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सदर अस्पताल में कहने को है इमरजेंसी
भागलपुर: भागलपुर का जिला अस्पताल अर्थात जयप्रकाश नारायण सदर अस्पताल कभी कई जिले के मरीजों का केंद्र था, जो वर्तमान में असहाय हो चुका है आैर यहां पर कहने को इमरजेंसी है. मूलभूत सुविधा के अभाव के साथ-साथ यहां पर चिकित्सकों का टोटा है. एक्सीडेंटल मरीज होते हैं रेफर : इससे यहां पर गंभीर स्थिति […]
भागलपुर: भागलपुर का जिला अस्पताल अर्थात जयप्रकाश नारायण सदर अस्पताल कभी कई जिले के मरीजों का केंद्र था, जो वर्तमान में असहाय हो चुका है आैर यहां पर कहने को इमरजेंसी है. मूलभूत सुविधा के अभाव के साथ-साथ यहां पर चिकित्सकों का टोटा है.
एक्सीडेंटल मरीज होते हैं रेफर : इससे यहां पर गंभीर स्थिति में मरीज आने से हिचकते हैं. जो आते हैं, उन्हें भी रेफर ही कर दिया जाता है. किसी का हाथ-पैर टूटने व हड्डी से जुड़े मरीजों के लिए यहां पर चिकित्सक का अभाव है. ऐसी स्थिति में अधिकतर मरीजों को मायागंज अस्पताल रेफर किया जाता है.रात्रि में यदि कोई मरीज जानकारी अभाव में पहुंच जाता है, तो यहां पर ड्रेसर से ही काम चलाना पड़ता है.
प्रसव केंद्र बनकर रह गया है सदर अस्पताल : सदर अस्पताल में आपातकालीन सेवा में प्रसव मरीजों की बेहतर व्यवस्था है. सूत्रों की मानें तो यहां पर दो महिला चिकित्सक एवं दो सर्जन की व्यवस्था है. इससे यहां पर हर समय ऐसे मरीज भरती मिल जाते हैं. इसके विपरीत बच्चों के लिए चिकित्सकों की समुचित व्यवस्था नहीं है, जबकि कमजोर बच्चों को शीशे में रखने की सुविधा है. यहां की स्थिति देखने से लगता है कि इसका इस्तेमाल तक नहीं हुआ.
सर्प दंश के मरीजों को भी लौटना पड़ता
सर्प दंश के मरीजों के लिए भी कोई खास व्यवस्था नहीं है. इससे यहां से ऐसे मरीजों को लौटना पड़ता है. इसके अलावा अन्य बीमारी के इलाज के लिए भी समुचित व्यवस्था नहीं है.
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