घोघा : ईंट निर्माण के क्षेत्र में अलग पहचान बना चुके घोघा के भट्ठा मालिक नोटबंदी की मार से त्रस्त हैं.बैकों से सीमित पैसे की निकासी हो पाने के कारण भट्ठा मालिक मजदूरों को पैसे नहीं दे पा रहे हैं. वहीं नकदी की किल्लत के कारण ईंट के खरीदारों की संख्या में भी भारी गिरावट […]
घोघा : ईंट निर्माण के क्षेत्र में अलग पहचान बना चुके घोघा के भट्ठा मालिक नोटबंदी की मार से त्रस्त हैं.बैकों से सीमित पैसे की निकासी हो पाने के कारण भट्ठा मालिक मजदूरों को पैसे नहीं दे पा रहे हैं. वहीं नकदी की किल्लत के कारण ईंट के खरीदारों की संख्या में भी भारी गिरावट आयी है. नकदी संकट के कारण भट्ठा मालिक कोयला सहित अन्य सामग्रियों की खरीदारी नहीं कर पा रहे हैं
और मजदूरों को भी उनकी मजदूरी देना संभव नहीं हो पा रहा है. मजबूरन मजदूरों की संख्या में भारी कटौती करनी पड़ी है. इधर काम नहीं मिलने के कारण बड़ी संख्या में मजदूर पलायन कर गये हैं.
एक अनुमान के अनुसार यहां के ईंट भट्ठों में लगभग 10 से 15 हजार मजदूर काम करते हैं, जिनकी बदौलत ही घोघा बाजार और हाट में रौनक रहती थी.
भट्ठा मालिक श्याम यादव ने बताया कि नोटबंदी के बाद यहां के चार भट्ठे बंद हो गये और कई बंदी के कगार पर हैं. पिछले साल निर्मित ईंटों का स्टॉक भी पड़ा हुआ है. नकदी की कमी के कारण ग्राहकों की संख्या काफी कम हो गयी है. हमारी पूंजी भी फंसी हुई है. बैंक से पर्याप्त पैसों की निकासी नहीं हो पाने के कारण हमें मजदूरों की संख्या में भारी कटौती करनी पड़ी है. अभी सौ मजदूरों की जगह 25 मजदूरों से काम चला रहे हैं. ईंट पकाने के लिए कोयले की खरीदारी नही कर पा रहे हैं. पिछले साल नवंबर में ईट पकाने का काम शुरू हो गया था, लेकिन इस बार अभी तक नहीं हो पाया है.