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ब्रह्म ज्ञान पाकर नरेंद्र विवेकानंद बने

ब्रह्म ज्ञान पाकर नरेंद्र विवेकानंद बनेफोटो नंबर : विद्या सागरसंवाददाता,भागलपुररन्नूचक में रविवार को दिव्य ज्योति जागृति संस्था की ओर से रामचरित मानस व गीता विवेचना का आयोजन किया गया. स्वामी विष्णु प्रकाशानंद ने कहा कि कर्म तीन प्रकार के होते हैं. प्रारब्ध, क्रियामान और संचित कर्म. इससे कोई बच नहीं सकता. भगवान श्रीकृष्ण ने श्रीमद् […]

ब्रह्म ज्ञान पाकर नरेंद्र विवेकानंद बनेफोटो नंबर : विद्या सागरसंवाददाता,भागलपुररन्नूचक में रविवार को दिव्य ज्योति जागृति संस्था की ओर से रामचरित मानस व गीता विवेचना का आयोजन किया गया. स्वामी विष्णु प्रकाशानंद ने कहा कि कर्म तीन प्रकार के होते हैं. प्रारब्ध, क्रियामान और संचित कर्म. इससे कोई बच नहीं सकता. भगवान श्रीकृष्ण ने श्रीमद् भागवत गीता में अर्जुन को समझाते हुए कहा कि जैसे ईंधन सुखी हुई लकड़ी को जला कर भस्म कर देता है, वैसे ही ज्ञान की अग्नि हमारे सभी कर्मों को जला कर भस्म कर देता है. अर्जुन ने ब्रह्म ज्ञान पाकर महाभारत जीता, तो नरेंद्र विवेकानंद बने. स्वामी रघुनंदनानंद,साध्वी महामाया भारती, साध्वी समीक्षा भारती,रूना भारती आदि ने प्रवचन किये. मौके पर आशुतोष राय, दिनेश राय, सुकेश अग्रवाल, प्रवीण राय आदि उपस्थित थे.

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