भागलपुर: स्कूलों में कक्ष निर्माण में जिले के कई हेडमास्टरों का हैरतअंगेज कारनामा उजागर हुआ है. जिले के शिक्षा विभाग ने 32 स्कूलों की सूची तैयार की है. इन स्कूलों में वर्ग कक्ष या तो अधूरा पड़ा है या फिर बना ही नहीं है.
इनमें अधिकतर स्कूलों के खाते से राशि भी निकल गयी है. भवन निर्माण की समीक्षा के बाद से विभाग हैरान है. लगभग 50 लाख के गबन की आशंका जतायी जा रही है. इसकी विस्तृत जांच के लिए शनिवार को सभी प्रखंडों में कनीय अभियंताओं को भेजा गया. उन्हें जिला शिक्षा पदाधिकारी के निर्देश पर कहा गया है कि सारे चिह्न्ति स्कूलों का समीक्षा प्रतिवेदन सौंपे और निर्माणाधीन कमरे की फोटो भी खींच कर उपलब्ध करायें.
शिक्षा विभाग ने 120 विद्यालय के 326 अतिरिक्त वर्ग कक्ष की समीक्षा की. इन विद्यालयों को वित्तीय वर्ष 2006-07, 07-08 व 08-09 में अतिरिक्त वर्ग कक्ष निर्माण के लिए राशि दी गयी थी. इनमें 32 विद्यालय की स्थिति सबसे अधिक गंभीर है. अधिकतर प्रधानों का स्थानांतरण हो गया है. वे बिना प्रभार सौंपे चले गये. जो नये प्रधानाध्यापक पदस्थापित हैं उनका कहना है कि स्कूल के खाते में न तो राशि है और न ही किसी प्रकार का अभिलेख उपलब्ध है.
कुछ प्रधान विभागीय पदाधिकारियों को महंगाई का हवाला देते हुए राशि खत्म होने की बात कह रहे हैं. कुछ प्रधानों का कहना है कि एकाउंट में पैसा भी है, लेकिन वे इस डर से नहीं बता रहे हैं कि इतने पैसे से निर्माण पूरा नहीं हो पायेगा और हाथ लगायेंगे तो फंस जायेंगे. इन समस्याओं के मकड़जाल में 32 विद्यालयों के 134 कमरे उलझ गये हैं.
विभाग की हिट लिस्ट में ये स्कूल
मध्य विद्यालय लोकमानपुर (खरीक) के प्रधानाध्यापक ने पांच के बदले आठ कमरे का निर्माण शुरू कर दिया. राशि खत्म हो गयी और भवन भी अधूरा रह गया. विभाग यह ढूंढ़ने में लगा है कि आखिर उक्त स्कूल को पांच के बदले आठ कमरे बनाने का निर्देश किसने दिया. प्राथमिक विद्यालय लोकमानपुर में चार कमरे का लिंटर के नीचे तक निर्माण हुआ है और खाते से सारी राशि भी निकल गयी है. मध्य विद्यालय दादपुर को 12 कमरे बनाने के लिए राशि दी गयी थी. वर्ष 2010 में ही सारी राशि निकाल ली गयी है.
निर्माण कार्य भी पूरा नहीं हुआ. मध्य विद्यालय ओगरी कहलगांव में तीन कमरे के लिए मिली सारी राशि खाते से निकाल ली गयी और भवन निर्माण शुरू तक नहीं हुआ. प्राथमिक विद्यालय टोपरा पीरपैंती में तीन कमरे का निर्माण करना था. प्रधानाध्यापक मध्य विद्यालय शिवायडीह चले गये हैं, राशि गायब है. प्रावि गोड्डी नाथनगर में तीन कमरे के लिए मिली राशि एकाउंट में नहीं है, काम भी शुरू नहीं हुआ. मध्य विद्यालय तिरासी गोपालपुर में पांच कमरे का निर्माण करना था, लेकिन विद्यालय प्रधान दो साल से प्रतिनियोजन पर रहे. प्राथमिक विद्यालय बोचाही पूरब में दो कमरे का निर्माण होना था. भवन अधूरा पड़ा है, सारी राशि खत्म हो चुकी है और प्रधान सेवानिवृत्त हो चुके हैं.
..और मामला रफा दफा
भागलपुर के प्रारंभिक स्कूलों में राशि गायब होने की बात नयी नहीं है. पिछले साल दो जुलाई को शिक्षाधिकारी द्वारा सबौर, कहलगांव, गोराडीह व सन्हौला प्रखंड के लगभग दो दर्जन स्कूलों का निरीक्षण किया गया था. इनमें अधिकतर स्कूलों में मध्याह्न् भोजन पंजी, पोशाक पंजी, अवकाश पंजी, रोकड़ पंजी, पासबुक, कार्यवाही पंजी, भवन निर्माण पंजी, स्थल निरीक्षण पंजी, विद्यालय विकास पंजी, विद्यालय मरम्मत पंजी पदाधिकारी को नहीं मिल पायी थी. स्कूल प्रधानों ने स्पष्टीकरण का जवाब दिया, गलती मानी और मामला रफा दफा.
जिन स्कूलों में काम अधूरा है या शुरू नहीं हुआ है
स्कूल कमरे
मवि सरहा शाहकुंड 03
प्रावि डुमरा हाजीकित्ता शाहकुंड 01
मवि लोकमानपुर खरीक 05
प्रावि लोकमानपुर खरीक 04
मवि दादपुर खरीक 12
मवि उसमानपुर खरीक 03
मवि ओगरी कहलगांव 03
मवि रामपुर कहलगांव 03
प्रावि टोपरा पीरपैंती 03
कन्या मवि मुरारका सुलतागंज 08
प्रावि श्रीचक सन्हौला 05
प्रावि अगैया सन्हौला 04
प्रावि भवानीपुर 02
मवि मोहम्मदपुर जगदीशपुर 08
मवि मुखेरिया जगदीशपुर 08
मवि तगेपुर जगदीशपुर 04
प्रावि हरिदासपुर नाथनगर 03
मवि गीतवारपुर नाथनगर 01
प्रावि राजपुर नाथनगर 04
प्रावि गोड्डी नाथनगर 03
मवि हुसैनाबाद नगर निगम 04
मवि पुलिस लाइन नगर निगम 04
मवि बरारी नगर निगम 04
प्रावि रिफ्यूजी कॉलोनी नगर निगम 04
टीपी मवि तिलकामांझी नगर निगम 06
मवि तिरासी गोपालपुर 05
मवि लतरा गोपालपुर 06
प्रावि बोचाही पूरब गोपालपुर 02
मवि खुटहा गोराडीह 03
मवि गोराडीह 03
मवि बंगडीहा गोराडीह 03
मवि गड़हौतिया गोराडीह 03
32 स्कूलों की सूची तैयार की गयी है जिसकी स्थिति बहुत गंभीर है. डीइओ के निर्देशानुसार 31 मार्च तक निर्माण कार्य पूरा नहीं किया गया, तो इन स्कूलों के प्रधानों पर प्राथमिकी भी दर्ज की जा सकती है. निलंबन व वेतन बंद करने का निर्णय विभाग ले रहा है. सभी कनीय अभियंता को निर्माण कार्य की समीक्षा करने के लिए प्रखंडों में भेजा गया है. निर्माण कार्य अधूरा रहने और खाते में राशि नहीं रहने से विभाग को राशि गबन होने की भी आशंका है जिसकी जांच चल रही है.
देवेंद्र कुमार झा, डीपीओ, प्रारंभिक शिक्षा