भागलपुर: पुलिस विभाग में कुछ भी संभव है. जीवित व्यक्ति को पुलिस मार सकती है और मृत व्यक्ति को जिंदा कर सकती है. ऐसा ही एक मामला बांका जिले में हुआ है.
यहां पदस्थापित इंस्पेक्टर राधेश्याम सिंह (अब पटना में है) ने एक केस में मुर्दे की गिरफ्तारी तक का आदेश दे दिया. यहीं नहीं, इंस्पेक्टर ने अपने सुपरविजन में मुर्दे को जिंदा मान कर उस पर टिप्पणी लिखी. कहा कि जल्द से जल्द अनुसंधानक आरोपित मुनिलाल यादव (मृतक) को गिरफ्तार करे. पूरे मामले का खुलासा डीआइजी डॉ अमित कुमार जैन के अंतिम आदेश में हुआ है. इंस्पेक्टर की इस लापरवाही के चलते उन पर विभागीय कार्रवाई शुरू की गयी है. एक साल तक वेतन वृद्धि पर रोक लगा दी गयी है. फिलहाल इंस्पेक्टर सिंह पटना जिले में पदस्थापित हैं.
अमरपुर थाना (बांका) क्षेत्र के गोपालपुर गांव निवासी मुनिलाल यादव (पिता कैलू यादव) के खिलाफ अमरपुर थाना कांड संख्या-250/08 (दिनांक-10.11.08) दर्ज किया गया. मुनिलाल पर मारपीट, गाली-गलौज का आरोप था. आइओ ने मामले की जांच के बाद कांड दैनिकी (संख्या-1, कंडिका-09) में उल्लेख किया कि आरोपित मुनिलाल की मृत्यु हो चुकी है. लेकिन इंस्पेक्टर ने मृत मुनिलाल को आरोपित मान कर अपने सुपरविजन में 16.11.08 को उसकी (मृत मुनिलाल) गिरफ्तारी का आदेश दिया. मामले का खुलासा हुआ तो तत्कालीन बांका एसपी ने इंस्पेक्टर से स्पष्टीकरण मांगा, लेकिन इंस्पेक्टर ने स्पष्टीकरण का जवाब नहीं दिया.
इंस्पेक्टर का आचरण संदिग्ध और गैर जवाबदेह
डीआइजी ने अपने आदेश में कहा है कि जब आइओ ने कांड के आरोपित को मृत बताया तो इंस्पेक्टर ने किस आधार पर अपने सुपरविजन में मृत व्यक्ति के गिरफ्तारी का आदेश जारी किया. यह समझ से परे है. इससे स्पष्ट है कि कांड का अनुसंधान व सुपरविजन मनमाने तरीके व निजी स्वार्थ से वशीभूत होकर किया गया है. यह इंस्पेक्टर के संदिग्ध आचरण और गैर जवाबदेह पुलिस अफसर होने की बात को परिलक्षित करता है.