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इतिहासकारों ने की भामाशाह की उपेक्षा

धूमधाम से मना दानवीर भामाशाह का जयंती समारोह भागलपुर : इतिहासकारों ने इतिहास में भामाशाह को उचित स्थान नहीं दिया. यदि भामाशाह नहीं होते, तो महाराणा प्रताप जंगलों की खाक छानते रहते. महाराणा प्रताप की आर्थिक सहायता कर मुगल शासक की दासता नहीं स्वीकारने के लिए प्रेरित किया और भामाशाह ने राष्ट्रभक्ति प्रदर्शित की. उक्त […]

धूमधाम से मना दानवीर भामाशाह का जयंती समारोह

भागलपुर : इतिहासकारों ने इतिहास में भामाशाह को उचित स्थान नहीं दिया. यदि भामाशाह नहीं होते, तो महाराणा प्रताप जंगलों की खाक छानते रहते. महाराणा प्रताप की आर्थिक सहायता कर मुगल शासक की दासता नहीं स्वीकारने के लिए प्रेरित किया और भामाशाह ने राष्ट्रभक्ति प्रदर्शित की.
उक्त बातें शिक्षाविद् प्रो डीएन साह ने सोमवार को भागलपुर महानगर तैलिक साहु सभा की ओर से आयोजित दानवीर भामाशाह की जयंती समारोह के दौरान कही. समारोह की अध्यक्षता रामगोपाल पोद्दार ने एवं मंच का संचालन पार्षद संतोष कुमार ने किया. अतिथियों का स्वागत शंकर प्रसाद साह ने किया. जगतराम साह कर्णपुरी ने कहा कि भामाशाह सच्चे अर्थों में राष्ट्रभक्त व दानवीर थे.
डॉ गोपालचंद्र सुमन ने कहा कि भामाशाह ने जीवन भर की कमाई महाराणा प्रताप को समर्पित किया, ताकि उनके प्रांत में मुगल शासक का कब्जा नहीं हो सके. इस मौके पर नरेश शर्मा शांडिल्य, सूर्य शंकर साह, रमण साह, निरंजन साह, चंदन साह, नंद कुमार पाल, दीपनारायण, उमेश साह, कमल किशोर एकलव्य आदि उपस्थित थे.
इधर वैश्य चेतना परिषद की ओर से नाथनगर स्थित सार्वजनिक भवन में महाराणा प्रताप के जीवन संघर्ष में दानवीर भामाशाह का योगदान विषयक गोष्ठी हुई. गोष्ठी की अध्यक्षता जगतराम साह कर्णपुरी ने की. इस मौके पर मुख्य अतिथि जयप्रकाश साह, विनोद प्रसाद, योगेंद्र साह, पूरण साह, प्रशांत गुप्ता, किशोर साह, मृत्युंजय साह, रामस्वरुप साह आदि उपस्थित थे.

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