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पीजी कोर्स पर लग सकता है ग्रहण!

पीजी कोर्स पर लग सकता है ग्रहण! – मेडिकल कॉलेज में सर्जरी, मेडिसिन व पीडियेट्रिक विषयों में होती है पीजी की पढ़ाई- मानक के अनुरूप सुविधाएं नहीं, एक्जाम के समय एमसीआइ टीम करेगी निरीक्षण- जेएलएनएमसीएच में अस्थायी रूप से मेडिकल पीजी कोर्स की मिली है इजाजत संवाददाता, भागलपुरजवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज में एमबीबीएस के अतिरिक्त […]

पीजी कोर्स पर लग सकता है ग्रहण! – मेडिकल कॉलेज में सर्जरी, मेडिसिन व पीडियेट्रिक विषयों में होती है पीजी की पढ़ाई- मानक के अनुरूप सुविधाएं नहीं, एक्जाम के समय एमसीआइ टीम करेगी निरीक्षण- जेएलएनएमसीएच में अस्थायी रूप से मेडिकल पीजी कोर्स की मिली है इजाजत संवाददाता, भागलपुरजवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज में एमबीबीएस के अतिरिक्त तीन विषयों में पोस्ट ग्रेजुएट मेडिकल की पढ़ाई होती है. मेडिसिन व सर्जरी विषय में तीन साल से और पीडियेट्रिक में चार साल से पीजी की पढ़ाई होती है. पीडियेट्रिक के प्रथम बैच के छात्रों के फाइनल इयर की एक्जाम हो चुकी है और मेडिसिन व सर्जरी विषय के अंतिम वर्ष की एक्जाम अप्रैल माह में होनी है. इसी दौरान दिल्ली से एमसीआइ की टीम मेडिकल कॉलेज का निरीक्षण करने आयेगी. एमसीआइ टीम को मानक के अनुरूप अगर कॉलेज में कमी पायी गयी, तो पीजी कोर्स की पढ़ाई पर रोक लगा सकती है. अस्पताल अधीक्षक डॉ आरसी मंडल ने बताया कि इसी के मद्देनजर कमरा, प्रोफेसर के लिए चैंबर व अस्पताल में जो जांच की मशीन खराब पड़ी है, उसे ठीक करवायी जा रही है. मेडिकल कॉलेज में प्रयोग के तौर पर तीन विषयों में पीजी की पढ़ाई के लिए अस्थायी तौर पर इजाजत दी गयी है. फैकल्टी का संकट व इको व एमआरआइ की नहीं है सुविधा एमसीआइ के मानक के अनुरूप मेडिकल कॉलेज में पीजी की पढ़ाई के लिए प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर व असिसटेंट प्रोफेसर की पूरी यूनिट होनी चाहिए, जो फिलहाल उपलब्ध नहीं है. सर्जरी विभाग में ही प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर व असिसटेंट प्रोफेसर की पूरी यूनिट है, मेडिसिन और पीडियेट्रिक विभाग में फैकल्टी की काफी कमी है. वैसे कॉलेज में अल्ट्रासाउंड, एक्स-रे, सीटी स्कैन की सुविधा है, लेकिन एमआरआइ और इको मशीन की सुविधा नहीं है. पीडियेट्रिक विभाग एबीजी मशीन भी कार्टिलेज की खराबी के कारण बंद है. पढ़ाई के हिसाब से कमरा और बेड साइड लाइब्रेरी की सुविधा भी नहीं है. मेडिसिन वार्ड में लाइब्रेरी नहीं है. रेकार्ड रूम को कंप्यूटराइज नहीं किया गया है. आइसीडी-10 यानी इंटरनेशनल क्लासिफिकेशन ऑफ डिजिज की सुविधा नहीं है. आइसीडी-10 सिस्टम का मतलब है कि एक क्लिक पर किसी भी मरीज के बारे में पूर्ण जानकारी उपलबध हो जाती है. मानक को पूरा करने की कोशिशअस्पताल अधीक्षक डॉ आरसी मंडल ने बताया कि कॉलेज व अस्पताल स्तर पर मानक के अनुरूप जो संभव है, उसे पूरा करने की कोशिश की जा रही है. जैसे- कमरे और प्रत्येक प्रोफेसर के लिए चैंबर का निर्माण, सभी विषयों में लाइब्रेरी आदि की सुविधा छात्रों को मिले इसके लिए प्रयास किया जा रहा है. इको मशीन भी जल्द उपलब्ध हो जायेगी. एमआरआइ मशीन और आइसीडी-10 सिस्टम राज्य स्वास्थ्य विभाग की पहल पर ही संभव हो सकेगा.

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