भागलपुर :140 साल पुराने ब्रिटिश कालीन गोपालपुर के रेलवे ओवर ब्रिज के टूटने से पहले पुल से गुजरने का आखिरी गवाह बनी मालदा से जमालपुर जाने वाली मालदा-जमालपुर इंटरसिटी एक्सप्रेस. 10:25 बजे सुबह यह ट्रेन धीरे-धीरे इस पुल के नीचे से इस तरह गुजर रही थी, मानो इस पुल को आखिरी सलामी दे रही हो.ट्रेन […]
भागलपुर :140 साल पुराने ब्रिटिश कालीन गोपालपुर के रेलवे ओवर ब्रिज के टूटने से पहले पुल से गुजरने का आखिरी गवाह बनी मालदा से जमालपुर जाने वाली मालदा-जमालपुर इंटरसिटी एक्सप्रेस. 10:25 बजे सुबह यह ट्रेन धीरे-धीरे इस पुल के नीचे से इस तरह गुजर रही थी, मानो इस पुल को आखिरी सलामी दे रही हो.ट्रेन में बैठे सभी यात्री भी कौतूहल निगाहों से इस पुल को देख रहे थे. सबौर स्टेशन से जब यह ट्रेन इस पुल के कुछ दूरी पर थी,
तो इस ट्रेन पर बैठे यात्री भी इस भीड़ को देखकर समझ नहीं पाये थे कि आखिर इतनी भीड़ क्यों है. लेकिन पुल के नजदीक आते ही यात्रियों को पुल के बारे में सब समझ में आ गया.
सभी थे परेशान आखिर अब जायेंगे किस रास्ते. पुल के टूट जाने का गोपालपुर के लोगाें में काफी दुख भी. लेकिन जब पुल टूट गया तो इस बात को लेकर काफी परेशान थे कि आखिर अब भागलपुर जाने के लिए नजदीक रास्ता कौन सा होगा. अब लोगों को लाइन पार कर के ही जाना पड़ेगा, नहीं तो नये ओवर ब्रिज और बाइपास के पूरा होने का इंतजार करना पड़ेगा. गोपालपुर के इस पुल के रास्ते जिछाे-सरधो सहित कई गांव के लोग भागलपुर जाते थे. अब इन्हें गोराडीह और कोढ़ा गांव होते हुए इशाकचक के रास्ते जाना पड़ेगा.
बचपन इसी पुल को देखते हुए बीता था,अब टूट जाने का है गम. गांव के कुछ बुजुर्ग लोग जो इस पुल को टूटता देखने के लिए आये थे,उनकी आंखी थोड़ी नम थी. कारण इसी पुल को देखते-देखते बचपन से बड़े और बूढ़े हो गये. इस पुल से हर दिन जाते थे. एक बुजुर्ग ने कहा, बेटा पुल टूटी गेलै, बड़ा दुख होलै. कई महिलाएं भी पुल को टूटते देखने के लिए खड़ी थी.