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गतिरोध. लॉगर मशीन व तकनीकी सेल एक्सपर्ट की है कमी

हाइटेक पुलिसिंग का कमजोर तकनीकी सेल भागलपुर पुलिस के समक्ष आज भी हाइटेक क्राइम का समय पर उद‍्भेदन करना एक चुनौती है. हालांकि यहां के पुलिस पदाधिकारी सीमित संसाधन में ही केस का अुनसंधान कर रहे हैं. वे किसी केस को कुछ घंटों व कुछ दिनों में उद‍्भेदित कर रहे हैं, तो कुछ का कुछ […]

हाइटेक पुलिसिंग का कमजोर तकनीकी सेल

भागलपुर पुलिस के समक्ष आज भी हाइटेक क्राइम का समय पर उद‍्भेदन करना एक चुनौती है. हालांकि यहां के पुलिस पदाधिकारी सीमित संसाधन में ही केस का अुनसंधान कर रहे हैं. वे किसी केस को कुछ घंटों व कुछ दिनों में उद‍्भेदित कर रहे हैं, तो कुछ का कुछ माह व वर्षों के बाद भी उद‍्देभन नहीं कर पाये हैं.
भागलपुर : सूत्रों की मानें तो भागलपुर की पुलिस कई तकनीकी सुविधाओं से लैस है, लेकिन हाइटेक तकनीकी सुविधा के मामले में काफी पीछे चल रही है. यही वजह है कि साइबर क्राइम, मर्डर, अहरण आदि कई मामलों को पुलिस समय पर खुलासे नहीं कर पाती है. इसके लिए बाहर से जांच रिपोर्ट आने का इंतजार करना पड़ता है.
जब तक जांच रिपोर्ट आती है तब तक मामले में बहुत कुछ खत्म हो जाता है. भागलपुर पुलिस के पास भी साइबर सेल व तकनीकी सेल, फोरेंसिक जांच आदि सुविधा प्राप्त है, लेकिन इसकी पूरी सुविधा के लिए पटना, हैदराबाद, गाजियाबाद जैसे जांच लैब का मुंह देखना पड़ता है.
तकनीकी सेल है पर एक्सपर्ट नहीं
सूत्रों की मानें तो पुलिस प्रशासन के पास हाइटेक अपराधियों को पकड़ने के लिए तकनीकी सेल है. यह सेल मात्र दो काउंस्टेबुल के सहारे चल रहा है. इस सेल के सहारे अपराधियों मोबाइल लोकेशन का पता लगाना, सीडीआर निकलवाना आदि कई काम होते हैं. यहां सब इंसपेक्टर स्तर के एक्सपर्ट की नियुक्ति होने से अनुसंधान को गति मिलेगी.
वर्तमान में कहलगांव डीएसपी और इशाकचक इंसपेक्टर को गाजियाबाद में ट्रेनिंग दिलायी गयी है. इनके साथ कार्यशाला आयोजित कर तकनीकी जानकारी दी जा रही है. वाबजूद इसके डेटा ऑपरेटर व तकनीकी जानकार की कमी का असर अनुसंधान के समय पर पड़ रहा है.

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