भागलपुर : 23 सितंबर शुक्रवार को अष्टमी का प्रवेश होगा, इसलिए महिलाएं उसी दिन पुत्र की रक्षा के लिए जिउतिया व्रत करेंगी.
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अष्टमी कल, महिलाएं करेंगी पुत्र के लिए व्रत
भागलपुर : 23 सितंबर शुक्रवार को अष्टमी का प्रवेश होगा, इसलिए महिलाएं उसी दिन पुत्र की रक्षा के लिए जिउतिया व्रत करेंगी. ज्योतिषाचार्य डॉ सदानंद झा बताते हैं कि मिथिला पंचांग के अनुसार अष्टमी का प्रवेश 23 सितंबर शुक्रवार को प्रात: 9:09बजे और अष्टमी तिथि की समाप्ति 24 को प्रात: 7:08 बजे, काशी पंचांग के […]
ज्योतिषाचार्य डॉ सदानंद झा बताते हैं कि मिथिला पंचांग के अनुसार अष्टमी का प्रवेश 23 सितंबर शुक्रवार को प्रात: 9:09बजे और अष्टमी तिथि की समाप्ति 24 को प्रात: 7:08 बजे, काशी पंचांग के अनुसार अष्टमी तिथि का प्रवेश 23 को प्रात: 8:59 बजे और 24 सितंबर को अष्टमी तिथि की समाप्ति प्रात: 6:59 बजे होगी. जिउतिया का नहाय-खाय 22 सितंबर गुरुवार को होगा. ओठगन 22 सितंबर की रात के अंत में अर्थात 23 को सूर्योदय के पहले ओठगन स्त्रियां कर सकती हैं. 23 को संपूर्ण दिन-रात उपवास व 24 को शनिवार प्रात: 7:08 के बाद व्रत का पारण होगा.
पुत्र के दीर्घायु के लिए है जीउतिया व्रत : अपने पुत्रों की लंबी आयु व बल पुष्टि की कामना के लिए सौभाग्यवती महिलाएं यह व्रत करती हैं. सौभाग्यवती महिलाओं को चाहिए कि व्रत के दिन गाय के गोबर से प्रांगण को लिप कर छोटा सा तालाब जमीन खोद कर बना लेना चाहिए. तालाब के निकट एक पाकड़ की डाली खड़ा कर देनी चाहिए. शालीवान राजा के पुत्र धर्मात्मा जीमूतवाहन की कुश निर्मित प्रतिमा मिट्टी के पात्र में स्थापित कर पीली और लाल रूई से उसे अलंकृत करना चाहिए. इस दौरान पंचोपचार पूजन करना चाहिए. मिट्टी व गाय के गोबर से किलहोरिन और सियारिन की मूर्ति बना कर उनके मस्तक को लाल सिंदूर लगा देना चाहिए. अपने वंश की वृद्धि व उन्नति के लिए बांस के पत्तों से पूजन करना चाहिए. इसके बाद व्रत की कथा का श्रवण करना चाहिए. इस प्रकार श्रद्धा पूर्वक पूजन करने से स्त्रियां अपने पुत्रों के साथ सुख पूर्वक जीवन व्यतीत कर अंत में विष्णु लोक को प्राप्त करती हैं.
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