहला रोजा रखा जायेगा. उन्होंने कहा कि यह माह सब्र व संयम का है. इस माह के हर मिनट व सेकेंड पर सवाब है.
मसजिदों में तराबीह की नमाज शुरू : रमजान का चांद दिखने के साथ ही मसजिदाें में तराबीह की नमाज शुरू हो गयी. तराबीह की नमाज कहीं सात दिन, तो कहीं 10 दिन, 15 दिन व 27 दिनों तक पढ़ायी जायेगी. तराबीह की नमाज पढ़ने को लेकर मसजिदों में लोगों को जगह तक नहीं मिल रही थी.
बाजार में छाये कीमिया खजूर
रमजान का पाक महीना आते ही बाजार में कीमिया खजूर की मांग बढ़ गयी है. खजूर से रोजा खोलना सुन्नत है. इस लिहाज से रोजेदार खजूर से ही रोजा खोलना पसंद करते हैं. ईरान व ईराक से आनेवाली कीमिया खजूर की मांग बढ़ गयी है. बाजार में कीमिया खूजर छा गया है. दुकानों से लेकर मॉल व शाॅपिंग सेंटरों में भी हर किस्म के खजूर सजा दिये गये हैं. खजूर बेच रहे माे अनवर ने बताया कि रमजान को लेकर सबसे ज्यादा कीमिया खजूर की बिक्री हो रही है.
मिस्वाक की भी बढ़ी मांग : इसलाम में मिस्वाक की बहुत अहमियत बतायी गयी है. मिस्वाक करना सुन्नत है. हर नमाज से पहले मिस्वाक करना चाहिए. मुफ्ती मौलाना फारूक आलम अशरफी ने बताया कि मिस्वाक करने के कई फायदे हैं. रमजान माह में वजू करने से पहले मिस्वाक करके नमाज पढ़नेवाले को 70 गुना सवाब मिलता है.
रमजान में जन्नत का दरवाजा खोल दिये जाते
रमजान के महीने में जन्नत के दरवाजे खोल दिये जाते हैं. रोजा रखने वालों को जन्नत नसीब होती है. रमजान का पहला अशरा (दस दिन) रहमत का, दूसरा अशरा मगफिरत (गुनाह)और तीसरा अशरा दोजख( नरक) से आजादी दिलाने का है. इस दौरान शराब, सिगरेट, तंबाकू और नशीली चीजों का सेवन नहीं करना चाहिए. रोजा का मतलब हर उस बुराई से दूर रहने की बंदिश है जो इसलाम में मना है. इस रोजे को कई हिंदू भाई भी रखते हैं. रमजान का महीना बड़ा ही पावन होता है. भूखा-प्यासा रहना ही इसका मकसद नहीं है, बल्कि इसका मतलब है कि आप भूख का अहसास करें और उन भूखों को भोजन करायें,
जिनको दो वक्त का खाना नसीब नहीं हो पाता है. ये रमजान का महीना दिलों में सौहार्द, प्रेम और करुणा को बढ़ाता है. उस अल्लाह के नाम पर भूखे-प्यासे रहना ही रोजा नहीं है. बल्कि बुराई से बचें, न बुरा सुनें और न ही बुरा बोलें. रोजे का मुख्य नियम यह है कि रोजा रखने वाला मुसलमान सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त के दौरान कुछ भी नहीं खाते हैं. रोजे के दौरान मन से और तन से पवित्र रहने की हिदायत दी जाती है. सूरज अस्त हो जाने के बाद रोजा खोला जाता है, जिसे इफ्तार कहते हैं. रमजान के दौरान मन को भी शुद्ध रखना होता है. मन में किसी के लिए बुरे ख्याल नहीं लाने होते हैं और पांच बार की नमाज और कुरान पढ़ी जाती है. रोजा रखने से दिल और रुह की सफाई हो जाती है.
चित्रगुप्त, सोशल मीडिया
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