भागलपुर : केस नंबर एक : भीखनपुर गुमटी नंबर दो निवासिनी महजबी के दो साल के बेटे को बीते दो दिन से दस्त आ रहा था. ओपीडी में दिखाया तो डॉक्टर ने दवा के साथ-साथ ओआरएस पाउडर भी लिखा. दवा काउंटर पर दवा तो मिल गयी लेकिन उसे ओआरएस पाउडर नहीं मिला. मजबूरन महजबी को बाहर से ओआरएस पाउडर खरीदनी पड़ी.
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दस्त हो या गैस, इलाज में सदर अस्पताल असमर्थ
भागलपुर : केस नंबर एक : भीखनपुर गुमटी नंबर दो निवासिनी महजबी के दो साल के बेटे को बीते दो दिन से दस्त आ रहा था. ओपीडी में दिखाया तो डॉक्टर ने दवा के साथ-साथ ओआरएस पाउडर भी लिखा. दवा काउंटर पर दवा तो मिल गयी लेकिन उसे ओआरएस पाउडर नहीं मिला. मजबूरन महजबी को […]
केस नंबर दो : जरलाही टोला निवासी राजू के बदन में खुजली हो रही थी. सदर अस्पताल स्थितओपीडी में चिकित्सक को दिखाया तो उसे गामा लोशन लगाने को बोला गया. दवा काउंटर पर राजू गया तो वहां से उसे गामा लोशन नहीं मिला. मजबूरन उसे बाहर स्थित मेडिकल स्टोर्स से उक्त दवा को खरीदना पड़ा.
ये चंद उदाहरण है सदर अस्पताल में दवा की उपलब्धता को बयां करने के लिए. सदर अस्पताल में आने वाले मरीजों को अब तो गैस तक की दवा नहीं मिल रही है. डायरिया की शिकायत होने पर ओआरएस नहीं मिलेगा. यहां तक अगर किसी को आई फ्लू होेने की स्थिति में यहां के मरीजों को दवा काउंटर से आई ड्राॅप्स तक मयस्सर नहीं होगा. प्रभात खबर ने जब सदर अस्पताल स्थित दवा वितरण केंद्र की पड़ताल की तो पाया कि छह माह से यहां पर ओआरएस पाउडर एवं गामा लोशन की सप्लाई नहीं है.
यहां तक बाहर छोटे-बड़े हर दवा की दुकानों पर आसानी से उपलब्ध गैस की दवाई(पैंटाप्रोजोल एंड डोमपेरीडॉन) और आई डॉप्स तक नहीं है.
दवा की कमी के कारण ही घट गये 25 प्रतिशत मरीज : दवा की कमी का ही परिणाम था कि वर्ष 2014-15 के मुकाबले 2015-16 में सदर अस्पताल में आने वाले मरीजों की संख्या 25 फीसदी तक कम हो गयी. जिला स्वास्थ्य समिति ने इस बार करीब दो करोड़ रुपये की लागत से दवा क्रय करने का मूड बनाया है. इसके बावजूद दवा की किल्लत सदर अस्पताल में अभी भी है.
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