भागलपुर : मधुश्रावणी व्रत नाग पंचमी के दिन रविवार को शुरू हो गया. यह व्रत 13 दिनों तक चलता है. मैथिल समुदाय की नवविवाहिताओं ने विधि-विधान से व्रत करना शुरू कर दिया. नवविवाहिताओं ने रिवाज के अनुसार हरी साड़ी, हरी चूड़ी समेत अन्य शृंगार की चीजें भी हरे रंग की खरीदारी की. शनिवार को नहाय-खाय […]
भागलपुर : मधुश्रावणी व्रत नाग पंचमी के दिन रविवार को शुरू हो गया. यह व्रत 13 दिनों तक चलता है. मैथिल समुदाय की नवविवाहिताओं ने विधि-विधान से व्रत करना शुरू कर दिया. नवविवाहिताओं ने रिवाज के अनुसार हरी साड़ी, हरी चूड़ी समेत अन्य शृंगार की चीजें भी हरे रंग की खरीदारी की.
शनिवार को नहाय-खाय था. मानिक सरकार चौक के समीप विवेकानंद पथ की जागृति वत्स ने विधि-विधान से पूजा-अर्चना की. उन्होंने बताया कि यह 13 दिनों तक चलेगा. पांच अगस्त को तृतीया के दिन आखिरी व्रत होगा. पंडित शंकर मिश्रा ने बताया कि मैथिल समुदाय की नवविवाहिता अमर सुहाग के लिए मधुश्रावणी करती हैं. इस व्रत को विवाह के पहले सावन माह में किया जाता है. मिथिला की पारंपरिक रीति-रिवाज के अनुसार चलने वाले लोग देश-विदेश में इस व्रत को करते हैं. नेपाल में इस पर्व को बड़े ही पावन तरीके से मनाया जाता है.
व्रत का विधि-विधान : व्रती जागृति वत्स ने बताया कि सावन माह के प्रथम पक्ष चतुर्थी के दिन शनिवार को नवविवाहिताओं नहाय- खाय किया. रविवार को पंचमी के दिन पूजन सामग्री को संजो कर पूजन कक्ष में रखा. स्नान कर पूजन के लिए बैठी. कथा वाचिका पूनम मिश्रा ने विधि-विधान से व्रती को पूजा करवा रही है. पूजन स्थल पर मैनी (पुरइन, कमल का पत्ता) के पत्ते पर विभिन्न प्रकार की आकृतियां बनायी गयी. महादेव, गौरी, नाग-नागिन की प्रतिमा स्थापित कर व विभिन्न प्रकार के नैवेद्य चढ़ा कर पूजन प्रारंभ की गयी. इस व्रत में विशेष रूप से महादेव, गौरी, विषहरी व नाग देवता की पूजा की जाती है.
प्रत्येक दिन अलग-अलग कथाओं में मैना पंचमी, विषहरी, बिहुला, मनसा, मंगला गौरी, पृथ्वी जन्म, समुद्र मंथन, सती की कथा व्रती को सुनायी जाती है. प्रात:काल की पूजा में गोसांई गीत व पावनी गीत गायी जाती है तथा संध्या की पूजा में कोहबर तथा संझौती गीत गायी जाती है. व्रत के अंतिम दिन व्रती के ससुराल से मिठाई, कपड़े, गहने सहित अन्य सौगात भेजे जाते हैं.