काजीचक जमीन रजिस्ट्री में स्टांप व निबंधन शुल्क चोरी का मामला
भागलपुर : काजीचक, पन्ना मिल रोड की जमीन रजिस्ट्री में निबंधन व स्टांप शुल्क चोरी पर समाहर्ता न्यायालय द्वारा जुर्माना भरने संबंधी दिये आदेश की मियाद बुधवार को समाप्त हो गयी, लेकिन सांसद भूदेव चौधरी की पत्नी इंद्राणी चौधरी द्वारा जुर्माना नहीं दिया गया. न्यायालय के आदेश की अवहेलना व जुर्माना वसूली के लिए विधिसम्मत कार्रवाई के तहत अब श्रीमती चौधरी पर सर्टिफिकेट केस (नीलाम पत्र वाद) दायर किया जा सकता है.
विदित हो कि सांसद ने अपनी पत्नी के नाम काजीचक की साढ़े पांच कट्ठा जमीन खरीदी थी. रजिस्ट्री के दौरान सांसद की ओर से जमीन को परती बताया गया था और उसी के अनुरूप निबंधन एवं स्टांप शुल्क जमा कराया गया था. इसी रजिस्ट्री के आधार पर डीसीएलआर कोर्ट के आदेश पर सांसद को दखल-कब्जा दिलाने के दौरान यह मामला सामने आया कि रजिस्ट्री के दौरान जमीन परती नहीं थी. इस पर तत्कालीन डीएम प्रेम सिंह मीणा ने संज्ञान लेते हुए अपने स्तर से टीम गठित कर इसकी जांच करायी.
जांच में नगर निगम के दस्तावेज के अनुसार सांसद की पत्नी द्वारा खरीदी गयी जमीन पर भवन निर्मित पाया गया था. साथ ही रिपोर्ट में जमीन रजिस्ट्री के दौरान निबंधन शुल्क व स्टांप शुल्क के मद में कम भुगतान करने की बात कही गयी थी. जांच रिपोर्ट के आधार पर समाहर्ता न्यायालय में मुद्रांक अधिनियम 38(2) वाद संख्या 68/13-14 सरकार बनाम इंद्राणी चौधरी दायर किया गया था.
21 जनवरी को मामले की सुनवाई के उपरांत समाहर्ता न्यायालय ने श्रीमती चौधरी के पक्ष में किये गये केवाला में 1,06,720 रुपये स्टांप शुल्क की कमी को सही पाया और इसी आधार पर न्यायालय ने स्टांप एक्ट की धारा 40(बी) के तहत आदेश पारित करते हुए कम भुगतान किये गये शुल्क का दस गुना 10,67,200 रुपये जुर्माना किया. साथ ही न्यायालय ने श्रीमती चौधरी आदेश दिया था कि स्टांप कमी की राशि व जुर्माना की राशि (कुल 11,73,920 रुपये) 15 दिन के अंदर चालान के माध्यम से राजस्व कोष में जमा कर चालान प्रति जिला अवर निबंधक को उपलब्ध करायें.
बुधवार को न्यायालय आदेश का 15 दिन बीत गया, लेकिन सांसद की पत्नी की ओर से जुर्माने का भुगतान नहीं किया गया. जिला अवर निबंधक सत्यनारायण चौधरी ने बताया कि अब तक सांसद पत्नी की ओर से जुर्माना राशि जमा करने की कोई सूचना नहीं है. इस संबंध में वह समाहर्ता (डीएम) न्यायालय को अवगत करायेंगे. जुर्माना नहीं देने पर विधिसम्मत कार्रवाई के तहत अब राशि वसूली के लिए नीलाम पत्र वाद दायर किया जा सकता है.