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अपनी मर्जी से काम करने की हो आजादी

भागलपुर : आत्महत्या की बढ़ती घटनाओं से युवाओं की चिंता बढ़ गयी है. अपने ही सहपाठियों द्वारा आत्महत्या जैसे कदम को गलत बता रहे हैं. उनका कहना है कि कोई समस्या आने पर उसे दूर किया जा सकता हैं. इसके लिए जान देना कमजोर होने की निशानी है. अभिभावक व शिक्षक को बच्चों को उनके […]

भागलपुर : आत्महत्या की बढ़ती घटनाओं से युवाओं की चिंता बढ़ गयी है. अपने ही सहपाठियों द्वारा आत्महत्या जैसे कदम को गलत बता रहे हैं. उनका कहना है कि कोई समस्या आने पर उसे दूर किया जा सकता हैं. इसके लिए जान देना कमजोर होने की निशानी है. अभिभावक व शिक्षक को बच्चों को उनके मन का करने दें. डॉक्टर, इंजीनियर व आइएएस बनने के लिए दबाव नहीं बनाये. कोई जटिल समस्या हो, तो अभिभावक व शिक्षक उसे सुलझाये.

जीवन अनमोल है
छात्र पढ़ाई को लेकर अंदर ही अंदर असुरक्षित महसूस करते हैं. कैरियर को लेकर किसी प्रकार का दबाव उन्हें मिलता है, तो इसका संघर्ष छात्र नहीं कर पाते हैं. इसके लिए घर से लेकर शिक्षण संस्थान तक दोस्ताना वातावरण बनाने की आवश्यकता है. बच्चे पिता से ज्यादा मां से खुल कर बात करते हैं.
मां इस बारे में बच्चों से बात करें. कैरियर को लेकर प्यार से बात करें. बच्चों को प्यार कम मिलने के कारण वह गलत रास्ता पर चलने लगते हैं. लिहाजा मोबाइल पर किसी के साथ दोस्ती हो जाती है. पढ़ाई के समय इस तरह की बात होने से बच्चे निर्णय नहीं ले पाते हैं कि किस रास्ते पर जाये. किस रास्ते पर नहीं जाये. इससे गलत निर्णय लेने को विवश हो जाते हैं.
डॉ निशा राय, प्राचार्य मारवाड़ी कॉलेज

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