भागलपुर: ड्रग विभाग के इंस्पेक्टरों ने शहर के कई नामी होमियोपैथिक डिस्पेंसरी एवं चिकित्सकों की कुंडली खंगाल ली है. छापेमारी की पूरी स्क्रिप्ट लिखी जा चुकी है. अगले आठ से दस दिन के अंदर शहर के एक बड़े होमियोपैथिक चिकित्सक की डिस्पेंसरी पर कभी भी ड्रग विभाग की टीम छापेमारी कर सकती है. ड्रग विभाग […]
भागलपुर: ड्रग विभाग के इंस्पेक्टरों ने शहर के कई नामी होमियोपैथिक डिस्पेंसरी एवं चिकित्सकों की कुंडली खंगाल ली है. छापेमारी की पूरी स्क्रिप्ट लिखी जा चुकी है. अगले आठ से दस दिन के अंदर शहर के एक बड़े होमियोपैथिक चिकित्सक की डिस्पेंसरी पर कभी भी ड्रग विभाग की टीम छापेमारी कर सकती है. ड्रग विभाग द्वारा डॉ विनय गुप्ता की डिस्पेंसरी पर की गयी छापेमारी के बाद शहर के सभी होमियोपैथिक चिकित्सकों ने हड़ताल कर दी थी. इस हड़ताल में ड्रग विभाग की टीम पर नियमों को ताक पर रखने, मनमानी व धन उगाही का प्रयास करने का न केवल आरोप लगाया गया था, बल्कि इसकी शिकायत जिला स्तर से लेकर स्टेट लेवल पर की गयी थी. इसके बाद सतर्क ड्रग विभाग के जिम्मेदारों ने कदम फूंक-फूंक कर रखना शुरू कर दिया.
ड्रग विभाग के सूत्रों की मानें तो हाल में ही कार्रवाई की जद में आये होमियोपैथिक चिकित्सक डॉ अशोक पोरवाल की डिस्पेंसरी व उनकी पूरी कुंडली एक सप्ताह तक ड्रग विभाग ने खंगाली थी. जब मुखबिर ने हरी झंडी दिखायी तो तब जाकर सात सितंबर को डाॅ पोरवाल की डिस्पेंसरी पर छापेमारी की गयी.
फर्जी डिग्रीधारक हाेमियोपैथिक चिकित्सक हैं ड्रग विभाग के निशाने पर !: सूत्रों की मानें तो शहर में करीब एक दर्जन ऐसे होमियोपैथिक चिकित्सक हैं, जिनके पास होमियोपैथिक की डिग्री ही नहीं है. आधा दर्जन लोगों के पास तो ड्रग विभाग का लाइसेंस ही नहीं है.
ड्रग विभाग पहले इन्हीं चिकित्सकाें की रेकी कर रहा है ताकि अगर इनके डिस्पेंसरी पर छापेमारी की जाये और मानक से अधिक मात्रा में डाइल्यूशन न मिले तो कम से कम फर्जी डिग्री या फिर ड्रग लाइसेंस न होने के आधार पर कार्रवाई की जा सके. सूत्रों की मानें तो आठ से दस दिन के अंदर शहर के एक और बड़े होमियोपैथिक चिकित्सक की डिस्पेंसरी पर छापेमारी होगी. उसकी पूरी कुंडली खंगाली जा चुकी है.
होमियोपैथिक विधा को निगल जायेगा शासन का नया फरमान
गरीब बीमारों की विधा माने जाने वाली होमियोपैथिक विधा को शासन का नया फरमान निगल जायेगा. ड्रग एंड कॉस्मेटिक एक्ट के नियम के मुताबिक, होमियोपैथिक डिस्पेंसरी में 100 एमएल से ज्यादा डाइल्यूशन नहीं रखा जा सकेगा. जबकि 450 एमएल की तुलना में 100 एमएल का डाइल्यूशन का खरीद महंगा पड़ता है. होमियोपैथिक चिकित्सकों के अनुसार, डाइल्यूशन के स्टोरेज की लिमिट कम किये जाने से होमियोपैथिक दवा करीब पांच गुना महंगी हो जायेगी. दवा-इलाज महंगा होने से होमियोपैथिक से इलाज कराने वाले गरीब मरीज एलोपैथिक अस्पतालों का रूख करने लगेंगे. जिससे चिकित्सा की प्राचीन पद्धति होमियोपैथिक के अस्तित्व पर संकट आ जाने की आशंका है.
बैच नंबर का कानून दे रहा होमियोपैथिक चिकित्सकों को दर्द
नये कानून के मुताबिक, होमियोपैथिक चिकित्सकों को मरीजों को दी जाने वाले दवाओं पर बैच नंबर लिखना अनिवार्य होगा. होमियोपैथिक चिकित्सकों का दर्द ये है कि वे विभिन्न बीमारियों का अलग-अलग टींचर के जरिये मरीजों के इलाज के दौरान ही दो से तीन डोज बनाते हैं. ऐसे में इन दवाओं पर बैच नंबर लिखना संभव नहीं हो पाता है. बैच नंबर लिखने के लिए अलग-अगल टींचर की अलग-अलग दवा बनानी होगी जिससे दवा की संख्या और खर्च बढ़ेगा. मरीजों को परेशानी होने के साथ-साथ उन पर आर्थिक बोझ भी बढ़ेगा.