28.8 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

शराब की लत में गुम हो गयी शान, रुतबा और जमींदारी

शराब की लत में गुम हो गयी शान, रुतबा और जमींदारी राजीवकांत मिश्राशराब की लत ने कितनी जिंदगियों को निगल ली. कितने घर उजड़े और न जाने कितने मासूमों का भविष्य अंधकार में डूब गया. हम आपको को एक ऐसी सच्ची कहानी बताने जा रहे हैं, जिसने एक शराबी को तिल-तिल कर मारा, तो नाज […]

शराब की लत में गुम हो गयी शान, रुतबा और जमींदारी राजीवकांत मिश्राशराब की लत ने कितनी जिंदगियों को निगल ली. कितने घर उजड़े और न जाने कितने मासूमों का भविष्य अंधकार में डूब गया. हम आपको को एक ऐसी सच्ची कहानी बताने जा रहे हैं, जिसने एक शराबी को तिल-तिल कर मारा, तो नाज में पली-बढ़ी पत्नी आज की तारीख में दूसरे घरों में नौकरानी के रूप में काम कर रही है. बेटे भी न जाने कहां गुम हो गये हैं. ऐसे में सूबे की सरकार द्वारा शराब बंदी का फैसला, लोगों की जिंदगी में दूरगामी सकारात्मक बदलाव लायेगा. सरकार की पहल के बाद हमारा भी दायित्व बनता है कि हम एक ऐसे समाज का निर्माण करें, जहां मद्यपान जैसी बुराइयों का नामोनिशान तक न हो. यह कहानी शुरू होती है उस वक्त से जब देश को आजादी मिले एक दशक भी न बीता था. जिले में एक जमींदार रहते थे. उनका वैभव व ख्याति इतनी थी कि वे जिस राह से निकलते थे उनका स्वागत राजाओं जैसा होता था. सैकड़ों बीघा जमीन और महल सरीखा घर. जहां नौकरों की पूरी जमात जुटी रहती थी. जमींदार साहब के एक पुत्र थे, जिन्हें जवानी में ही पीने की आदत पड़ गयी. आदत के बारे में जमींदार साहब जाने, तो उन्होंने यह सोच कर उनकी शादी कर दी कि शायद शादी के बाद बेटा सुधर जाये. पूरे शान-ओ-शौकत से शादी हुई. लक्ष्मीस्वरूपा पत्नी सोने के जेवरों से लद कर वैसे ही ससुराल में आयी, जैसे कि हम राजा-महाराजाओं की कहानी में हम देखते-सुनते आये हैं. शादी के बाद एक-एक करके दो बेटे और एक चांद सी बेटी की किलकारी गूंजी. लेकिन शराब की लत जमींदार साहब के बेटे से न छूटी. बेटे की चिंता में जमींदार साहब का इंतकाल हो गया. पिता की मौत के बाद शराबी बेटे के हाथ में संपत्ति आयी, तो वह शराब की लत में उसे गंवाने लगा. देखते ही देखते उसकी सब जमीन और यहां तक हवेली भी मय के प्याले में समा गयी. इतना कुछ होने के बाद जमींदार के बेटे की लत न छूटी और आज से करीब 10-12 साल पहले उनकी इसी लत ने उनकी जिंदगी को भी निगल लिया. सब कुछ गंवाने के बाद घर में खाने के लिए कुछ भी न बचा, तो पत्नी को घर चलाने के लिए छोटे-मोटे काम करने पड़े. इसी दौरान घर की बेटी की भी असामयिक मौत हो गयी. बेटे भी पैसे के अभाव में न पढ़ सके. एक बेटा घर छोड़ कर भाग गया, तो दूसरा आज की तारीख में कहीं मजदूरी करता है. आज की तारीख में हवेली की रानी दूसरे घरों के घरों में जूठा बरतन धोकर अपनी जिंदगी के बचे दिन काट रही है. शिक्षाविद्

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें