भागलपुर: सरकारी प्रारंभिक स्कूलों के बच्चों को भोजन, कपड़ा, किताब, वजीफा आदि सुविधाएं उपलब्ध कराने के बाद भी शिक्षा की स्थिति लचर बनी हुई है. स्कूलों पर हर साल अरबों रुपये खर्च किये जा रहे हैं, पर पठन-पाठन की लचर व्यवस्था की अभिभावकों की शिकायत बरकरार है. अभी भी जिले में 55 नवसृजित विद्यालयों का भवन निर्माण विभिन्न कारणों से नहीं हो सका है. इसके कारण 15 हजार से अधिक बच्चे खुले आसमान के नीचे या झोपड़ियों में किसी तरह पढ़ाई कर रहे हैं. अधिकारियों ने जब भी स्कूलों का निरीक्षण किया सबसे बड़ी शिकायत शिक्षकों की बिना सूचना अनुपस्थित रहने की मिली.
बच्चों ने अधिकारियों से ठीक से नहीं पढ़ाये जाने की भी शिकायत की. बावजूद इसके व्यवस्था में सुधार नहीं हो पाया. अनुपस्थित रहनेवाले शिक्षकों का एक दिन का वेतन काटा गया या कड़ी चेतावनी देकर माफी दे दी गयी.
निरीक्षण में मिलती रही गड़बड़ी
गत 25 अक्तूबर को नगर निगम की उपमहापौर प्रीति शेखर ने प्राथमिक विद्यालय, बूढ़ानाथ का निरीक्षण किया था. निरीक्षण के दौरान मोहल्ले के सारे अभिभावक जुट गये थे. सबकी एक ही शिकायत थी कि शिक्षक आते नहीं, आते हैं तो तुरंत चले जाते हैं. किराये की झोपड़ी में चल रहे इस स्कूल में बकरी बंधी मिली थी और कूड़े से परिसर पटा था. गत दो व तीन जुलाई को माध्यमिक शिक्षा के तत्कालीन डीपीओ देवेंद्र कुमार झा ने तीन दर्जन स्कूलों का निरीक्षण किया था. निरीक्षण के दौरान गोराडीह के मध्य विद्यालय रामचंद्रपुर के किसी भी वर्ग में शिक्षक मौजूद नहीं थे. बच्चों का कहना था कि जो भी शिक्षक आते हैं, केवल हिंदी पढ़ाते हैं. इस निरीक्षण के बाद यह आज तक सुनिश्चित नहीं किया जा सका कि अब बच्चों को गणित, अंगरेजी, विज्ञान, संस्कृत आदि विषय पढ़ाया जा रहा है या नहीं. बहुत संभव है कि आज भी बच्चों की पढ़ाई वैसी ही चल रही हो. इस निरीक्षण में अधिकतर स्कूलों में शिक्षक दर्पण नहीं लिखने की गंभीर शिकायत मिली थी. हाजिरी बना कर या बिना सूचना के शिक्षकों के गायब रहने की शिकायत तो कमोबेश सभी स्कूलों में मिली थी.
बच्चों तक नहीं पहुंच पायेगी योजना
बीते सप्ताह सुल्तानगंज के प्रखंड संसाधन केंद्र में आयोजित पल्लव प्रशिक्षण में प्रारंभिक शिक्षा के डीपीओ देवेंद्र कुमार झा को निरीक्षण के दौरान केवल तीन प्रखंड साधनसेवी ही उपस्थित मिले, जबकि 20 बीआरपी अनुपस्थित थे. ज्ञात हो कि अब स्कूलों में पहली व दूसरी कक्षा के बच्चों को नये तरीके से पढ़ाना है. बीआरपी को प्रशिक्षण में पठन-पाठन के नये तरीके जानने के बाद शिक्षकों को प्रशिक्षित किया जाना था. बावजूद इसके वे गायब मिले. निश्चित तौर पर अब बच्चों को वह फायदा नहीं मिल पायेगा, जो सोच कर विभाग ने प्रशिक्षण का मॉड्यूल तैयार किया था. हालांकि उक्त बीआरपी का एक दिन का वेतन काट लिया गया था.