डेढ़ सौ साल पहले से हो रही है काली पूजामंदिर का फोटो भी प्रतिनिधि,सबौर प्रखंड के इंगलिश गांव स्थित मां वैष्णव काली मंदिर का लगभग 150 वर्ष पुराना इतिहास है. यहां के बुजुर्ग वकील यादव (80) ने बताया कि यह मंदिर पहले इंगलिश गांव के किसी दूसरे जगहों पर था.वहां काली मां महाकंकाल काली के रूप में पूजी जाती थी. उस समय बली पड़ती थी. बली प्रथा को बदलने के लिए काली मां का स्थापना वैष्णव काली के रूप में उनके दादाजी कालीप्रसाद ने अपनी जमीन पर स्थापित किया. उस समय से बली प्रथा बंद हो गयी और मां की पूजा अर्चना शुरू हुई. मंदिर के पुजारी लाला यादव का कहना है कि मैया बहुत शक्तिशाली है. यहां कई लोगों की कामना पूर्ण हुई है. स्थानीय लोगों का कहना है कि जो लोग अपनी इच्छाओं को लेकर मैया के पास आये हैं, उनकी मुरादें पूरी हुई है.पुजारी ने बताया की कोई भक्त यहां से खाली हाथ नहीं लौटा है. सैकड़ों लोगों प्रत्येक वर्ष चढ़ावा चढ़ाते हैं और मां काली का आशीर्वाद लेते हैं. इस बार 10 नवंबर को मध्य रात्रि में मां काली का प्रतिमा स्थापित की जायेगी. इस बात की जानकारी मेला कमेटी के महाप्रबंधक रामानंद यादव ने दी.
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डेढ़ सौ साल पहले से हो रही है काली पूजा
डेढ़ सौ साल पहले से हो रही है काली पूजामंदिर का फोटो भी प्रतिनिधि,सबौर प्रखंड के इंगलिश गांव स्थित मां वैष्णव काली मंदिर का लगभग 150 वर्ष पुराना इतिहास है. यहां के बुजुर्ग वकील यादव (80) ने बताया कि यह मंदिर पहले इंगलिश गांव के किसी दूसरे जगहों पर था.वहां काली मां महाकंकाल काली के […]
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