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सरकारी बंद, निजी मचा रहे लूट

एंबुलेंस सेवा. जिले में नहीं है एक भी सरकारी एंबुलेंस जिले में एक भी लाश ढोेने के लिए सरकारी वाहन के न रहने के कारण लोगों को परेशानी हो रही है.प्राइवेट एंबुलेंस और टेंपो हॉस्पिटल में मरने वाले मरीजों के परिजनों से मनमाना रेट वसूल कर रहे हैं. भागलपुर : ओड़िशा में दाना मांझी एंबुलेंस […]

एंबुलेंस सेवा. जिले में नहीं है एक भी सरकारी एंबुलेंस

जिले में एक भी लाश ढोेने के लिए सरकारी वाहन के न रहने के कारण लोगों को परेशानी हो रही है.प्राइवेट एंबुलेंस और टेंपो हॉस्पिटल में मरने वाले मरीजों के परिजनों से मनमाना रेट वसूल कर रहे हैं.
भागलपुर : ओड़िशा में दाना मांझी एंबुलेंस के अभाव में अपनी पत्नी का शव कंधे पर रखकर 12 किमी दूर अंतिम संस्कार के लिए ले गया था. परिस्थितियां जिस तरह की बनी हैं, उस हिसाब से भागलपुर में कभी भी एक और दाना मांझी पैदा हो सकता है. कारण शव ढोने के लिए जेएलएनएमसीएच(मायागंज हॉस्पिटल) में मौजूद दो शव वाहन हॉस्पिटल परिसर में खड़े हैं. इसी का फायदा उठाकर हॉस्पिटल परिसर के बाहर खड़े प्राइवेट एंबुलेंस और टेंपो हॉस्पिटल में मरने वाले मरीजों के परिजनों से मनमाना रेट वसूल कर रहे हैं. ऐसी स्थिति में गरीब या तो किसी से कर्ज लेकर लाश को एंबुलेंस या फिर टेंपो पर लादकर अपने घर ले जाये या फिर खुद कंधे पर लादकर ले जाये.
लोग होते रहे परेशान
जिले में एक भी लाश ढोेने के लिए सरकारी वाहन के न रहने के कारण छह सितंबर को सन्हौला प्रखंड निवासी नेत्रहीन श्रीराम की पत्नी की लाश मायागंज हॉस्पिटल परिसर में छह घंटे तक पड़ी रही. बाद में कुछ मरीजाें के परिजनों ने आपस में चंदा लगाकर श्रीराम को दिया था. तब जाकर एक हजार रुपये में एक एंबुलेंस वाला दया के नाम पर लाश को ले गया था.
प्राइवेट वाहनों का किराया
शहरी सीमा में 400-500 रुपये
जिले की सीमा के अंदर 800-1000 रुपये
दूसरे जिले में 1500 रुपये से लेकर 3000 रुपये
प्राइवेट वाहन वालों की चांदी
सरकारी शव वाहन के न होने की दशा में बाहर खड़े सरकारी वाहन मालिकों की चांदी हो गयी है. ये लोग शव ले जाने के लिए मनमाने रुपये मांगते हैं. यहां मौजूद अन्य वाहन चालकों से शव ले जाने केा कहो तो वे काफी मोल-भाव के बाद राजी होते हैं. लाश ढोने के बाद मरीज नहीं जाना चाहेगा जैसे शब्द बोलकर मृतक के परिजनों ने सामान्य से ज्यादा रुपये की डिमांड की जाती है.
हॉस्पिटल परिसर से उठती है अर्थी
जिन गरीबों के पास पैसे नहीं होते हैं और उनका का घर 20-25 किमी के अंदर ही होता है. वे लाश को घर ले जाने के बजाय लोगों को सूचना देकर मायागंज हॉस्पिटल पर बुला लेते हैं और यहीं से अर्थी को उठाकर सीधे बरारी घाट पर अंतिम संस्कार के लिए ले जाते हैं.
शव ढोने वाला वाहन खा रहा धूल
इस बाबत हॉस्पिटल के अधीक्षक डॉ आरसी मंडल ने कहा कि 1099 सेवा का लाश ढोने वाला दोनों वाहन आज की तारीख में बंद पड़े हैं. लेकिन यदा-कदा वे बिल-बाउचर प्रस्तुत करते हैं. लेकिन इन वाहनों के न चलने के कारण भुगतान नहीं किया जा रहा है.

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