भागलपुर : आज के प्रतियोगी युग में गुणवत्तापूर्ण शोध का महत्व काफी बढ़ गया है. गुणवत्तापूर्ण शोध छात्रों के भविष्य का द्वार खोलती है. उक्त बातें तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो रमा शंकर दूबे ने शोध छात्रवास में ‘ऑल इंडिया रिसर्च स्कॉलर्स एसोसिएशन ’ द्वारा आयोजित रिसर्च मेथडोलॉजी पर आयोजित कार्यशाला में कही. इस अवसर पर कुलपति का पुष्प व अंग वस्त्र से सम्मान किया गया. बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के अनुभव शेयर करते हुए प्रो दूबे ने कहा कि वहां आधारभूत संरचना की प्रचुरता है, जबकि यहां की आधारभूत संरचना के विकास के लिए संसाधन की जरूरत है.
यहां आगे बढ़ने की क्षमता तो है, लेकिन बेहतर कार्य-संस्कृति निर्माण की जरूरत है. विज्ञान में शोध के लिए अद्यतन रिसर्च जर्नल की, साथ ही पुस्तकालय को समृद्ध किये जाने आवश्यकता है. उन्होंने कहा कि शोधार्थियों को इंटरनेट, कंप्यूटर ज्ञान, रिसर्च प्रपोजल प्लानिंग, नेटवर्किंग आदि का ज्ञान होना आवश्यक है. उन्होंने गुणवत्तापूर्ण शोध के लिए साहित्य पुनरावलोकन के महत्व पर भी प्रकाश डाला.प्रतिकुलपति प्रो एके राय ने शोध कर वस्तुनिष्ठता को कायम रखने के लिए रिसर्च मेथडोलॉजी के ज्ञान को आवश्यक बताया. उन्होंने बताया कि विवि में जुलाई माह से अलग-अलग विभागों में रिसर्च मेथडोलॉजी कोर्स शुरू किया जायेगा और कंप्यूटर एप्लीकेशन की शिक्षा केंद्रीकृत रूप से दी जायेगी.
उन्होंने बताया कि विवि ‘अपने शोधार्थियों को जानें’ फॉर्म भी जारी किया जायेगा. उद्घाटन सत्र को डीएसडब्ल्यू डॉ गुरूदेव पोद्दार, कुलानुशासक डॉ रामप्रवेश सिंह, डॉ क्षमेंद्र कुमार सिंह, डॉ प्रेम शंकर झा, डॉ शरत चंद्र राय आदि ने संबोधित किया. कार्यक्रम का संचालन सुधाकर पांडेय और अतिथियों का स्वागत छात्रवास अधीक्षक डॉ सरोज कुमार राय ने किया. एसोसिएशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष ओम सुधा ने वीसी को शोध छात्रों की समस्या से अवगत कराया, जबकि डॉ मुकेश कुमार ने विवि में एम फिल की पढ़ाई शुरू और विशेषज्ञ शिक्षकों से रिसर्च मेथडोलॉजी पढ़ाये जाने की मांग की. कार्यशाला के दूसरे सत्र में डॉ क्षमेंद्र कुमार सिंह व डॉ सरोज राय ने रिसर्च मेथडोलॉजी के सिद्धांत और व्यवहार पक्ष से अवगत कराया और शोध प्रस्ताव निर्माण की वैज्ञानिक प्रक्रिया समझाया. कार्यशाला में असीम कुमार, सीतांशु तिवारी, संजीव यादव, अमित भगत, सरिता आदि ने सहभागिता की.