भागलपुर : क्लिनिकल इस्टेब्लिशमेंट एक्ट का मौजूदा स्वरूप बिहार, गरीब मरीजों एवं चिकित्सकों के हितों के खिलाफ है. इस एक्ट को लागू होने पर मरीजों का इलाज न केवल महंगा हो जायेगा, बल्कि छोटे-मोटे नर्सिंग होम्स एवं डिस्पेंशरी बंद हो जायेंगे. जब तक इस एक्ट में जरूरी संशोधन नहीं किया जायेगा, तब तक एक भी चिकित्सक अपने नर्सिंग होम्स और डिस्पेंशरी का रजिस्ट्रेशन(निबंधन) नहीं करायेगे. मौजूदा एक्ट के विरोध में 30 अप्रैल को पटना भवन से सूबे के करीब दस हजार चिकित्सक रैली निकाल कर अपना विरोध दर्ज कराएंगे. इस रैली में भागलपुर से करीब 100 चिकित्सक शामिल हाेंगे.
Advertisement
एक्ट में संशोधन के बगैर नहीं करायेंगे रजिस्ट्रेशन
भागलपुर : क्लिनिकल इस्टेब्लिशमेंट एक्ट का मौजूदा स्वरूप बिहार, गरीब मरीजों एवं चिकित्सकों के हितों के खिलाफ है. इस एक्ट को लागू होने पर मरीजों का इलाज न केवल महंगा हो जायेगा, बल्कि छोटे-मोटे नर्सिंग होम्स एवं डिस्पेंशरी बंद हो जायेंगे. जब तक इस एक्ट में जरूरी संशोधन नहीं किया जायेगा, तब तक एक भी […]
उक्त बातें आइएमए(भारतीय चिकित्सा संघ) भागलपुर शाखा के पदाधिकारी एवं सदस्यों ने आइएमए हॉल में आयोजित पत्रकार वार्ता में कहीं. आइएमए भागलपुर के अध्यक्ष डॉ हेमशंकर शर्मा ने कहा कि इस एक्ट में जो नियम, अनिवार्यता एवं शर्त लागू की गयी है, उसे सामान्य चिकित्सक किसी भी सूरत में नहीं पूरा कर पाएगा. इसको केवल कारपोरेट अस्पताल ही पूरा कर पायेंगे. आइएमए बिहार ने पूर्व में इस एक्ट में कुछ संशोधन की सिफारिश की थी.
बिहार सरकार ने संशोधन का भरोसा भी दिलाया था. यहां तक यह मामला न्यायालय में विचाराधीन है. ऐसे में अचानक इस एक्ट को लागू कर रजिस्ट्रेशन की तिथि 15 मई घोषित कर देना सरकार की मंशा-नियत पर कई सवाल खड़ा करता है. अगर यह एक्ट लागू हो गया तो एक छोटी डिस्पेंशरी खोलने में 20 लाख और नर्सिंग होम खोलने में 50 लाख रुपये की जरूरत होगी.
वरिष्ठ चिकित्सक डॉ डीपी सिंह ने कहा कि करीब 60-70 प्रतिशत मरीजों का इलाज नर्सिंग होम या निजी डिस्पेंशरी में होता है. इस एक्ट को अधिकांश नर्सिंग होम एवं डिस्पेंशरी पूरा न कर पाने के कारण स्वत: बंद हो जाएंगे. यह एक्ट दिल्ली समेत मेट्रो सिटी के लिए था न कि बिहार जैसे आर्थिक रूप से कमजाेर राज्य के लिये. बिना संशोधन बिहार के करीब 10 हजार चिकित्सक में से एक भी निबंधन नहीं करायेंगे.
आइएमए के पूर्व सचिव डॉ संजय सिंह ने कहा कि कारपोरेट चिकित्सालयों के दबाव में इस एक्ट को सूबे में लागू किया गया है. पहले सरकारी अस्पतालों को इस एक्ट के अनुरूप सरकार बनाएं फिर हम चिकित्सकों से निबंधन की अपेक्षा करें. प्रेसवार्ता को डॉ संदीप लाल, आइएमए के महासचिव डॉ एसके निराला, डॉ राजीव लाल, डॉ सोमेन चटर्जी, डॉ राजीव सिन्हा ने भी
संबोधित किया.
Prabhat Khabar App :
देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए
Advertisement