भागलपुर: मनरेगा के कार्यान्वयन में भागलपुर जिला लगातार पिछड़ता जा रहा है. स्थिति यह है कि जिले के कुल 242 पंचायतों में से 130 पंचायतों के पास मनरेगा का एक पाई भी नहीं है. जिले के करीब तीन लाख जॉबकार्डधारियों में से डेढ़ लाख से अधिक को काम नहीं मिल पाता है. चालू वित्तीय वर्ष में मनरेगा की 48 फीसदी योजना ही पूरी हो पायी है.
काम की तलाश में मजदूरों का पलायन नहीं हो इसी उद्देश्य से मनरेगा की शुरुआत हुई थी. इसमें तय है कि मनरेगा जॉबकार्डधारियों को साल में कम से कम सौ दिन का काम मिल सके, जिससे काम की तलाश में ग्रामीण पलायन नहीं करें.
इस योजना के कार्यान्वयन में सूबे की स्थिति बहुत अच्छी है. लेकिन जिले में मनरेगा के कार्यान्वयन की स्थिति काफी खराब हो गयी है. सोमवार को जिलाधिकारी बी कार्तिकेय ने अधिकारियों की साप्तहिक बैठक में इसकी धीमी गति पर चिंता जतायी. इसके कार्यान्वयन में तेजी लाने का निर्देश दिया.
अब तक मनरेगा में काम की उपलब्धि 48 फीसदी ही है. जिलाधिकारी ने इस माह तक इसे 70 फीसदी करने का निर्देश दिया. जानकारी के अनुसार मनरेगा में 2 फरवरी तक 38.85 करोड़ रुपये खर्च हुए हैं जबकि 19.6 करोड़ ़ रुपया पड़ा हुआ है. राशि खर्च खर्च नहीं होने की वजह से आवंटन नहीं मिला है. जिला में राशि रहने के बाद भी स्थिति यह है कि 130 पंचायतों के पास मनरेगा का कोई पैसा नहीं है. राशि के अभाव में में न तो मजदूरी का भुगतान हो पा रहा है और न ही कोई काम. जिले के 6084 जॉबकार्डधारियों को काम की जगह बेरोजगारी भत्ता दिया जा रहा है. जिलाधिकारी ने इस पर कड़ा रुख अख्तियार करते हुए सभी कार्यक्रम पदाधिकारियों को इन जॉबकार्डधारियों को तुरंत काम देने का निर्देश दिया है.