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परंपरागत ज्ञान व आधुनिक तकनीक से टिकाऊ खेती

परंपरागत ज्ञान व आधुनिक तकनीक से टिकाऊ खेती -बिहार कृषि विश्वविद्यालय में दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी शुरू, बोले कुलपतिफोटो : मनोजवरीय संवाददाता, भागलपुरबिहार कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ अरुण कुमार ने कहा कि अच्छे व गुणवत्तायुक्त कार्य और शोध के लिए वैज्ञानिकों व कर्मचारियों को सम्मानित किया जायेगा. इसका उद्देश्य उनमें कार्य के प्रति प्रतिस्पर्धा […]

परंपरागत ज्ञान व आधुनिक तकनीक से टिकाऊ खेती -बिहार कृषि विश्वविद्यालय में दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी शुरू, बोले कुलपतिफोटो : मनोजवरीय संवाददाता, भागलपुरबिहार कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ अरुण कुमार ने कहा कि अच्छे व गुणवत्तायुक्त कार्य और शोध के लिए वैज्ञानिकों व कर्मचारियों को सम्मानित किया जायेगा. इसका उद्देश्य उनमें कार्य के प्रति प्रतिस्पर्धा व बेहतर कार्य करने की लालसा बनाये रखने की है. उन्होंने कहा कि परंपरागत ज्ञान व अाधुनिक तकनीकों का उचित समावेश व सही इस्तेमाल से ही टिकाऊ खेती संभव है. डॉ कुमार मंगलवार को विश्वविद्यालय के प्रेक्षागृह में इन्टेलेक्चुअल प्रॉपर्टी राइट्स इन एग्रीकल्चर : नीड्स एंड फ्यूचर विषय पर आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी के उद्घाटन समारोह को संबोधित कर रहे थे. निदेशक अनुसंधान ने स्वागत संबोधन प्रस्तुत किया गया.उन्होंने कहा कि इसकी जानकारी किसानों को होनी चाहिए ताकि वे अपनी बौद्धिक संपदा के अधिकार को समझ सकें. डॉ चंदन रॉय ने संगोष्ठी की विस्तृत रूपरेखा प्रस्तुत की. इससे पूर्व संगोष्ठी में सोवेनियर का भी विमोचन किया गया. निदेशक अनुसंधान ने अतिथियों का स्वागत पुष्प गुच्छ, अंग वस्त्र व मोमेंटो से किया. छात्राओं ने विश्वविद्यालय का कुलगीत प्रस्तुत किया. मौके पर डॉ हंचिनल ने बौद्धिक संपदा अधिकार पर विस्तृत जानकारी दी. उन्होंने कहा कि दूसरी हरित क्रांति की शुरुआत इसी क्षेत्र से संभावित है. उन्होंने अंग की धरती को ज्ञान संपदा का धरोहर बताया. संगोष्ठी को डॉ इलियास व डॉ कोचर ने भी संबोधित किया. कतरनी चावल के पंजीकरण पर बलसंगोष्ठी के दौरान पांच तकनीकी सत्र का आयोजन हुआ. इसमें शोध पत्र प्रस्तुत किया गया. वक्ताओं ने कहा कि स्थानीय फसल कतरनी चावल, जर्दालू आम, मगही पान, चिनिया केला आदि बौद्धिक संपदा के समुचित पंजीकरण पर बल देना होगा. इस मौके पर भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के वरीय पदाधिकारी डॉ आरआर हंचिनल, डॉ एसएम इलियास, डॉ सुधीर कोचर, डॉ केके सिंह आदि मौजूद थे.

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