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बेचा कलम को जिसने, सर हो गया कलम

बेचा कलम को जिसने, सर हो गया कलम-बगुला मंच के तत्वावधान में काव्य गोष्ठीसंवाददाता, भागलपुरहास्य-व्यंग्य संस्था बगुला मंच के तत्वावधान में ज्योति बिहार कॉलोनी में काव्य गोष्ठी हुई. काव्य गोष्ठी का आगाज राजकुमार के गीत ‘जय भारती-जय भारती’ से हुआ. डॉ विजय मिश्र ने ‘मेरा बेटा मेरे कंधे पर बैठकर बड़ा गया’ के जरिये पिता-बेटे […]

बेचा कलम को जिसने, सर हो गया कलम-बगुला मंच के तत्वावधान में काव्य गोष्ठीसंवाददाता, भागलपुरहास्य-व्यंग्य संस्था बगुला मंच के तत्वावधान में ज्योति बिहार कॉलोनी में काव्य गोष्ठी हुई. काव्य गोष्ठी का आगाज राजकुमार के गीत ‘जय भारती-जय भारती’ से हुआ. डॉ विजय मिश्र ने ‘मेरा बेटा मेरे कंधे पर बैठकर बड़ा गया’ के जरिये पिता-बेटे के भावनात्मक रिश्तों की प्रस्तुति दी. उमाकांत के ‘औरों के हित जो मिट गये’ ने लोगों की खूब वाहवाही लूटी. असहिष्णुता पर साहित्यकारों पर सवाल करते हुए फैज रहमान फैज ने अपनी रचना ‘बेचा जिसने कलम को, सर कलम हो गया’ सुनाकर शमां बांध दिया. काव्य गोष्ठी में रामावतार राही, डॉ प्रेमचंद्र पांडे, राजकुमार, प्रसून ठाकुर, गणेश गणपति, बाबा दिनेश तपन, धीरज पंडित, महावीर प्रसाद अकेला, अभय कुमार भारती, गोकुल सिंह सत्यार्थी ने अपनी-अपनी काव्य प्रस्तुतियां दी. काव्य गोष्ठी की अध्यक्षता अरविंद कुमार ने की. आगतों का स्वागत सुभाष मंडल ने किया.

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