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मामला गंभीर, डीएम करेंगे जांच : कमिश्नर

कहलगांव के पहाड़िया गांव में पहाड़िया जनजाति की बदहाल स्थिति पर प्रशासन गंभीर पहाड़िया गांव में पानी की किल्लत पर डीएम ने कहा, सात निश्चय के तहत हर घर में नल लगेगा दूषित पानी इस्तेमाल करने से विलुप्त हो रहे इस जनजाति के लोग गंभीर बीमारी से ग्रसित हो रहे प्रभात खबर में पहाड़िया जनजाति […]

कहलगांव के पहाड़िया गांव में पहाड़िया जनजाति की बदहाल स्थिति पर प्रशासन गंभीर

पहाड़िया गांव में पानी की किल्लत पर डीएम ने कहा, सात निश्चय के तहत हर घर में नल लगेगा
दूषित पानी इस्तेमाल करने से विलुप्त हो रहे इस जनजाति के लोग गंभीर बीमारी से ग्रसित हो रहे
प्रभात खबर में पहाड़िया जनजाति की बदहाल स्थिति की खबर सोमवार को छपी थी
भागलपुर : हलगांव के पहाड़िया गांव में रहने वाले विलुप्त हो रहे सौरिया पहाड़िया जनजाति की बदहाल स्थिति की खबर सोमवार को प्रभात खबर में छपने के बाद प्रशासन गंभीर हो गया है. प्रमंडलीय आयुक्त अजय कुमार चौधरी ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए डीएम से जांच कराने की बात कही है. उन्होंने इस बात पर आश्चर्य व्यक्त किया कि अभी भी लोग इतनी बदहाल स्थिति में रहने को मजबूर हैं. इस मामले पर डीएम आदेश तितरमारे ने कहा कि पानी की समस्या को मुख्यमंत्री के सात निश्चय योजना में शामिल हर घर नल योजना के तहत दूर किया जायेगा. डीएम ने यह भी कहा कि शराबबंदी को लेकर पहाड़िया गांव में कहलगांव के एसडीएम दो बार जा चुके हैं और छापेमारी में शराब भी पकड़ा गया है.
बीमारियों से हो रहे ग्रसित: पहाड़िया जनजाति के लोग दूषित पानी के इस्तेमाल की वजह से बीमार हो रहे हैं. कहलगांव के पहाड़िया गांव के रहने वाली जनजाति की संख्या घटती जा रही है. पानी की किल्लत और उपलब्ध पानी के दूषित होने की वजह से पुरुष और महिलाओं के साथ ही बच्चे भी कई गंभीर बीमारियों के शिकार हो रहे. सौरिया पहाड़िया जनजाति पर रिसर्च करने वाले टीएमबीयू के पीजी समाजशास्त्र विभाग के पूर्व विभागध्यक्ष डॉ प्रमोद कुमार सिन्हा कहते हैं कि दूषित पानी इस्तेमाल करने की वजह से इस जनजाति के पुरुष, महिला और बच्चों को जॉन्डिस, स्कीन की बीमारी हो रही.
महिलाएं एनिमिया की शिकार हाे रही. स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध नहीं होने की वजह से उनकी मौत हो जाती है. लोग अंधेपन के शिकार हो रहे. यही वजह है इंदिरा आवास मिल भी जाये तो बिन पानी मकान कैसे बनेगा. सौरिया पहाड़िया जनजाति के लोग पहाड़ छोड़ने को तैयार नहीं होते. उन्हें सरकार की तरफ से इंदिरा आवास का फंड भी उपलब्ध करा दिया गया पर समस्या आयी मकान बनाने की. पहाड़ पर पानी की कमी की वजह से मकान बनाना मुश्किल है. ऐसे में इस जनजाति के लोग झोपड़ी में ही रहने को मजबूर हैं.
कर्ज में डूबे रहते, महिलाओं का होता है शोषण : सौरिया पहाड़िया जनजाति के लोग गरीबी की वजह से महाजनों से कर्ज लेने के मजबूर हैं. वे कर्ज में डूबे रहते हैं और कर्ज के पैसे लौटाने के लिए उनके पास आय का कोई साधन नहीं. कर्ज चुकाने के लिए वे महाजनों को महुआ बेचने का काम करते थे. रिसर्च में यह बात भी सामने आयी कि इस जनजाति की महिलाओं को महाजनों के द्वारा शोषण भी किया जाता है. 40 साल की उम्र में वृद्धा पेंशन मांगते हैं पहाड़िया गांव जाने के बाद वहां कुछ लोग सामने आये और उन्होंने कहा कि उन्हें वृद्धा पेंशन नहीं मिलता. वे दिख तो बुजुर्ग रहे थे पर जब उनकी उम्र पूछी गयी तो किसी ने 40 तो किसी ने 45 वर्ष बताया. बचपन से कुपोषण के शिकार लोग चालीस की उम्र में ही 60 से ज्यादा के दिखने लगते हैं.
तिलकामांझी के साथ अंग्रेजों से लड़े थे पूर्वज : सौरिया पहाड़िया जनजाति के लोगों ने अंग्रेजों के छक्के छुड़ाये थे. तिलकामांझी के नेतृत्व में इस जनजाति के लोगों ने अंग्रेजों से लड़ाई लड़ी थी. यह काफी दुखद है कि स्वतंत्रता संघर्ष में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले इस जनजाति के लोग दुर्दशा का जीवन जी रहे हैं.
उनकी क्या और किस तरह की समस्याएं हैं उसको देखता हूं. जो भी समस्या होगी उसे दूर करने का प्रयास किया जायेगा.
अरुणाभ चंद्र वर्मा, एसडीएम कहलगांव
ये सौरिया पहाड़िया जनजाति के लोग हैं. इनके लिए सबसे बड़ी समस्या पानी की किल्लत है. दूर जाकर पानी लाते हैं वह भी दूषित होता है. इस वजह से इन्हें कई बीमारियां हो रही हैं. सरकार को इनके बारे में गंभीरता से विचार करना चाहिए क्योंकि इनकी संख्या तेजी से घट रही है.
डॉ प्रमोद कुमार सिन्हा, पूर्व विभागाध्यक्ष समाजशास्त्र विभाग टीएमबीयू

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