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महंगाई बढ़ी, तो घटता गया रावण का कद

महंगाई बढ़ी, तो घटता गया रावण का कदफोटो : विद्यासागरसंवाददाता, भागलपुरमहंगाई की चपेट में आम आदमी की जीवनचर्या से लेकर इनके त्योहार भी आ रहे हैं. नवरात्र में फलाहार पर महंगाई की मार पड़ी, तो नवरात्र में इसकी चपेट में परंपरागत रूप से हर साल बनाये जाने वाले रावण के पुतले का कारोबार भी है. […]

महंगाई बढ़ी, तो घटता गया रावण का कदफोटो : विद्यासागरसंवाददाता, भागलपुरमहंगाई की चपेट में आम आदमी की जीवनचर्या से लेकर इनके त्योहार भी आ रहे हैं. नवरात्र में फलाहार पर महंगाई की मार पड़ी, तो नवरात्र में इसकी चपेट में परंपरागत रूप से हर साल बनाये जाने वाले रावण के पुतले का कारोबार भी है. साल दर साल महंगाई की मार पड़ी, तो कभी बड़े-बड़े आकार में बनने वाले रावण के पुतले का कद समय के साथ छोटा होने लगा. पुतला बनाने के कारोबार में संलग्न कलाकार पुतले बनाने की लागत को कम करने के लिए इसमें प्रयुक्त होने वाले सामान को कम कर दिया. नाथनगर क्षेत्र के खटिक टोला के सुरेंद्र बांसफोड़ बताते हैं कि वह करीब 20-25 सालों से पुतला बनाने के कारोबार में हैं. पहले के पुतले व वर्तमान में बनने वाले पुतले के साइज में कुछ अंतर आ गया है. लोग पहले रावण का बड़ा पुतला बनवाने के साथ-साथ कुंभकर्ण और मेघनाथ का भी पुतला बनवाते थे, लेकिन पुतला बनाने में प्रयुक्त हाेने वाले सामान के दाम बढ़े, तो तीन-तीन पुतला बनवाना मुश्किल हो गया. वह बताते हैं कि पिछले एक-दो साल से पुतला बनवाने वाले लोग तय रुपये भी नहीं दे रहे हैं, जिससे इस साल उन्होंने पुतला नहीं बनाया. पुतला बनाने के कारोबार में लगे खटिक टोला के राम किशुन बताता है कि इस कारोबार में उसका हाथ उसका बेटा भी बंटाता है. पहले पुतला बनवाने वाले लाेग 45 से 50 फीट लंबा बनवाते थे, लेकिन महंगाई से पुतले की लंबाई अब 20 से 30 फीट तक आ पहुंची है. राम किशुन बताते हैं कि पुतला बनवाने के लिए आने वाले ग्राहक सस्ता और बढ़िया पुतला बनवाना चाहते हैं, तो उनकी इस इच्छा को पूरी करने के लिए वे पुतले में बांस, कपड़ा, कागज व पटाखा का कम से कम इस्तेमाल करते हैं.

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