भागलपुर : सांप्रदायिक तनाव के दौरान अहम भूमिका निभानेवाली शांति समिति का पुनर्गठन किया जायेगा. इसके लिए गृह विभाग के विशेष सचिव ने जिला प्रशासन को पत्र लिखा है. इसमें जिला, अनुमंडल और प्रखंड स्तर पर गठित शांति समिति में गैर सरकारी सदस्यों की संख्या कम करने के लिए कहा है.
नयी समिति में जिलाधिकारी से नामित पांच सदस्य ही रह जायेंगे. फिलहाल शांति समिति में गैर सरकारी सदस्यों के नामित होने की संख्या का कोई निर्धारण नहीं है. विभिन्न स्तर पर गठित शांति समिति में अध्यक्ष की अनुमति से गैर सरकारी सदस्य की संख्या 20 से अधिक रहती है. गृह विभाग के नये निर्देश पर मौजूदा शांति समिति में शामिल कई लोगों के नाम कट जायेंगे.
शांति समिति में गैर सरकारी सदस्यों की संख्या का नहीं था निर्धारण
सांप्रदायिक तनाव के दौरान शांति समिति की सक्रियता पर दिया जोर
यह होगा शांति समिति का नया स्वरूप
जिलास्तरीय शांति समिति: जिला स्तरीय समिति के जिलाधिकारी अध्यक्ष होंगे और इसमें एसएसपी, सांसद, विधायक व विधान परिषद के सदस्य, नगर निगम मेयर, नगर आयुक्त, अपर समाहर्ता, सभी अनुमंडल पदाधिकारी, अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी, विधानमंडल प्रतिनिधत्व वाले राजनीति दलों के जिलाध्यक्ष और जिलाधिकारी से नामित पांच सदस्य शामिल हैं.
अनुमंडल स्तरीय शांति समिति: इसके अध्यक्ष अनुमंडल पदाधिकारी होंगे और उसमें अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी, भूमि सुधार उप समाहर्ता, राजनीतिक दलों के प्रतिनिधि और पांच मनोनीत सामाजिक कार्यकर्ता.
प्रखंड स्तरीय शांति समिति: इसके अध्यक्ष प्रखंड विकास पदाधिकारी या अंचलाधिकारी होंगे. इसके अलावा प्रखंड के अंतर्गत आने वाले थानाध्यक्ष, अनुमंडलीय शांति समिति के गैर सरकारी सदस्य, सभी सरपंच और विभिन्न संप्रदाय के पांच मनोनीत सदस्य होंगे.
यह होती है शांति समिति की भूमिका
भागलपुर जैसे संवेदनशील शहर में होली, दुर्गापूजा, दिवाली, काली पूजा, विषहरी पूजा, मुहर्रम, छठ पूजा, विश्वकर्मा पूजा, सरस्वती पूजा के दौरान शांति समिति की भूमिका अहम रहती है.
समिति सभी सरकारी और गैर सरकारी सदस्य शांतिपूर्वक समारोह को संपन्न कराने की पर्व से पहले योजना तैयार करती हैं. इसमें आनेवाली अड़चन को दूर करने के लिए पहले ही उपाय किये जाते हैं. वहीं पर्व के दौरान हंगामा आदि की स्थिति में भीड़ को शांत करने में समिति के सदस्य अलर्ट रहते हैं.