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रास्ता तक नहीं है स्वामी विवेकानंद की वेदी तक पहुंचने का
भागलपुर : भागलपुर के लिए गौरव की बात है कि यहां की धरती पर स्वामी विवेकानंद के पांव पड़े थे. बरारी वाटर वर्क्स के समीप गंगा के जिस तट पर स्वामीजी ने सात दिनों तक हर शाम चिंतन, ध्यान किया, आज उस पवित्र भूमि को वीरान व उपेक्षित छोड़ दिया गया है. हालांकि वहां विवेकानंद […]
भागलपुर : भागलपुर के लिए गौरव की बात है कि यहां की धरती पर स्वामी विवेकानंद के पांव पड़े थे. बरारी वाटर वर्क्स के समीप गंगा के जिस तट पर स्वामीजी ने सात दिनों तक हर शाम चिंतन, ध्यान किया, आज उस पवित्र भूमि को वीरान व उपेक्षित छोड़ दिया गया है. हालांकि वहां विवेकानंद के नाम से वेदी बनी हुई है, जिस पर स्वामीजी की प्रतिमा स्थापित है.
लेकिन खुला होने की वजह से वहां कुत्तों व अन्य पशुओं की आवाजाही बनी रहती है. स्वामीजी की वेदी तक कोई जाना चाहे, तो कोई रास्ता भी नहीं है. वाटर वर्क्स परिसर होकर वेदी तक कोई यूं ही नहीं जा सकते. वजह, यह हाइली प्रोटेक्टेड एरिया है. वाटर वर्क्स के गेट पर ताला लगा रहता है. किसी संगठन या जनप्रतिनिधि ने भी रास्ता के लिए अभी तक कोई आवाज नहीं उठायी है. लेकिन भागलपुर इस बात को कतई बिसार नहीं सकता कि विवेकानंद जब भारत भ्रमण पर निकले थे,
तो उनका पहला पड़ाव भागलपुर ही था. विवेकानंद केंद्र कन्याकुमारी के बिहार प्रांत प्रमुख विजय वर्मा ने विवेकानंद केंद्र द्वारा प्रकाशित पुस्तक वांड्रिंग मौंक के हवाले से बताया कि स्वामीजी अगस्त 1890 में स्वामी अखंडानंद के साथ भागलपुर आये थे. जब वे भारत भ्रमण के लिए निकले, तो पहला पड़ाव भागलपुर बनाया. उनकी पहली मुलाकात नित्यानंद सिंह से हुई थी. मनमथराज चौधरी के घर गये थे. भागलपुर में लगभग सात दिन तक रहे. मनमथ बाबू के घर पर आध्यात्मिक चर्चा भी हुई.
शाम के समय गंगा के तट पर चिंतन, ध्यान करने जाया करते थे. भागलपुर के बाद वे वाराणसी गये थे. इसके तीन वर्ष के बाद वर्ष 1893 में अमेरिका में विश्व धर्म महासभा में उपस्थिति दर्ज करायी, जहां दिये भाषण इतिहास के पन्नों में दर्ज हो गया.
विवेकानंद वेदी पर 12 जनवरी को जयंती और चार जुलाई को पुण्यतिथि मनाने के लिए कुछ लोग हर साल जाते हैं. इस अवसर पर छात्र व कुछेक अन्य संगठन, एक-दो जनप्रतिनिधि शामिल होते हैं. फूल-माला अर्पित करते हैं और उसके बाद भूल जाते हैं.
बरारी वाटर वर्क्स के बगल में गंगा तट पर आये थे स्वामी विवेकानंद
इस पवित्र धरती पर बनी विवेकानंद वेदी पर घेरा तक नहीं है
स्वामीजी की जयंती पर कुछ लोग फूल-माला अर्पित करते हैं और फिर भूल जाते हैं
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