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ढाई हजार दिन में नहीं पहुंच सका ऑर्डर

एनएच विभाग से जनता का सवाल. चंपा व भैना पुल बनने में और कितने साल लगेंगे शहर के दो दिशा पूरब में भैना और पश्चिम में चंपा पुल अर्धनिर्मित है. पुल बनाने की जिम्मेदारी एनएच विभाग की है. लगभग ढाई हजार दिन बीत चुके हैं, मगर जीरोमाइल चौक पर स्थित एनएच कार्यालय से 12 वें […]

एनएच विभाग से जनता का सवाल. चंपा व भैना पुल बनने में और कितने साल लगेंगे

शहर के दो दिशा पूरब में भैना और पश्चिम में चंपा पुल अर्धनिर्मित है. पुल बनाने की जिम्मेदारी एनएच विभाग की है. लगभग ढाई हजार दिन बीत चुके हैं, मगर जीरोमाइल चौक पर स्थित एनएच कार्यालय से 12 वें किमी पर चंपानगर और 25 वें किमी पर कहलगांव तक ऑर्डर नहीं पहुंच सका है.
भागलपुर : शहर के दो दिशा पूरब में भैना और पश्चिम में चंपा पुल अर्धनिर्मित है, पर िनर्माण से संबंधित एनएच का ऑर्डर नहीं मिलने की वजह से आज तक ये दोनों पुल नहीं बन सका है. दोनों पुल अर्धनिर्मित ही रह गया है. ऐसे में लाेगों का विभाग से सीधे सवाल है कि चंपा व भैना पुल बनने में और कितने साल लगेंगे या पुल बनाने की योजना लंबित रहेगी? वर्ष 2009 में कार्य योजना बनी थी.
व्यापार पर पड़ रहा है असर
राजनीतिक इच्छा शक्ति का अभाव है
भैना व चंपा पुल भागलपुर का लाइफ लाइन है. शहर में प्रवेश का एक मात्र उपाय है. पुल नहीं बनने से व्यापार और पर्यटन दोनों पर असर पड़ा है. व्यापारी और पर्यटकों का आना बंद हो गया है. प्रशासनिक लापरवाही है. राजनीतिक इच्छा शक्ति का भी अभाव है. दोनों पुल जल्द से जल्द बने, ताकि आवागमन सुचारू रूप से हो सके.
प्रकाश चंद्र गुप्ता, सामाजिक कार्यकर्ता
जनहित में पुल का निर्माण होना चाहिए
भैना व चंपा पुल अहम रास्ते पर है. जनहित में पुल बनना चाहिए. संकरी सड़क है और अंग्रेजी शासन काल में बना स्क्रू पाइल पुल खतरनाक हो गया है. इसके बावजूद विभाग अगर टालमटोल कर रहा है, तो इस पर प्रशासनिक पहल की दरकार है. विभाग के जिम्मेदार पदाधिकारी क्या कहते हैं, उनसे इस बारे में जानकारी लेकर मामले का निष्पादन कराया जाये.
डा विनय गुप्ता
ठेकेदार से काम छीन कर गलती मानने लगा एनएच
विभागीय अभियंता भी अब दबी जुबान में कहने लगा है कि पहले के ठेकेदार को हटाया नहीं जाना चाहिए था. उसी से अगर काम लिया गया रहता, तो सालों पहले पुल बन होता. बेवजह टेंडर की पेच में दोनों पुल फंस गया है. मालूम हो कि निर्माण कार्य के दौरान दोनों पुल का एक-एक पाया झुका, तो काम बंद हो गया. इसके बाद फिर से निर्माण शुरू करने का ठेकेदार पर दबाव बनाने के बजाय वर्ष 2012 में विभाग ने काम छीन लिया. इसके बाद से न तो टेंडर फाइल हुआ और न ही दोनों पुल के निर्माण का कार्य को लेकर ऑर्डर जारी हो सका है.
पांच माह पहले खुला टेंडर, मंत्रालय से नहीं मिली काम कराने की अनुमति
भैना व चंपा पुल का फाइनल टेंडर खुले पांच माह बीत चुका है. मगर अब तक संबंधित ठेकेदार को काम कराने की अनुमति नहीं मिली है. जनवरी में पटना की दयाल हाइटेक कंस्ट्रक्शन कंपनी के नाम टेंडर खुला है. फाइनांसियल बिड की फाइल मंत्रालय में पड़ी है. पहले बिड रेड जस्टिफिकेशन होने की बात बता कर टालमटोल किया जा रहा था और अब इस मामले में एनएच के मुख्यालय भी चुप्पी साध लिये हैं. भैना और चंपा पुल का टेक्निकल बिड पिछले साल नवंबर में खुला था.

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