अर्घ्यदान से मिलता है वैभव व सौभाग्य-छठ पर्व में होती है भगवान सूर्य की पूजासंवाददाता, भागलपुर लोक आस्था का महापर्व छठ में भगवान सूर्य की पूजा होती है. भगवान सूर्य को अर्घ्यदान करने से भगवान सूर्य प्रसन्न होकर आयु, आरोग्य, धन-धान्य, पुत्र, मित्र, तेज, वीर्य, यश, कांति, विद्या, वैभव और सौभाग्य प्रदान करते हैं. भगवान सूर्य नित्य त्रिकाल उपास्य देव हैं, इसलिए उनसे प्रार्थना की जाती है. ज्योतिषाचार्य प्रो सदानंद झा ने बताया कि सहस्त्र किरण वाले भुवन भास्कर असत् से सत् की ओर, अंधकार से प्रकाश की ओर और मृत्यु से अमरत्व की ओर ले जाते हैं. उनका अनुग्रह प्राप्त होने पर व्यक्ति शतायु ही नहीं दीर्घायु हो जाता है. सूर्यास्त व सूर्योदय का समयज्योतिषाचार्य प्रो सदानंद झा के अनुसार 17 नवंबर को अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है. इस दिन सूर्यास्त शाम 4:35 बजे होगा. इसके बाद दूसरे दिन उदीयमान सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है. 18 नवंबर को सुबह 6:08 बजे सूर्योदय होगा. यह समय भागलपुर के लिए है. बांका में सूर्यास्त शाम 4:35 बजे व सूर्योदय सुबह 6:07 बजे समय है. अर्घ्यदान मंत्रऐहि सूर्य सहस्त्रांसो तेजो राशि जगत्पये, अनुकम्पय मां भक्त्यान् गृहाणार्ध्य दिवाकर: .ऐषो अर्घ्य: समर्पयामि श्री सं सूर्याय नम: . अथवानमोउस्तु सूर्याय सहस्त्र भानवे नमोउस्तु.सूर्य-गायत्री मंत्र का जाप भी किया जा सकता है.आदित्याय विद्महे विश्वभावाय धीमहि तन्न: सूर्य: प्रचोदयात्. विविध समुदाय के बीच है छठ पर्व का महत्व किसी भी क्षेत्र की संस्कृति वहां की भाषा, कला व पर्व-त्योहार से प्रतीत होता है. अंग व बंग की संस्कृति का संगम शहर में रहने वाले बंगाली, पंजाबी व मारवाड़ी समुदाय के लोगों द्वारा महापर्व छठ में भी दिखता है. वे लोग केवल इस पर्व में शामिल ही नहीं होते, बल्कि सूप व चढ़ावा चढ़ा कर भगवान सूर्य को अर्घ्य देते हैं. इस महापर्व का इतना महत्व है कि मुसलिम धर्म के लोग भी अपना योगदान करते हैं. नहाय-खाय के साथ लोक आस्था का महापर्व छठ शुरू होता है. इसे लेकर अभी से ही जिले के विभिन्न स्थानों पर नदी व पोखर के घाट की सफाई का कार्य जारी है. खासकर बिहार-उत्तरप्रदेश में छठ महापर्व का खासा महत्व है. बाहर या दूर रहने वाले अधिकांश लोग इस महापर्व में जरूर छुट्टी लेकर आते हैं. साम्ब ने शुरू किया था सूर्य षष्ठी व्रतसाम्ब पुराण तथा भविष्य पुराण में वर्णित है कि भगवान श्रीकृष्ण के पुत्र साम्ब ने सूर्य की उपासना की थी. पुराण के अनुसार साम्ब का रूप बहुत सुंदर था. इससे गर्व में चूर साम्ब ने दुर्वासा ऋषि का अनादर किया था. क्रोधित होकर दुर्वासा ऋषि ने कुष्ठ रोग से ग्रसित होने का शाप दे दिया. साम्ब जब कुष्ठ रोग से ग्रसित हो गये, तो कई वैद्य व आयुर्वेदाचार्य ने प्रयास किया, लेकिन कोई समाधान नहीं निकला. इसके बाद उन्होंने नारद जी से उपाय पूछा. उन्होंने सूर्य पुत्र शाकद्वीपीय ब्राह्मणों से पूजा कराने को कहा. राजा साम्ब शाकद्वीप जाकर अठारह परिवार वाले शाकद्वीपीय ब्राह्मण को साथ लाये. राजा साम्ब ने उड़ीसा के चंद्रभागा नदी के तट पर विधि-विधान से सूर्य षष्ठी व्रत किया. उनके द्वारा बनवाये गये सूर्य मंदिर का अवशेष आज भी चंद्रभागा नदी पर विद्यमान है.
अर्घ्यदान से मिलता है वैभव व सौभाग्य
अर्घ्यदान से मिलता है वैभव व सौभाग्य-छठ पर्व में होती है भगवान सूर्य की पूजासंवाददाता, भागलपुर लोक आस्था का महापर्व छठ में भगवान सूर्य की पूजा होती है. भगवान सूर्य को अर्घ्यदान करने से भगवान सूर्य प्रसन्न होकर आयु, आरोग्य, धन-धान्य, पुत्र, मित्र, तेज, वीर्य, यश, कांति, विद्या, वैभव और सौभाग्य प्रदान करते हैं. भगवान […]
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