भागलपुर: एक नन्हा फरिश्ता अपनी झोली फैलाये खुशी मांगने आया था. उसकी खुशी न टॉफी में छिपी थी और न ही गेंद में. वह तो अक्षर की दुनिया में सैर कर अपनी खुशी खोज रहा था, जो उसे नहीं मिल पा रही है.
वह नन्हा फरिश्ता समाज के 400 कोंपल के लिए शिक्षा का उजियारा मांगने आया था. उसकी दिली इच्छा है कि गांव के स्कूल में ऊंचे स्वर में प्रार्थना गूंजे, जिसमें उसके जैसे 400 फरिश्तों की आवाज भी शामिल हो. हम बात कर रहे हैं गोराडीह स्कूल के एक बच्चे की. वह गुरुवार को जिलाधिकारी बी कार्तिकेय के दरबार में शिक्षा की भीख मांगने पहुंचा था. उसकी बात सुन कर जिलाधिकारी सहित आसपास बैठे लोग भी चौंक पड़े.
वह बच्च गोराडीह के मोहनपुर मध्य विद्यालय का छात्र है. उसका नाम प्रीतम कुमार है. डीएम के पास पहुंच कर एक आवेदन बढ़ाते हुए उसने कहा कि सर, हम शिक्षा की भीख मांगने आये हैं. हमलोग पढ़ना चाहते हैं. पढ़ कर आगे बढ़ना चाहते हैं. एक अधिकारी ने पूछा कि क्या तुम्हारे गांव में स्कूल नहीं है? प्रीतम ने कहा कि गांव में स्कूल तो है, लेकिन हमलोगों को मास्टर साहब नहीं पढ़ाते हैं. यह सुनते ही वहां मौजूद सारे अधिकारी सकते में आ गये. डीएम ने तत्काल इसकी जांच का जिम्मा वहां मौजूद जिला शिक्षा पदाधिकारी को सौंपा.
इस संदर्भ में एक ग्रामीण ने बताया कि उसी समय शिक्षा विभाग के एक पदाधिकारी बच्चे के साथ मध्य विद्यालय पहुंच गये. बच्चे ने जैसा कहा था, विद्यालय पहुंचने के बाद उक्त शिक्षाधिकारी ने वैसा ही पाया. 20-25 बच्चे स्कूल में मौजूद थे, पर कक्षाएं नहीं चल रही थी. शिक्षाधिकारी ने सारे मौजूद बच्चों को अपने पास बुलाया और पूछा कि अभी तो पढ़ाई का वक्त है, फिर खेल क्यों रहे हो. अन्य बच्चों ने भी कहा कि मास्टर साब पढ़ाते ही नहीं हैं.
इसके बाद कई अभिभावक जुट गये और सबकी एक ही फरियाद- हमारे बच्चों का भविष्य संवार दीजिए. जांच आगे बढ़ी. उसमें पाया गया कि स्कूल के सारे नये भवन अधूरे पड़े हैं. दो कमरे का निर्माण वर्ष 2011 से प्रारंभ नहीं कराया गया था. मध्याह्न् भोजन अगस्त 2013 से बंद मिला. चहारदीवारी भी अधूरी थी. अभिभावकों का कहना था कि दो साल से पोशाक राशि नहीं दी गयी है. छात्रवृत्ति राशि भी नहीं मिली. सभी बच्चों को नि:शुल्क पाठ्य-पुस्तकें भी नहीं दी गयी थी. इस पर कार्रवाई करते हुए प्रभारी प्रधानाध्यापक को डीइओ के निर्देश पर निलंबित कर दिया गया है और शेष सात शिक्षकों पर गाज गिरनी व वित्तीय अनियमितता के आरोप की जांच तय मानी जा रही है.