भागलपुर: जेएलएनएमसीएच के हड्डी रोग विभाग के हालात ठीक नहीं है. वार्ड की खिड़कियां टूटी है, जिसके जरिये बंदर अंदर तक आ जा रहे हैं. यहां पर मरीजों को बंदरों के खौफ के साये तले अपना इलाज कराना पड़ रहा है.
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कई बंदर, हड्डी रोग के वार्ड के अंदर
भागलपुर: जेएलएनएमसीएच के हड्डी रोग विभाग के हालात ठीक नहीं है. वार्ड की खिड़कियां टूटी है, जिसके जरिये बंदर अंदर तक आ जा रहे हैं. यहां पर मरीजों को बंदरों के खौफ के साये तले अपना इलाज कराना पड़ रहा है. बंदरों के आतंक तले इलाज की मजबूरी. हड्डी रोग विभाग के तीन वार्ड ऐसे […]
बंदरों के आतंक तले इलाज की मजबूरी. हड्डी रोग विभाग के तीन वार्ड ऐसे हैं जहां पर करीब 40 मरीज इलाज करा रहे हैं. वार्ड के दक्षिण दिशा स्थित तीनों वार्ड की खिड़कियों के शीशे टूट चुके हैं. इन खिड़कियों से अब तो बंदर भी अंदर आने लगे हैं. यहां पर भरती एक मरीज ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि अब तो बंदर इन टूटी खिड़कियों पर पहुंचने लगे हैं. अगर वार्ड में मरीज कुछ खाता है और बंदर नहीं पाते हैं तो वे वार्ड के अंदर घुस आते हैं और वार्ड में रखे खाद्य पदार्थों को उठा ले जाते हैं. अब तो इन्हीं बंदरों के आतंक के साये तले इलाज कराने की मजबूरी बन चुकी है. वार्ड में ऐसा कोई रूम नहीं है, जहां की खिड़कियां आज की तारीख में टूटी न हो.
शौचालय-बाथरूम ऐसा कि अंदर संभलना मुश्किल. वार्ड की सफाई का आलम यह है कि अंदर घुसते ही एक अजीब सी गंध नथुनों को चीरते हुए अंदर चली जाती है. बिना नाक पर रूमाल रखे अंदर रहना मुश्किल है. वार्ड में शौचालय और बाथरूम भी है, लेकिन यहां के फर्श पर पसरे पानी आैर गंदगी को देख ऐसा लगता है कि मानो यहां पर कई दिनों से सफाई नहीं किया गया हो.
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